उत्तराखण्डः 20-DEC. 2024, संपादक की कलम से… शिक्षा ज्ञान प्रदान करने या प्राप्त करने की प्रक्रिया है! शिक्षा समाज में सामाजिक न्याय है! पढ़ाई का महत्व जीवन में बहुत ही अधिक है क्योंकि यह हमें बेहतर भविष्य के लिए तैयार करती है। “पहली कक्षा में स्कूल में बच्चों का प्रवेश होता है। 20-25 वर्षों तक वे पढ़ाई लिखाई ट्यूशन और खेल कूद आदि अन्य भी बहुत सी गतिविधियां करते हैं। 20-25 वर्ष तक मेहनत करने के बाद उन्हें एक अच्छी सी डिग्री मिलती है, CA. MBA. M Tech. इत्यादि।” “इतना पढ़ने लिखने के बाद भी उनमें मनुष्यता के लक्षण कम ही दिखाई देते हैं। यह बात आप सब जानते ही हैं। इसके लिए कोई और प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है, आप स्वयं प्रतिदिन के भुक्त भोगी हैं।”
आप अपने दैनिक जीवन व्यवहार में इस बात का प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं, कि “यहां संसार में कितना झूठ छल कपट चोरी रिश्वत अन्याय पक्षपात आतंकवाद इत्यादि चल रहा है। इतना पढ़ने लिखने के बाद, इतनी बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने के बाद, लाखों करोड़ों रुपया खर्च करके भी यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन आचरण में सच्चाई ईमानदारी सेवा नम्रता दया परोपकार न्याय आदि गुणों को धारण नहीं कर पाया, तो उसकी पढ़ाई लिखाई करने का क्या लाभ? और उसकी पढ़ाई लिखाई पर इतना अधिक धन खर्च करने का क्या लाभ? कुछ नहीं। ऐसी स्थिति में, उसने इतने वर्षों तक परिश्रम करके जो डिग्री प्राप्त की, उसकी कीमत केवल एक कागज के टुकड़े जितनी ही है।”
मेरा तात्पर्य यह नहीं है, कि “पढ़ाई नहीं करनी चाहिए।” मैं तो यह कहना चाहता हूं, कि “पढ़ाई अवश्य करें। परंतु उसके साथ-साथ जीवन को भी अच्छा बनाएं। आपकी मेहनत केवल डिग्री प्राप्त करने और जैसे तैसे बेईमानी से धन कमाने तक सीमित न रहे। आपकी मेहनत और कार्यों से दूसरों का दुख भी दूर होना चाहिए। उनको सुख भी मिलना चाहिए।” “यदि ऊंची ऊंची डिग्रियां प्राप्त करके आप उस विद्या का सदुपयोग करते हैं, दूसरों के दुख दूर करते हैं, दूसरों को सुख भी देते हैं, तब तो आपकी डिग्री मूल्यवान एवं सार्थक है। अन्यथा वह व्यर्थ और रद्दी की टोकरी में डालने योग्य है।””यदि कोई व्यक्ति इतनी बड़ी बड़ी डिग्रियां लेकर भी अच्छा व्यवहार नहीं करता, दूसरों को सुख नहीं देता; तो उससे तो कम पढ़े लिखे अथवा अनपढ़ लोग ही ज्यादा अच्छे हैं, जो दूसरों को इतना दुख नहीं देते, उनके साथ इतना अन्याय नहीं करते।”शिक्षा समाज में सामाजिक न्याय, समानता, एकता, और शांति को बढ़ावा देती है। शिक्षा के बिना हम ज्ञान, समझ और सोचने की क्षमता से वंचित रह जाते हैं।