वही मुख्यमंत्री ने कहा कि ’’श्री अन्न’’ केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं हैं, जहां ’’श्री’’ होता है वहां समृद्धि भी होती है, समग्रता होती है और विजय होती है। इसलिए प्रधानमंत्री जी ने मिलेट्स को ’’श्री अन्न’’ की संज्ञा दी है।’’श्री अन्न’’ भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है इसमें गांव और गरीब जुड़ा है और अब देश का प्रत्येक नागरिक भी इससे जुड़ रहा है। श्री अन्न फसलों में पौषणीय तत्व के साथ-साथ औषधीय गुण भी पाये जाते है।
इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में मिलेट की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित करने और रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है। राज्य के पर्वतीय जिलों के कृषकों से मंडवा, झिंगोरा, चौलाई जैसे मोटे अनाजों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कर रही है साथ ही किसानों को इसका ऑनलाइन भुगतान भी किया जा रहा है। इससे न सिर्फ किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है बल्कि मिलेट उत्पादों के उत्पादन हेतु किसान प्रोत्साहित भी हो रहे है।
साथ ही उन्होनें ने कहा कि प्रदेश में सरकार द्वारा मिलेट फसलों को प्रोत्साहन तथा आम जनमानस के भोजन में सम्मिलित करने हेतु लगभग 73 करोड़ रुपए की धनराशि स्टेट मिलेट मिशन को दी गई है। जैविक कृषि के साथ-साथ राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन योजना का क्रियान्वयन प्रदेश के 11 जनपदों में इस वर्ष से आरम्भ किया जा रहा है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा 6400 हेक्टेयर भूमि पर लगभग 796 लाख के कृषि मिशन कार्यक्रम के संचालन की स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई है।
वही इस मौके पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में प्राचीन काल से ही श्री अन्न की खेती होती थी। देवभूमि उत्तराखण्ड मोटे अनाजों की राजधानी रही है। राज्य में किसानों से मंडुवे को एमएसपी पर लेने एवं इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को जो इन्सेन्टिव देने की व्यवस्था की गई यह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया श्री अन्न के महत्व को समझ रही है। उत्तर प्रदेश में भी पौष्टिक आहारों को तेजी से प्रमोट किया जा रहा है।