स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से फिजियोथेरेपी पेशे के विकास में एक ऐतिहासिक कदम :डॉ त्यागी(PT)

फिजियोथेरेपिस्ट( भौतिक चिकित्सकों) को ‘डॉ.’ Title , NEET से प्रवेश और स्वतंत्र प्रैक्टिस का अधिकार”

उत्तराखंड: 29 अप्रैल 2025 मंगलवार को देहरादून नई दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मिला फिजियोथेरेपिस्टों तोहफा, प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब फिजियोथेरेपिस्ट नाम के आगे डॉक्टर और बाद में पीटी लगाएंगे। इस निर्णय से पाठ्यक्रम और रोजगार के अवसरों में सुधार होगा। यह फैसला हेल्थ एवं एलाइड हेल्थ केयर बिल-2021 के आधार पर लिया गया है। नई दिल्ली, में  भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुमोदित और राष्ट्रीय सहायक एवं स्वास्थ्य देखभाल व्यवसाय आयोग (NCAHP) द्वारा जारी ‘भौतिक चिकित्सा के लिए दक्षता-आधारित पाठ्यक्रम 2025’ के अनुसार, अब फिजियोथेरेपिस्ट को कई महत्वपूर्ण अधिकार और सुविधाएँ दी गई हैं:
भारत में फिजियोथेरेपी कोर्स में प्रवेश के लिए अब NEET-UG परीक्षा अनिवार्य है। साथ ही, फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे “डॉ.” उपाधि का उपयोग कर सकते हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने का अधिकार है साथ ही, फिजियोथेरेपी में प्रवेश की प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर यह घोषणा की है कि फिजियोथेरेपी कोर्स में प्रवेश के लिए NEET-UG परीक्षा अनिवार्य होगी। इसमें 1 साल की इंटर्नशिप भी शामिल है। यह बदलाव छात्रों को बेहतर क्लीनिकल अनुभव और रोजगार के अवसर प्रदान करेगा।
इस दौरान उत्तराखंड प्रांतीय भौतिक चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ आलोक त्यागी ने इस निर्णय का स्वागत किया है। साथ ही फिजियोथेरेपिस्टों ,भौतिक चिकित्सक को सम्मान व स्वायत्तता प्रदान करने के इस कदम के लिए भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय का आभार व्यक्त किया है। साथ ही भौतिक चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ आलोक त्यागी ने कहा कि यह बदलाव फिजियोथेरेपी पेशे के विकास में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
इस अवसर पर उत्तराखंड प्रांतीय भौतिक चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर आलोक त्यागी (PT) प्रदेश महासचिव डॉक्टर मनीष रस्तोगी(PT), वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर रमेश (PT), सचिव डॉक्टर रवि जोशी(PT)
उपाध्यक्ष डॉक्टर उड्डयन कुमार(PT), कोषाध्यक्ष डॉक्टर अश्विनी (PT), संगठन मंत्री डॉक्टर विकास धस्माना(PT), संप्रेषक डॉक्टर वसुधा वर्मा(PT), संयुक्त सचिव डॉक्टर सुनील ठाकुर(PT), प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर गौरव(PT) एवं डॉक्टर प्रमोद (PT), डॉक्टर आभा (PT)डॉक्टर मीनाक्षी (PT) आदि ने इस निर्णय का स्वागत किया।
अब फिजियोथेरेपिस्ट को कई महत्वपूर्ण अधिकार और सुविधाएँ दी गई हैं: 1.डॉ. उपसर्ग और PT प्रत्यय: फिजियोथेरेपिस्ट अब अपने नाम के आगे ‘डॉ.’ (Dr) उपसर्ग और नाम के बाद ‘PT’ प्रत्यय (suffix) लगा सकेंगे।( 3.2.3)
2.NEET के माध्यम से प्रवेश: फिजियोथेरेपी कार्यक्रम में प्रवेश अब ‘राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा’ (NEET) के माध्यम से किया जाएगा। (3.4.1)
3.स्वतंत्र प्रैक्टिस का अधिकार: डिग्रीधारी फिजियोथेरेपिस्ट को अब स्वतंत्र रूप से अपनी प्रैक्टिस करने का अधिकार मिलेगा, जैसा कि NCAHP अधिनियम 2021 और पाठ्यक्रम के नियम 3.3.2 में उल्लेखित है।
4.रेडियोलॉजिकल और पैथोलॉजिकल जांच लिखने का अधिकार: फिजियोथेरेपिस्ट को अब रोग निदान (Diagnosis) के लिए रेडियोलॉजिकल, haematological, biochemical आदि, जांच लिखने का अधिकार भी दिया गया है।
यह निर्णय फिजियोथेरेपिस्टों को उनकी पेशेवर भूमिका में अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा और उन्हें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर देगा। इन संशोधित नियमों के अनुसार, अब फिजियोथेरेपिस्ट को स्वायत्तता प्राप्त है, जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकेंगे।

 जानकारी के मुताबिक भारत में फिजियोथेरेपी डिग्री को BPT (Bachelor of Physiotherapy) या DPT (Doctor of Physical Therapy) कहा जाता है, जो MBBS से अलग है।

  1. फिजियोथेरेपी में नीट-यूजी अनिवार्य
  2. डॉक्टर और पीटी लगाना अनिवार्य
  3. हर अस्पताल में फिजियोथेरेपी विभाग

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