Dr. सकलानी (सर्जन) ने दो बच्चो को दी नई जिन्दगी, डॉ.ने सच्चे दीनबंधु बनकर आम गरीबों की सेवा की है!

डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप माना जाता है!

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उत्तराखण्डः 11 सितंबर 2024, देहरादून राजधानी के जिला अस्पताल पंडित दीनदयाल उपाध्याय कोरोनेशन अस्पताल में डॉक्टर एस ङी सकलानी प्रमुख सर्जन ने दो बच्चो को दी नई जिन्दगी। बता दे कि कई लोग मानते हैं कि डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप हैं। डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। भगवान ने तो हमें एक बार जीवन दिया है। लेकिन वह डॉक्टर ही है जो भगवान के दिए इस जीवन पर संकट आने की स्थिति में हमारे जीवन की रक्षा करता है।  डॉक्टर ही जीवनदान देते हैं और मरीज़ों के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। अगर धरती पर डॉक्टर नहीं होते तो रोगियों का इलाज संभव नहीं था और मानव जीवन संकट में पड़ जाती।

वही इसी के साथ देहरादून के जिला अस्पताल पंडित दीनदयाल उपाध्याय कोरोनेशन अस्पताल में डॉक्टर एस डी. सकलानी प्रमुख सर्जन ने  इस  अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती दो बच्चे जिनकी आयु 9 साल और 12 साल है। डॉ0 सकलानी द्वारा बड़ा प्लास्टीक सर्जरी ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान की। जिसमें बर्न वार्ड में भर्ती  एक बच्चा अमित नाम आयु 9 साल वह रूद्रप्रयाग गांव  से आया था। इस बच्चे की पूरी छाती जली हुई थी। वही इस बच्चे को बर्न वार्ड में भर्ती किया गया है।

  इस कोरोनेशन अस्पताल में एक महीने से भर्ती इस बच्चे को डॉक्टर सकलानी सर्जन ने उसके पहले मलहम पट्टी कर उसके छाती के बर्न हिस्सो में जख्म को साफ किया और उसके बाद एक बड़ी सर्जरी के माध्यम से उसके थाईज की त्वचा को प्रयोग कर बच्चे की जख्म वाली जगह पर प्रत्यारोपण किया गया। बर्न वाले एरिया को कवर कर बच्चे को नई जिंदगी प्रदान की। वही इस जटिल प्लास्टिक सर्जरी करने के बाद बच्चे के परिजन खुश है। अमित नाम बच्चे के प्लास्टिक सर्जरी में उसका प्रत्यारोपण किया गया जिसमें अब अमित  अच्छा बिल्कुल ठीक है। कुछ दिन में उसको इस अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

बच्चो के परिजानो ने बताया कि बर्न वार्ड राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं देहरादून के अन्य और अस्पताल भी है। लेकिन वहां पर ज्यादा भीड़ होने के कारण इस बच्चे को अस्पताल में समय नही दिया गया। इसके बाद इस बच्चे को जिला अस्पताल कोरोनेशन देहरादून में भर्ती किया गया जिसकी देखरेख अस्पताल के सभी स्टाफ ने बड़ी जिम्मेदारी से की। इस दौरान डॉ0 सकलानी ने बताया कि इस बच्चे का परिजन पहाड़ रूद्रप्रयाग गांव में कृषक है और गरीब परिवार से है जिसकी हर संभव मदद इलाज के दौरान की गई।

वही इसी के साथ इसी बर्न वार्ड में भर्ती फैजल नाम का बच्चा जिसकी आयु 12 साल बताई है। एक साल पहले इस बच्चे की पेट की आंत फट गई थी। जिसे दून राजकीय मेडिकल कॉलेज ,देहरादून में इलाज के दौरान बच्चों की आंत बाहर निकाल के रख दी थी। जिसे इलियोस्टोमी ( ileostomy) कहते हैं। फैजल की पेट की आंत बहार निकली हाथ में लेकर बच्चा एम्स से लेकर का अन्य अस्पताल में भटकता रहा। बताया गया है कि उत्तरकाशी के गांव में बेहद गरीब परिवार से है बताया गया है। कि उसके पिता उत्तरकाशी में भुट्टा बेचकर अपना परिवार का पालन पोषण करते हैं।

लेकिन उसके परिजन को सही इलाज एवं समय नहीं मिलने के कारण इस बच्चे को रेफर करके उनके परिजनों ने जिला अस्पताल कोरोनेश देहरादून भर्ती किया जो की डॉक्टर एस डी सकलानी प्रमुख सर्जन के संपर्क में आए । वही डॉक्टर सकलानी सर्जरी के काम में पहले से ही से माहिर हैं।

वही बच्चे को कोरोनेश अस्पताल देहरादून में भर्ती बर्न वार्ड में किया गया था तब डॉक्टर सकलानी ने इसका इलाज शुुरू करते ही सबसे पहले इसका ग्लोबिन हिमोग्लोबिन चेक किया। बच्चे का हीमोग्लोबिन 6 ग्राम था। और शारीरिक कमजोरी भी थी । जिसे डॉक्टर और स्टाफ ने अच्छी डाइट एंड दूध और हीमोग्लोबिन बढ़ाने जैसे पदार्थ देखकर उसे बिल्डअप किया। जिससे उसका हीमोग्लोबिन बड़ा बढ़ गया । साथ ही फैजल बच्चा 7 दिनों सर्जरी लायक हुआ उसके बाद उसकी सर्जरी कर बच्चे के पेट की आंत जो बाहार निकली हुई थी उसको वापस अंदर पेट में जगह बनाकर सेट कर दी गई है।

इसी के साथ डॉ0 सकलानी ने बताया कि फैजल बच्चे का स्वास्थ्य भी धीरे.-धीरे ठीक हो रहा है दो-.चार दिन बाद उसकी नाक से नल की भी निकाल दी जाएगी। और और फिर यहां फैजल बच्चा पहले की तरह खाना पीना और शौचालय जा सकेगा। बच्चे को जल्द ही अस्पताल से छुट्टी भी दे दी जाएगी। डॉक्टर सकलानी ने बताया कि इस बच्चे को चाइल्ड हेल्पलाइन उत्तरकाशी के माध्यम से यह बच्चा मेरे पास आया था जिसकी हर संभव मदद के साथ उसका इलाज किया गया।

आपको बता देकि चिकित्सक सच्चे दीनबंधु बनकर आम गरीबों की सेवा संहिता से उपलब्ध हो कर दिन.रात करते रहते हैं। इस जीवन पर संकट आने की स्थिति में हमारे जीवन की रक्षा करता है। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां डॉक्टरों ने भगवान से भी बढ़कर काम किया है और कठिन ऑपरेशन के बाद मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुके लोगों की जान बचाई है। हालांकि अब इस पेशे का अब व्यावसायीकरण हो गया है, लेकिन आज भी उनके मन में लोगों की सेवा करना ही मुख्य लक्ष्य होता है।

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