संगतो की आस्था का उमड़ा सैलाब, आज फिर गूंज उठा ऐतिहासिक “डेरादून” से देहरादून !

देहरादून/उत्तराखण्ड: 12 MARCH.. 2023, खबर… राजधानी से रविवार को  बता दे कि एक दिन पहले दून के ऐतिहासिक श्री दरबार साहिब, श्री झंडाजी मेला आयोजन समिति की ओर से 11 मार्च 2023 शनिवार को देर शाम तक सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। वही इस दौरान श्री दरबार साहिब परिसर में समिति की ओर से LID स्क्रीन की व्यवस्था भी की गई है। इस पर मेले का प्रसारण किया जाएगा। बता दे कि हर साल गुरु राम राय दरबार जी का जन्मदिन बड़े उत्साह के साथमानते हैं। यह देश विदेश से संगते पांच पहले ही पहुंचना शुरू हो जाती है। आस्था का यह श्री दरबार साहिब, श्री झंडाजी मेला लाखो संगतो को यहां खींचे चले आते है। बता दे कि श्री गुरु राम राय ने वर्ष 1676 में दून में डेरा डाला था। दून का नाम पहले डेरादून और फिर बाद में देहरादून पड़ा। यहां आज फिर आस्था का उमड़ा सैलाब, आज फिर गूंज उठा ऐतिहासिक डेरादून…!

वही आज रविवार को होली के पंाचवे दिन देहरादून का ऐतिहासिक श्री झंडेजी मेले का शुभारंभ में सबसे पहले सुबह 7.00 amबजे से पुराने श्री झंडेजी को उतारने की प्रक्रिया विधि विधान व परंपरागत से शुरू की गई। और फिर इसके साथ दोपहर 2.00 बजे से 4.00बजे के बीच दरबार साहिब के सज्जादानशीन महंत देवेंद्र दास महाराज की अगुआई में श्री झंडेजी की आरोहण प्रक्रिया चली। जिसके बाद शाम 4ः10pm मिनट पर झंडे जी का आरोहण हुआ। इस दौरान लाखो की संख्या में संगतो की जय जयकार से पूरा दरबार साहिब गूंज उठा। वही 15 दिन चलने वाले इस मेले में इस बार करीब 10 लाख से अधिक लोगों की आने की उम्मीद है। सही माने तो झंडा जी का चढ़ना मानो तो देहरादून के अस्तित्व को याद करना।

वही इस पवित्र अवसर पर इस वर्ष 2023 पर श्री झंडेजी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का मौका पंजाब के परिवार को अवसर मिला। वही जिसमें गिलाफ चढ़ाने इस परिवार की सुख.समृद्धि के लिए संसार सिंह ने 30 साल पहले श्री झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की मन्नत मांगी थी। वही अब 30 साल के बाद संसार सिंह इस समय अपनी बेटी के पास अमेरिका में हैं। वही जब संसार सिंह 80वर्ष आयु को पता चला कि इस बार गिलाफ चढ़ाने के लिए उनके परिवार का नंबर आया है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मिली ताजा जानकारी के अनुसार श्री झंडेजी पर 3 तरह के गिलाफों का आवरण होता है। सबसे भीतर की ओर सादे गिलाफ चढ़ाए जाते हैं।  इनकी संख्या 41 होती है। मध्यभाग में शनील के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं, इनकी संख्या 21 होती है। सबसे बाहर की ओर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है। वही दर्शनी  गिलाफ  की संख्या एक होती है। इस वर्ष 2023  पर जालंधर के संसार सिंह के परिवार कोश्री झंडेजी पर  दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

और आज देहरादून में झंडे जी के आरोहण का लाइव प्रसारण उन्होंने अमेरिका से ही फोन पर देखा। उन्हेे यकिन नही हो रहा कि 30वर्ष कैसे बीत गए और आज यह शुभ दिन उनके लिए कितना महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक बन गया। यहां इस बार पहली बार क्यूआर कोड स्कैन कर श्री झंडेजी मेले का लाइव प्रसारण मोबाइल पर भी देखा जा सका।

यह देहरादून में हर साल इस झंडे जी के दर्शन के उत्सव में उत्तर भारत और पश्चिम भारत से काफी लोग दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही प्राप्त जानकारी में महिमाप्रकाश जो कि उदासीन परंपरा की धार्मिक किताब है। मान्यता है की जब भी कोई व्यक्ति अपने जीवन मे चल रही समस्या का जवाब नहीं ढूंढ पता है तो वह यहां आकर अगर अपनी समस्या को सच्चे दिल से पढ़ता है और किताब का कोई भी पन्ना खोलता है। तो उस पर उसे उसका जवाब मिलता है। इस मौके पर ऐतिहासिक मेले में शीश नवाने और श्री गुरु राम राय महाराज का आशीर्वाद लेने के लिए देश.विदेश से लाखों की संख्या में संगतें हर साल देहरादून पहुंचती हैं। संगतों को साल भर इस पावन बेला के साक्षी बनने का इंतजार रहता है।

इस दौरान जनपद देहरादून की डीएम श्रीमति सोनिका ने श्री दरबार साहिब पहुंचकर मेला आयोजन की व्यवस्थाएं देखीं। उन्होंने महंत देवेंद्र दास महाराज से भेंट की और श्री झंडा साहिब पर माथा टेककर आशीर्वाद लिया। वही इस अवसर पर दरबार सहिब में श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के ब्लड बैंक और महाकाल सेवा समिति के सहयोग से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाया गया।  वही इससे पहले देहरादून में दरबार साहीब के महंत देवेंद्र दास महाराज ने श्री झंडेजी मेले की पूर्व संध्या पर आयी संगतों को गुरुमंत्र दिया मेले हमें जोड़ने का कार्य करते हैं, आपसी सद्भाव और भाईचारे को बढ़ाने का काम करते हैं।।

देहरादून का ऐतिहासिक श्री झंडेजी का इतिहास बताता है कि श्री गुरु राम राय महाराज को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। गुरु राम राय महाराज सिखों के सातवें गुरु गुरु हर राय के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवें दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर (अब रोपड़) के कीरतपुर में हुआ था।बता दे कि श्री गुरु राम राय ने वर्ष 1676 में दून में डेरा डाला था। दून का नाम पहले डेरादून और फिर बाद में देहरादून पड़ा।

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