उत्तराखण्डः 18- Jan. 2025, शनिवार को देहरादून / राजधानी स्थित आज सूबे के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल देहरादून के नए चिकित्सा अधीक्षक के रूप में डॉ.आरएस बिष्ट को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस दौरान आज शनिवार को दून अस्पताल के नवनियुक्त एमएस डॉ.आरएस बिष्ट ने अपना पदभार ग्रहण विधिवत किया। बता दे कि इससे पहले इसी महीने की 13 जनवरी को डॉ. अनुराग अग्रवाल ने दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से अस्पताल प्रबंधन को MS के नए चेहरे की तलाश थी। जो आज नए MS मिल गये।
इस मौके पर दून अस्पताल के ईएनटी विभाग के चिकित्सक डॉ. आरएस बिष्ट को नए चिकित्सा अधीक्षक के रूप में नियुक्त होने पर बताया कि वे नई जिम्मेदारी संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
इस दौरान नवनियुक्त एमएस डॉ0 आरएस बिष्ट ने अपनी प्राथमिकता में बताते हुए कहा कि सबसे पहले मेरा प्रयास है कि दून अस्पताल में चिकित्सा सुविधाए मरीजो से सुचारू ढंग से प्रदान की जाए। साथ ही उन्होने कहा कि यह जिम्मेदारी काफी बड़ी है, ऐसे में डॉ. बिष्ट को सभी कार्यों की रूपरेखा तैयार कर आगे बढ़ना होगा। जिसमें दून अस्पताल में ही चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर लाने का जल्द ही प्रयास किया जाएगा।
नवनियुक्त एमएस डॉ0 आरएस बिष्ट ने अपनी प्राथमिकता में बताते हुए कहा…
–सफ़ाई 9 बजे से पहले पूरी 2/3/4 hours का रोटेशन शिफ्टवार।
–नर्सेज को मृदुतापूर्ण ब्यवहार की नसीहत।
–कम से १ फैकल्टी हर विभाग में ९ बजे बैठ जाय।
— MRD सेक्शन अपडेट रहे हर बक्त।
–Ayushman कर्मचारी प्रतिदिन भर्ती मरीजों का राउंड लेकर नॉन-आयुष्मान को कन्वर्ट करें
–इमरजेंसी में भर्ती करने में : 30 minutes में सारे स्पेशिलिटी देख लें: १ घंटे के अंदर भर्ती न करने पर वैधानिक कार्रवाई निश्चित।
–Pediatrics के पेशेंट gyn-obs के मरीजों की तरह अलग से देखे जाय।
–पीजी जेआर वाले विभाग नॉन-पीजी जेआर को Emergency में post नहीं करेंगे।
–MSW वार्डों में भर्ती मरीजों के आयुष्मान कार्ड बनायेंगे।
पेशेंट सटिस्फैक्शन के लिए कार्य करेंगे।
बता दे कि डॉ. आरएस बिष्ट श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में दो वर्षों तक बतौर चिकित्सा अधीक्षक सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा वे वर्ष 2019.20 में दून अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। नवनिर्वाचित एमएस डॉण् बिष्ट ने बताया कि वे नई जिम्मेदारी संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। सबसे पहले वे सिस्टम में मौजूद खामियों को रेखांकित कर उन्हें दूर करने की दिशा में काम करेंगे।