उत्तराखंड:15 जून 2025 रविवार को उत्तराखंड कुमाऊँ के नैनीताल जिले का कैंची धाम विश्वभर के श्रद्धालुओं का केंद्र बन चुका है. बाबा नीम करौली महाराज की ओर से स्थापित यह स्थल हनुमान जी को समर्पित है. हर साल 15 जून को यहां स्थापना दिवस मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इस दिन यहां की ऊर्जा, शांति और दिव्यता देखते ही बनती है. इस बार स्थापना दिवस मनाने के लिए कैंची धाम को दुल्हन की तरह सजाया गया है उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में कैंचीधाम आश्रम बाबा नीब करोली महाराज के भक्त हर वर्ष 15 जून के महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं।. इस दिन को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। खास बात यह है कि इस दिन श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में जो प्रसाद दिया जाता है, वह कुछ और नहीं बल्कि मालपुआ होता है और यही प्रसाद अपने आप में एक अनोखी परंपरा और औषधीय मान्यता को दर्शाता है।
साथ ही भक्तों की मान्यता है कि बाबा नीम करौली महाराज को मालपुआ बेहद प्रिय था. बाबा जब भी किसी अनुष्ठान या पूजा में भाग लेते, तो उन्हें विशेष रूप से मालपुए का भोग लगाया जाता था। इस जून में नीब करोली बाबा का आश्रम कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। यहां दूर.दूर से लाखो की संख्या में भक्त आते है। ऐसा बताया जाता है कि नीब करौली बाबा ने स्वयं कैंची धाम की प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन तय किया गया है। तभी से हर वर्ष नैनीताल में कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है।
इस बार 61वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। नैनीताल में स्थित कैंचीधाम में रविवार सुबह से भक्तों की तांता लगा हुआ है। कैंचीधाम में स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। मंदिर के दोनों तरफ श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी हुई है। ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए कैंचीधाम को जीरो जोन में तब्दील किया गया है। इस अवसर पर भक्तों को कैंचीधाम लाने के लिए भीमताल, नैनीताल और हल्द्वानी से शटल सेवा भी शुरू की गई है। साथ ही पार्किंग और पेयजल की भी व्यवस्था की गई है। वहीं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गई है।
वही इस मौके पर मंदिर परिसर का सजीव सजावट इसे अलौकिक बना रहा है. मंदिर का हर कोना श्रद्धा से ओतप्रोत है. फूलों की भव्य सजावट देखते ही आंखें थम जाती हैं. रात को कैंची धाम की सजावट और भी भव्य नजर आती है. मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी LED लाइटों से सजाया गया है. हर इमारत, दीवार और मार्ग रोशनी में नहाया हुआ है. भक्तों के लिए यह दृश्य स्वप्न लोक से कम नहीं. कैंची धाम ट्रस्ट से जुड़े एमपी सिंह बताते हैं कि बाबा ने स्वयं इसे प्रसाद के रूप में निर्धारित किया था। यही वजह है कि आज भी 15 जून के वार्षिक भंडारे में हजारों मालपुए बनाए जाते हैं और भक्तों को वितरित किए जाते हैं।