उत्तराखंड में सबसे पहले व प्राचीन श्री दुर्गा पूजा102 का शुभारंभ!
उत्तराखण्डः 08 अक्टूबर 2024, मंगलवार को राजधानी /देहरादून स्थित बंगाली लाइब्रेरी (करणपुर) में बड़े उत्साह के साथ बंगला साहित्य समिति भवन करणपुर बंगाली लाइब्रेरी देहरादून में श्री श्री दुर्गा पूजा महोत्सव 102 का शुभारंभ किया गया। इस शारदीय नवरात्रि के साथ ही दुर्गा पूजा का आरंभ होता है। मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हालांकि दुर्गा पूजा मुख्य रूप से पांच दिनों तक चलती है और इन पांच दिनों में अलग-अलग उत्सव मनाए जाते हैं। दुर्गा पूजा की शुरुआत षष्ठी तिथि यानी कि शारदीय नवरात्रि के छठे दिन से होती है और दशमी तिथि यानी कि दशहरा वाले दिन मां दुर्गा के विसर्जन से इस पर्व का समापन होता है। ऐसे में इस साल दुर्गा पूजा 8 अक्टूबर, दिन मंगलवार से शुरू हो रही है और 12 अक्टूबर, 2024 दिन शनिवार को समाप्त होगी।
वही जिसमें उत्तराखंड में सबसे पहले व पुरानी/ प्राचीन पूजा बंगाली लाइब्रेरी करनपुर देहरादून में 102 वर्षों से लगातार दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े उत्साह व हर्षो उल्लास के साथ बंगाली समुदायों द्वारा किया जा रहा है।
इस शुभ अवसर पर बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति के वर्तमान अध्यक्ष आर. एन. मित्रा एवं महासचिव आलोक चक्रबर्ती ने बताया कि आज 8 अक्टूबर को पष्ठि के शुभ अवसर पर शारदीय नवरात्रि में माॅ दुर्गा पूजा प्रारंभ की गई. इस शुभ मुहूर्त में 8 अक्टूबर को शाम 7:30 पर मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा अबोधन पूजन वैदिक मंत्रों उच्चारण विधि विधान पूजा का प्रारंभ किया गया। इस शुभ अवसर पर आज पष्ठि 8 अक्टूबर 2024 से 12 अक्टूबर तक दुर्गा पूजा महोत्सव मनाया जाएगा।
दुर्गा पूजा महोत्सव: दुर्गा पूजा का पहला दिन- 8 अक्टूबर, बिल्व निमंत्रण:
दुर्गा पूजा का दूसरा दिन- 09 अक्टूबर, कल्पारंभ, अकाल बोधन
दुर्गा पूजा का तीसरा दिन- 10 अक्टूबर, नवपत्रिका पूजा, कोलाबोऊ पूजा
दुर्गा पूजा का चौथा दिन- 11 अक्टूबर, दुर्गाअष्टमी, कुमारी पूजा, संधि पूजा, महा नवमी
दुर्गा पूजा का पांचवां दिन- 12 अक्टूबर, बंगाल महा नवमी, नवमी हवन, विजयादशमी
दुर्गा पूजा का छठवां दिन- 13 अक्टूबर, बंगाल विजयादशमी, सिंदूर उत्सव
इस अवसर पर समिति के सभी पदाधिकारी वी भक्तगण बड़ी संख्या में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने आराधना के साथ प्रतिभागी बने । इस शुभ अवसर पर आलोक चक्रवर्ती ने बताया की सप्तमी पूजा 9 अक्टूबर को प्रातः 10:30 बजे सनी पूजन उसके बाद दोपहर 12:30 बजे पुष्पांजलि एवं शाम 7:30 बजे आमंत्रण अधिवास और आरती नियमित रूप से की जाएगी।