उत्तराखण्डः 13 फरवरी . 2025, ब्रहस्पतिवार को जानकारी के मुताबिक देहरादून राजधानी में शहर के कौने कौने में मेडिकल स्टोर्स की जांच और कार्रवाई करने के लिए जिले में ड्रग इंस्पेक्टर की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा दून डीएम ने सभी संबंधित अधिकारियों को भी अपने. अपने क्षेत्र में जांच करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन किसी के पास इसके लिए टाइम नहीं है। सूत्रो की माने तो नशीली दवा का कारोबार ग्रामीण क्षेत्रों में भी जा पहुंचा है। वही नियमित रूप से दून में मेडिकल स्टोर्स पर निरीक्षण नहीं होने से दुकान वालों को कोई भय भी नहीं है। ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा साल में ग्रामीण क्षेत्र के एकाध मेडिकल स्टोर्स में कार्रवाई कर कोरम पूरा कर लिया जाता है।
बता देकि देहादून में डीएल रोड, करनुपर क्षेत्र, डालनवाला, के क्षेत्रो में राज्य के सबसे बड़े महाविद्यालय डीएवी कालेज एव डीबीएस कालेज व अन्य शौक्षिक संस्थान खुले है जिसमें इस क्षेत्रो में कई कैमिस्ट/दवा की दुकाने भी है। वही सूत्र बताते है कि कुछ दुकानो पर युवा/छात्र नशे की गोलीयां अन्य नशीली खाद्य पदार्थ मंहगे दामो पर खरीदते है। वही हैरान करने वाली यह मिली कि इन क्षेत्रो में आज तक कोई भी ड्रग इंस्पेक्टर इन दवा की दुकानो पर जांच करने नही आया।
जिस कारण दवा की दुकान वालों को कोई भय भी नहीं है और घड़ल्लो से अवेैध नशे के पर्दाथ बेच रहे है। यह हर जगह मेडिकल स्टोर में आसानी से भी मिल जाते हैं। इसे खाते समय किसी से छिपने की जरूरत नहीं पड़ती। शराब की तरह मुंह से बदबू भी नहीं आती, जिससे नशे के रूप में ऐसी दवा का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे मेडिकल स्टोर्स की जांच और कार्रवाई ड्रग इंस्पेक्टर के द्वारा अब क्यो नही हुई। यह एक बड़ा सवाल है।
थोड़े से फायदे के लिए बेचते हैं मौत? आमतौर पर सभी मेडिकल स्टोर्स संचालक जानते हैं कि किन दवाओंं का उपयोग नशे के लिए किया जाता है इनमें से कुछ दवाएं प्रतिबंधित भी हैं। फिर भी अपने फायदे के लिए वे ये दवाएं बेचते हैं। इससे युवाओं का भविष्य गर्त में जा रहा है। जो दवाइयां प्रतिबंधित नहीं भी हैं, उनके लिए नियमानुसार डाक्टर की पर्ची जरूरी होती है। अपने फायदे के लिए दवा व्यापारी इसका ध्यान नहीं रखते। प्रतिबंधित दवाएं तो कुछ दुकानों में तीन से चार गुने दाम में बिकती हैं। साथ ही बात करे दून अस्पताल क्षेत्र जहां दवा की दुकानो की भरमार है। यह भी चोरी छीपे दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में रहते है।
बता दे कि जिस दवा को बीमारी से निजात दिलाने के लिए बनाया गया है उसका उपयोग युवाओं द्वारा नशे के लिए किया जा रहा है। नशे के लिए बीड़ी, सिगरेट और शराब के अलावा सीरप , इंजेक्शन और टेबलेट का उपयोग हो रहा है। मेडिकल स्टोर वाले अपने थोड़े से फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही ये नशीली दवाएं बेंच रहे हैं।
इस दौरान नए आदेश की उड़ रही धज्जियां- सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन के निर्देश के अनुसार एक नया आदेश जारी किया गया था। जिसके अनुसार नींद की गोली और हैवी एंटीबायोटिक दवा के लिए एमबीबीएस डाक्टर की पर्ची जरूरी हो गई है। इसके कुछ दिन बाद कोई भी दवा के लिए एमबीबीएस डाक्टर की पर्ची अनिवार्य कर दिया था। लेकिन दवा विक्रेताओं द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के मेडिकल की बात छोड़ो शहर के मेडिकल स्टोर्स में भी बिना पर्ची के दवा दी जा रही है।मेडिकल स्टोर पर धड़ल्ले से गर्भपात और नशे की दवाओं की बिक्री की जा रही है। सूत्रो की माने तोड्रग डिपार्टमेंट की मिलीभगत से जिले में अवैध धंधा चल रहा है। विभिन्न रोगों में काम आने वाली कई दवाओं में हल्का नशा भी होता है। लोग इनकी खुराक बढ़ाकर नशा करने में प्रयुक्त करते हैं।
इसके अलावा जानकारी के मुताबिक पेंटविन इंजेक्शन लगाकर भी युवा वर्ग नशा कर रहा है। इंजेक्शन को दस रुपए में बिक्री कर मेडिकल स्टोर के संचालक चांदी काट रहे हैं। नशे के लिए युवा स्पाजमो प्राक्सीवान, एंटी एलर्जिक टेबलेट, नारफिन एंपुल, नाइट्रोसीन टेबलेट, आयोडेक्स व कोरेक्स सीरप का भी उपयोग कर रहे हैं। इनमें से नारफिन व नाइट्रोसीन को तो प्रतिबंधित कर दिया गया है, फिर भी ये मेडिकल स्टोर्स में मिल जाते हैं। रेलवे स्टेशन व ट्रेनों में भटकने और कबाड़ बीनने वाले बच्चों को बोनफिक्स या सुलेशन सूंघने की लत लग गई है।
वही जिसमें युवकों में दिन-ब-दिन नशे को लेकर झुकाव बढ़ता जा रहा है। शराब, सिगरेट, गांजा के साथ अब नशे के लिए युवा नए तरीके भी इजाद कर रहे हैं। दर्द और एलर्जी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई दवाइयों को उपयोग युवा वर्ग नशे के लिए करने लगा है। सूत्रो की माने तो पेंटविन इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप और स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल का नशे के लिए उपयोग किया होता है। नशे के ये सामान मेडिकल स्टोर में 2 रुपए से लेकर 15 रुपए में आसानी से मिल जाते हैं। स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल पेट दर्द से राहत की दवा है। इसकी कीमत 2 रुपए है। युवा एक साथ चार से पांच कैप्सूल खाकर इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं।