गुरु का परम् कर्तव्य शिष्य का उचित भविष्य बनाएं : प्रधानाध्यापिका

छात्र छात्राओं ने अपने गुरूजनो  को फूल और कलम आदि उपहार में देकर सम्मानित किया!

उत्तराखण्डः 05 सितंबर 2024, ब्रहस्पतिवार को राजधानी /देहरादून स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय जगतपुर ढालावाला सहसपुर ब्लॉक देहरादून में आज 05 सितंबर शिक्षक दिवस पर स्कूल की प्रधानाध्यापिका  एवं सहायक अध्यापिका ने पूर्व राष्ट्रपति, शिक्षाविद् एवं दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।  शिक्षक विद्यार्थियों को शिक्षित कर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान तो देते  है साथ ही समाज को नई दिशा में भी  शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को सच्ची श्रद्धांजलि है। वही विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण कर उन्हें योग्य नागरिक बनाने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इस अवसर पर विद्यालय में  सभी छात्रो ने शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया।  इस दौरान प्रधानाध्यापिका पुष्पारानी /सहायक अध्यापिका श्रीमति नीरो देवी को  छात्र छात्राओं ने अपने गुरूजनो  को फूल और कलम आदि उपहार में देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही कार्यक्रम में स्कूली छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। गुरू की भूमिका पर आयोजित हुए सांस्कृतिक गीत पर खूब तालियां बटोरी।  इस मौके पर सभी छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

 इस दौरान राजकीय प्राथमिक विद्यालय जगतपुर ढालावाला सहसपुर ब्लॉक प्रधानाध्यापिका श्रीमति पुष्पारानी ने  बच्चों को डॉ राधाकृष्णन के जीवन वृतांत की जानकारी दी गयी और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प दिलाया गया।

इसके साथ ही प्रधानाध्यापिका श्रीमति पुष्पारानी ने कहा कि बच्चो के साथ जीवन व्यतीत करने में उनको उचित शिक्षा देने में व नशे से दूर करने में, सकारात्मक सोच के साथ, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने पर जो आत्म ख़ुशी मिलती है वहाँ धन से बड़ा सुख है । इसलिए हमेशा हर गुरु को उचित शिक्षा प्रदान करनी चाहिए अपने शिष्य को! वही, श्रीमति पुष्पारानी ने कहा कि गुरु का छात्रों को समझना और उनको प्रोत्साहित करना उचित मार्गदर्शन देना ही सच्ची गुरु भक्ति है!

इस दिन महान शिक्षक जिन्होंने पूरा जीवन छात्रों की भलाई के लिए जीवन समर्पित किया । उनके पदचिन्हो पर चल रहे है शिक्षक अपने जीवन को बच्चों के भविष्य के लिए समर्पित कियेे है और अपने शिष्यो को बेहतरीन बना रहे है। उचित मार्गदर्शन देना ही सच्ची गुरु भक्ति है शिष्य के लिए शिष्य अच्छा बनता हैं तो गुरु का बहुत बड़ा योगदान होता है।

आइए जानते हैं कि पहली बार कब शिक्षक दिवस मनाया गया था.  1962 से 5 सितंबर को शिक्षा के क्षेत्र में उनके और सभी शिक्षकों के असाधारण योगदान को सम्मानित करने के लिए शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है, जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।  शिक्षक दिवस भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और राष्ट्र के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति होने के साथ ही एक शिक्षाविद् भी थे।

एक बार उनके छात्रों ने उनसे श्रद्धा के कारण पूछा कि क्या वे उन्हें अपना जन्मदिन मनाने की अनुमति देंगे।  हालांकि उन्होंने अपने लिए कोई विशेष मान्यता लेने से इनकार कर दिया, लेकिन डॉ. राधाकृष्णन ने प्रस्ताव दिया कि छात्र समाज में शिक्षकों के बहुमूल्य योगदान को स्वीकार करने के लिए इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं. वही इस दौरान शिक्षक दिवस के अवस पर देश के सभी स्कूलों और काॅलेजों में शिक्षकों के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यहां तक की स्कूल स्तर पर भी शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है।

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