भगवान के अपने देश कहे जाने वाले केरल के वायनाड पर टूटा कहर

केरल। भगवान का अपना देश कहे जाने वाले केरल के वायनाड इलाके में कुदरत के कहर का पहाड़ टूट पड़ा है। अपने खूबसूरत प्राकृतिक नजारों के लिए मशहूर वायनाड पर ऐसी प्राकृतिक आपदा आई है कि यह इलाका देखते ही देखते तहस नहस सा हो गया है। हम आपको बता दें कि वायनाड जिले में मंगलवार तड़के कई जगहों पर हुईं भूस्खलन की घटनाओं में 50 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। बड़ी संख्या में लोग घायल हैं और सैंकड़ों अन्य लोगों के अभी भी मलबे में फंसे होने की आशंका है।

भूस्खलन की घटनाएं तड़के हुईं जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका भी नहीं मिल पाया। लोग फोन पर मदद की गुहार लगाते और बचावकर्मी मलबे से लोगों का निकालने की कोशिशों में जुटे हुए दिखे। जिलाधिकारी मेघाश्री डी आर के अनुसार, मृतकों की संख्या 50 हो गयी है। उन्होंने बताया कि चूरलमाला में भूस्खलन में 36 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, चेलियार नदी में बहे नौ लोगों के शव मलप्पुरम में बरामद किए गए। मृतकों के शवों को पहचान तथा पोस्टमार्टम के लिए विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघरों में ले जाया गया है। प्राधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित इलाकों में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांव शामिल हैं। जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि करमन्थोडु नदी पर बाणासुर सागर बांध के द्वार खोल दिए गए हैं और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है।

बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। भारतीय सेना भी बचाव अभियान में शामिल हो गयी है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अलावा पुलिस तथा दमकल कर्मियों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया है। भूस्खलन से तबाह हुए मकानों और मलबे के ढेर के नीचे फंसे होने के बाद लोग लगातार फोन कर मदद की गुहार लगाते रहे। टेलीविजन चैनलों ने कई लोगों की फोन पर बातचीत प्रसारित की जिसमें वे रो रहे थे तथा किसी से आकर उन्हें बचाने का अनुरोध कर रहे थे क्योंकि वे या तो अपने घरों में फंस गए या पुलों के बह जाने तथा सड़कों के जलमग्न होने के कारण उनके पास वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है।

हम आपको बता दें कि भूस्खलन ने तबाही के निशान छोड़े हैं। कई मकान जमींदोज हो गए हैं, नदियां उफान पर हैं और कई पेड़ उखड़ गए हैं। सोमवार तक अपने मनोरम दृश्यों के लिए मशहूर मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांवों की अब भूस्खलन की चपेट में आने के बाद तस्वीर बदल गई है और अन्य हिस्सों से उनका संपर्क टूट गया है। बाढ़ के पानी में बहे वाहनों को कई स्थानों पर पेड़ों की टहनियों में फंसे और यहां-वहां डूबे हुए देखा जा सकता है। उफनती नदियों ने अपना मार्ग बदल लिया है और वे रिहायशी इलाकों में बह रही हैं, जिससे और विनाश हो रहा है। पहाड़ियों से लुढ़कते बड़े-बड़े पत्थर बचावकर्मियों के रास्ते में बाधा पैदा कर रहे हैं।

इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा है कि केरल के पर्वतीय वायनाड जिले में विनाशकारी भूस्खलन के बाद राज्य सरकार के साथ समन्वय कर राहत व बचाव अभियान चलाया जा रहा है तथा इसमें सेना एवं वायु सेना से लेकर सभी सुरक्षा व सहायता एजेंसियों की मदद ली जा रही है। केरल में हुई इस आपदा को लेकर राज्यसभा में सभी दलों की ओर से चिंता प्रकट किए जाने के बाद उच्च सदन के नेता व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि वहां स्थिति सामान्य करने के लिए केंद्र सरकार कोई कमी नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत बड़ी त्रासदी है और इससे केवल केरल ही नहीं बल्कि पूरा देश द्रवित है। सभी दुखी हैं। यह एक प्राकृतिक आपदा है। प्रधानमंत्री, सक्रियता के साथ हर आवश्यक कदम उठा रहे हैं। जो भी आवश्यक है किया जा रहा है। जो भी जरूरतें होंगी, सब पूरी की जाएंगी।’’

वहीं संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), केंद्रीय बलों, सेना और यहां तक की वायु सेना को भी बचाव व राहत अभियान में लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान फिलहाल बचाव व राहत पर है और फिर उसके बाद पुनर्वास सहित अन्य मोर्चों पर लगा जाएगा।

इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से फोन पर बात कर केरल में भूस्खलन प्रभावित वायनाड में सेना द्वारा चलाए जा रहे बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने वायनाड में स्थिति को लेकर सेना प्रमुख से फोन पर बात की। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सेना को आज सुबह केरल में स्थानीय प्राधिकारियों को सहायता मुहैया कराने का अनुरोध मिला था। इसके बाद सेना ने अपनी टुकड़ियों को वायनाड भेजा। उन्होंने बताया कि सेना ने अभी तक चिकित्सा कर्मियों समेत करीब 225 कर्मियों को बचाव अभियान में तैनात किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूस्खलन की घटनाओं में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को संकट से निपटने के लिए केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वायनाड में कुछ जगहों पर भूस्खलन की खबर से व्यथित हूं। मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजन को खोया है और जो घायल हुए हैं, मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। प्रभावित लोगों की मदद के लिए बचाव अभियान जारी है।’’ मोदी ने लिखा, ‘‘केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से बात की और वहां उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया।’’

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने राज्य से संबंध रखने वाले दो केंद्रीय मंत्रियों-सुरेश गोपी और जॉर्ज कुरियन से भी मौजूदा स्थिति पर बात की। उन्होंने बताया कि मोदी ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से क्षेत्र में राहत कार्यों में मदद के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को भी भेजने को कहा। इस बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री ने वायनाड में हुए हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।”

दूसरी ओर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केरल के वायनाड में भूस्खलन के कारण कई लोगों की मौत पर दुख जताया और राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से बात कर राहत एवं बचाव कार्य के लिए सभी एजेंसियों के साथ समन्वय सुनिश्चित करने तथा एक नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का आग्रह किया। राहुल ने कहा कि वह हर संभव सहायता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी बात करेंगे। हम आपको बता दें कि राहुल ने पिछली लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व किया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वह रायबरेली के साथ वायनाड से निर्वाचित हुए थे, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया। अब वायनाड से उपचुनाव में उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। बताया जा रहा है कि पार्टी के नेताओं के साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा भी वायनाड के दौरे पर जाएंगी।

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