उत्तराखण्डः 17 अक्टूबर 2024, देहरादून /राजधानी स्थित राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल देहरादून में अव्यवस्थाओं को लेकर अक्सर सुर्खियो में बना रहता है। वही जिसमें इस दून मेडिकल कालेज अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की कई पोले खुलती रहती आम बात हो गई है। वही जिसमें सूत्रो के हवाले मिली एक जानकारी में दो डॉक्टर अधिकारी यह चर्चाओं में छाए हुए है। इस दून अस्पताल में मरीजो के स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न अव्यवस्थाओं से मरीजों को हो रही है परेशानी। इस परेशानी को नजरअंदाज यह कि प्रबंधन अधिकारी कर रहे है। वही सूत्रो से मिली जानकारी अनुसार दून अस्पताल मेडिकल कालेज में दो डॉक्टर अधिकारियों की जोड़ी की ताना शाही से अस्पताल के स्टाफ व अन्य लोग भी परेशान है।
सूत्रो की माने तो देहरादून राजधानी में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में यह दो चिकित्सा अधिकारी की जोड़ी कर रही है मनमानी चर्चाओं में बाजार गर्म हैं। वही जिसमें सूत्रो का कहना है कि इस अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों की जोड़ी इनकी कार्यशाला पर कई स्वास्थ कर्मचारी व स्टाफ दबी जुबान में भी कहते हैं कि इनकी जोड़ी की मनमानी व तानाशाही देखने को मिल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी में इन दोनों चिकित्सा अधिकारियों को जो सही समझ में आता है, वही मिलजुल कर सलाह के साथ करते हैं। और फिर इनकी सलाह किसी मरीज को या उसकी तीमारदार को या फिर चिकित्सा स्टाफ को अच्छी लगे या ना लगे यह अपनी मनमर्जी उस ही पर थोप देते हैं।
सूत्र बताते है कि यही नही इस अस्पताल में कुछ पत्रकार कर्मीयो के साथ भी भेदभाव किया जा रहा है। जो पत्रकार मान्यता प्राप्त है वह अपने व परिजनो के उपचार हेतु डॉक्टर द्वारा लिखे गए विभिन्न जांचे – Radiologist Tests including X-ray, CT Scan, MRI, Ultrasound आदि या फिर भर्ती प्रक्रिया हो, जिसमें वह मान्यता प्राप्त पत्रकार अपना कार्ड दिखा कर निशुल्क सुविधा कराने हेतु दून अस्पताल के एमएस या डिप्टी एमएस के पास जाता है तो वह पहले तो उस मिडिया कर्मी को टालमटोल या फिर अयुष्मान कार्ड की सुविधाएं का पाठ पढ़ा देते है। वही अगर पत्रकार कुछ प्रभावशाली या इनके मतलब की खबर लगाता हो, तो उसे सीधे बिना कुछ कहे निशुल्क ओपीडी पर्चे पर लिख देते है। नही तो चक्कर कटाने में यह दोनो चिकित्सा अधिकारी महिर हो गए है। सूत्र बताते है कि यह दोनो अधिकारी किसी की भी नही सुनते हैं। स्टाफ का कोई कर्मी अपनी पीड़ा बताना चाहे तो इनकी तानाशाही के आगे अपना मन मार देते है।
आपको बता दे कि वर्ष 2016 तक दून अस्पताल जिला अस्पताल के रूप में कार्य कर रहा था। 2016 के बाद से राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में यह अस्पताल तब्दील हो गया था। इस मेडिकल कॉलेज में रोज मारा करीब 2500 से 3000 तक के मरीजो का पंजीकृत होता है। इस अस्पताल में आसपास पड़ोस राज्यों के भी मरीज भी आते हैं।
बता दें कि स्थानिया निवासियो का कहना है कि देहरादून का सबसे पुराना जिले का अस्पताल दून अस्पताल है जिसमें मरीजों का इलाज सही ढंग से किया जाता था। लेकिन जब से वर्ष 2016 में या मेडिकल कॉलेज में तब्दील हुआ इस अस्पताल से तो लोगों ने तौबा करना शुरू कर दी है। लोगों का कहना है कि हमारा पहले वाला दून अस्पताल कहां गुम हो गया। जैसा भी था कम से कम मरीजों की फिक्र की जाती थी। यही नहीं उस समय डॉक्टर भी काबिल थे, और लगन से मरीजों का इलाज करते थे। लेकिन यह मेडिकल कॉलेज में तो मरीजों को कोई पूछने वाला नहीं है।
वही अब इस दून मेडिकल कॉलेज में मरीज व तीमारदार, डॉक्टरो को इलाज हेतु ढूंढ-ढूंढ कर लाते हैं। तब जाकर मरीज का इलाज करने में भी देरी हो जाती है। हार या मजबूर हो कर इस दून मेडिकल कॉलेज से मरीज बाहर निजी अन्य मेडिकल सेंट्रो में ले जाने को मजबूर है। क्योकि यह JR व पेरामेडिकल के छात्रो के हवाले मरीजो की गंभीर बिमारियो के इलाज के लिए JR के आगे सौप देते है। और मुख्य संबंधित डॉक्टर कहां रहते हैं ये ईंश्वर जाने। दून मेडिकल कॉलेज के एस एवं डिप्टी एस अस्पताल की सुविधा को लेकर बड़ी.बड़ी डींगे हांकते हैंं लेकिन यह अस्पताल में धरातल पर यहां पर मरीज को ढोने के लिए एक भी वार्ड बॉय आज तक नहीं दिखा।यही नही इस दून मेडिकल कालेज में मरीज व तिमारदारो के एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग व सड़के इस पार से उस पार दौड़तो है। साथ ही एक बार कोई भी मरीजो का पूरी सुविधाएं व उपचार संबंधित कक्ष/विभाग को जानकारी नही प्रदान करते है। शायद इन्हे मरीजो व तिमारदारो को ऐसे नचाने में क्यो मजा आता है जरा सोचिए..?