आज देशभर में श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा की धूम!

उत्तराखण्डः 26 अगस्त 2024, सोमवार को  आज देशभर में श्री कृष्ण  जन्माष्टमी पर्व की धूम रहीं। वही इस पर्व पर  वृंदावन, मथुरा और इस्कॉन मंदिर में भव्य तरीके से भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव पर्व मनाया गया। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ पूरे देशभर मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था।

इस अवसर पर  वैष्णव संस्कृति में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अनुसार, जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। वहीं, स्मार्त सप्तमी तिथि के आधार पर त्योहार मनाते हैं। वैष्णव अनुयायियों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर की नवमी और अष्टमी तिथि को आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है। श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देर रात को मनाया जाता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देर रात को हुआ था।

इस मौके पर  आध्यात्मिक गुरु डॉक्टर आचार्य बीपिन जोशी ने बताया की श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे रोहिणी में हुआ था। प्रत्येक वर्ष की तरह इस साल भी देशभर में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था।

इसी उपक्ष्य में यह पर्व मनाया मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन घरों और मंदिरों में विशेष रूप से सजावट की जाती है। देशभर के सभी प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में विशेष तरह के आयोजन किए जाते हैं। भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। ऐसे में कृष्ण भक्त इस दिन उपवास रखकर कान्हा की भक्ति में डूबे रहते हैं और रात में 12 बजे श्री कृष्ण के जन्म के बाद विधि पूर्वक पूजा करते हैं और व्रत का पारण करते हैं।

वहीं डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की हर वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पहले दिन साधु-संन्यासी, स्मार्त संप्रदाय हर साल जन्माष्टमी मनाते हैं, जबकि दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय और बृजवासी इस त्योहार को मनाते हैं। स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय अलग-अलग तिथि होने पर अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। जन्माष्टमी की पहली तिथि पर स्मार्त और दूसरी तिथि को वैष्णव संप्रदाय मनाते हैं। स्मार्त इस्कॉन पर आधारित कृष्ण जन्म तिथि का पालन नहीं करते हैं।

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