इस रामनवमी पर प्राकृतिक रचना और मानवीय संरचना का अनूठा संगम होगा।

विज्ञान का चमत्कार भी रामनवमी को देखने को मिलेगा।

उत्तराखंड/उत्तर प्रदेश: 15 अप्रैल 2024, सोमवार को यूपी अयोध्या में इस राम नवमी के  शुभ अवसर  पर प्राकृतिक रचना और मानवीय संरचना का अनूठा संगम होगा।* राम जन्मोत्सव के दिन रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। इस बुधवार 17 अप्रैल 2024 को दोपहर में ठीक 12:00 बजे राम लला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा। इस दौरान राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम नवमी की खास तैयारी की है।

वहीं जिसमें सूर्य किरणों का यह तिलक 75 मिमी का गोलाकार रूप में होगा। दोपहर 12 बजे सूर्य किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। निरंतर चार मिनट तक किरणें रामलला के मुख मंडल को प्रकाशमान करेंगी।

साथ ही राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रीराम लला का सूर्य तिलक करने की तैयारी संपूर्ण परिश्रम से हो रही है। संभव है कि राम नवमी पर वैज्ञानिकों का प्रयास फलीभूत हो जाए। तकरीबन 100 एलईडी स्क्रीन के माध्यम से इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।

आइये आपको बता दें राम लला का सूर्य तिलक राम जन्मोत्सव पर किस तरह से किया जाएगा…मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूर्य तिलक की खास बात यह है कि यह सिर्फ रामनवमी के दिन ही दिखाई देगा। वैज्ञानिकों ने सूर्य तिलक मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थापित किए हैं जहां ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम में उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण और लेंस के साथ साथ वर्टिकल पाइपिंग की व्यवस्था की गई है।

वैज्ञानिकों द्वारा श्री राम मंदिर के भूतल पर दो मिरर और एक लेंस लगाया गया है। वैज्ञानिकों ने रामलला का सूर्य तिलक के लिए अनूठा सिस्टम तैयार किया है। सूर्य तिलक के लिए जो मिरर, लेंस और पीतल के बने सिस्टम के लिए किसी भी प्रकार के बिजली या बैटरी की आवश्यकता नहीं होगी।

साथ ही वैज्ञानिकों ने इस सिस्टम को सूर्य रश्मियों का तिलक का नाम दिया है। यह सूर्य तिलक रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर 4 मिनट के लिए सुशोभित करेगा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर में रामनवमी पर इस साल सूर्य किरणों का अभिषेक इसी साल नव्य-भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ है। वहीं अब राम मंदिर में विज्ञान का चमत्कार भी रामनवमी को देखने को मिलेगा। जिसमें प्राकृतिक रचना और मानवीय संरचना का अनूठा संगम होगा।

वहीं इस आयोजन को प्रोजेक्ट सूर्य तिलक नाम दिया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के प्रयोग से रामलला के माथे पर सूरज की किरणों से तिलक लगाया जाएगा।

इस बार रामनवमी पर सूरज की किरणें राम मंदिर में विराजमान भगवान श्री रामलला का अभिषेक करेंगी। किरणें 17 अप्रैल को दोपहर ठीक 12 बजे मंदिर की तीसरी मंजिल पर लगाए गए ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम के जरिए गर्भगृह तक आएंगी। यहां किरणें दर्पण से परावर्तित होकर सीधे रामलला के मस्तक पर 4 मिनट तक 75 मिमी आकार के गोल तिलक के रूप में दिखेंगी। इस सूर्य तिलक को देश के दो वैज्ञानिक संस्थानों की मेहनत से साकार किया जा रहा है।

रविवार को दोपहर की आरती के बाद पहला ट्रायल हुआ तो किरणें रामलला के होठों पर पड़ीं। फिर लेंस को दोबारा सेट कर सोमवार को हुआ। तो किरणें मस्तक पर पड़ीं। इससे रामनवमी पर सूर्य तिलक का आयोजन अब तय माना जा रहा है।

वहीं जिसमें वैज्ञानिकों के प्रयास सेवैज्ञानिक उपकरण गर्भगृह के ठीक ऊपर तीसरी मंजिल पर लगाए गए हैं। सूर्य तिलक का एक ट्रायल पूरा हुआ है। आज की स्थिति को देखते हुए विश्वास है कि 17 अप्रैल को रामनवमी पर भगवान में मस्तक पर सूर्य तिलक लगेगा। हम भक्तों के लिए प्रसारण करेंगे।

वहीं जिसमें IIT रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने यह सिस्टम बनाया है। प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक देवदत्त घोष के मुताबिक यह सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें एक रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस, पीतल पाइप से किरणें मस्तक तक पहुंचेंगी।

गियर सेकेंड्स में बदलेंगे किरणों की चाल CBRI के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि रामनवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से तय होती है। सूर्य तिलक तय समय पर हो, इसीलिए सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं, जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलेंगे। बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और पीतल के पाइप बनाए हैं। चंद्र और सौर कैलेंडरों के बीच जटिल अंतर की समस्या का हल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने निकाला है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा था कि रामनवमी पर सूर्य तिलक की तैयारी है। इसका प्रसारण 100 LED स्क्रीन्स से पूरे अयोध्या में होगा। साथ ही 50 क्विंंटल फूलों से श्री राम मंदिर सजेगा।

वहीं श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामजन्म उत्सव की व्यापक तैयारियां की है। ​​​​​​​रामनवमी पर करीब 50 क्विंटल​​​​​​ देसी-विदेशी फूलों से राम मंदिर और पूरे परिसर को सजाया जाएगा।

राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा के अनुसार “राम मंदिर के गर्भ ग्रह के अतिरिक्त सभी पांचों मंडपों रंग, मंडप, नृत्य मंडप, गूढ़ी मंडप प्रार्थना व कीर्तन मंडप समेत बाहरी दीवारों व शिखर, सीडीओ व पर कोट के भागों को फूलों से सुसज्जित किया जाएगा। इसमें देसी-विदेशी करीब 20 प्रकार से अधिक फूल इस्तेमाल किए जाएंगे।

फूल बेंगलुरु और दिल्ली से मंगाए गए हैं। ​​​​​राम मंदिर के साथ ही कनक भवन और हनुमानगढ़ी को भी फूलों से सजाया जाएगा। रामलला के भव्य पोशाक और दिव्य आभूषण के अलावा पूरे मंदिर और 70 एकड़ परिसर को सुगंधित फूलों से सजाया जाएगा।

इस मौके पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन जिस तरह हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई थी, उसी तरह रामनवमी पर यानी 17 अप्रैल को भी पुष्प वर्षा की जाएगी।

 

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