डीएवी में कुलपति ने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व पर जोर दिया

उत्तराखंड:25 मई 2024, शनिवार को राजधानी स्थित डी. ए .वी.(पीजी) कॉलेज, देहरादून में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान 24 तथा 25 मई को आयोजित होने वाली संगोष्ठी में समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु सहित मानव अधिकार आयोग के सदस्य डॉ आर एस मीणा, विशेष अतिथि के रूप में इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ रंजन कुमार जी तथा रजिस्ट्रार प्रो सुनील कुमार उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन में प्रोफेसर शतांशु जी ने उत्तर भारत में दयानंद शिक्षण संस्थान तथा गुरुकुल कांगड़ी के महत्वपूर्ण योगदान की विशेष रूप से चर्चा की, क्योंकि इन संस्थाओं का उदय उस समय हुआ।
जबकि शिक्षा को लेकर जागृति की आवश्यकता थी और इन्होंने एक समाज के एक बड़े वर्ग को जागृत करने का प्रयास किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार जो नीति लागू की गई है उसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को महत्वपूर्ण विषय के रूप में जोड़ दिया गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताते हुए प्रोफेसर सुधांशु ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा इतनी मजबूत है जो भारतीय प्राचीन साहित्य में मजबूती से दिखाई देती है।
मानव अधिकार के आयोग के सदस्य आर एस मीणा ने अपने उद्बोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा पर नए प्रयोगों और भारतीय ज्ञान परंपरा के बढ़ते महत्व पर चर्चा करते हुए डी ए वी कॉलेज की प्रशंसा करते हुए कहा कि कॉलेज में इस तरह की संगोष्ठी का आयोजन कर इसमें एक नई दिशा को दिखाया।
इस मौके पर डॉ रंजन कुमार इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक, जो इतिहास विषय के प्रोफेसर भी हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय ज्ञान परंपरा को बताते हुए कहा कि इस विषय पर काम करना इग्नू ने शुरू कर दिया है। और एक नए कोर्स को भी जल्द ही शुरू करने जा रहे हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की संगोष्ठियां राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को आगे बढ़ाएंगे तथा सरकार के स्तर पर किए जा रहे प्रयासों से निश्चित ही आगे विश्व के पटल पर या भारतीय ज्ञान परंपरा महत्वपूर्ण स्थिति पर अपना स्थान देगी।
वहीं इस संगोष्ठी में स्वागत उद्बोधन कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सुनील कुमार ने दिया। अपने उद्बोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व तथा विशेषज्ञों को इस संगोष्ठी में आने के लिए आभार प्रकट किया l
आज के दो तकनीकी सत्रों में 22 शोध पत्र प्रस्तुत किए गएl जिसमें गुवाहाटी तथा केरल से आई प्रतिभागियों तथा देश के कई अन्य हिस्सों से आये विद्वानों ने अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किया l
वहीं इस कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ राम विनय सिंह द्वारा किया गया। संगोष्ठी के अंत में डॉ रवि शरण दीक्षित ने दो दिवस मैं हुई गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की l
वहीं, सभी आए हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो अशोक श्रीवास्तव, प्रो रंजना रावत, प्रो डी के गुप्ता, डॉ गुंजन पुरोहित, डॉ अनूप मिश्रा, डॉ प्रदीप कोठियाल, डॉ विवेक त्यागी, प्रो सविता रावत, प्रो शशि किरण सोलंकी डॉ अतुल सिंह प्रोफेसर प्रशांत सिंह, प्रोफेसर , प्रो देवना जिंदल शर्मा, प्रो मृदुला सेंगर, प्रो वी बी चौरसिया, डॉ एम एम एस जस्सल, डॉ एस वी त्यागी, डॉ जे एस चांदपुरी, डॉ विमलेश डिमरी एवं अनेक शिक्षक शिक्षिकाएं तथा बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित रहे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.