केजरीवाल की जमानत पर उठे रहे सवाल..?

नई दिल्ली/ उत्तराखंड:11 मई,2024 को दिल्ली सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी में बुद्धिजीवी का कहना है कि

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आंतरिम जमानत मिल गई ‘ यह उनके लिए सुप्रीम’ राहत: है। अब  केजरीवाल चुनाव प्रचार के लिए जेल से बाहर ,01 जून 2024, तक अंतरिम जमानत पर रहेंगे। ED की अनेक न्यायिक और वैधानिक दलीलों के उपरांत भी केजरीवाल को जमानत मिल गयी..! तो प्रश्न उठता है कि क्या यह प्रकरण भविष्य के लिए नजीर नहीं बनेगा!

अब इसी तरह .,! इसी तरह हेमंत सोरेन को भी जमानत दो…!, साथ ही मनीष सिसौदिया को भी जमानत दो… ,लालू प्रसाद यादव को भी जमानत दो… ,कविता को भी जमानत दो…, सीएम ममता के सारे मंत्रियों को भी जमानत दो…, सारे नेता जो जेल में हैं सबको जमानत दो…, इन सारे लोगों के लिए भी चुनाव है और इनका भी चुनाव प्रचार का अधिकार है..!

इस दौरान पूरे देश के जेलो केे सारे क़ैदियों को भी जमानत दो..! उनका भी वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार है, सब के लिए समान विधान क्यों नहीं? क्या केजरीवाल संविधान से उपर है! या ‘सरकार भले कोई हो सिस्टम तो हमारा ही चलेगा’ वाली कहावत चरितार्थ तो नहीं हो रही!

वहीं जिसमें बुद्धिजीवी का मानना है कि देखा जाय तो सामान्य रूप से नेताओं पर केस दर्ज करना ही कठिन है। जब कोई बड़ा ही विधि विरूद्ध प्रकरण होगा तब जा कर कानूनी कार्यवाही होती है। फिर भी नेता जमानत पर घूम सकते हैं, जेल से सरकार चला सकते हैं।तो वहीं से चुनाव लड़ सकते हैं! उन्हें पेरोल और जमानत मिल सकती है,

लेकिन जन साधारण पर कोई छोटा-सा केस भी दर्ज हो तो सरकारी नौकरी छोडिए उन्हें चरित्र प्रमाण पत्र तक नहीं मिल पाता। क्या इससे नहीं लगता कि न्याय पक्षपात पूर्ण है? क्या जमानत देने से पहले कोर्ट को विचार नहीं करना चाहिए कि जो व्यक्ति 170 फोन तोड़ चुका है सबूत मिटाने के लिए, सबूत न मिलें इसलिए अपने फोन का पासवर्ड नही दे रहा है, वह बेल पर आकर, बाहर बचे हुए साक्ष्यों को क्यों नष्ट करने का प्रयास नहीं करेगा!

न्यायालयों पर विश्वास बना रहे इसलिए न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए। केजरीवाल को बेल मिलते ही देश भर में तीखी प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है।

यह बड़ी बिडम्बना देखिये केजरीवाल संभवतया ऐसा उदाहरण है जिसने सौ करोड़ के शराब घोटाले जैसे प्रकरण में आरोपी होते गिरफ्तारी के बावजूद अपने पद से त्यागपत्र नहीं दिया। जबकि इससे पूर्व भारत के सभी नेताओं ने किसी प्रकरण में गिरफ्तार होने पर नैतिकता के आधार पर अपने पद से त्यागपत्र दिया है। भले ही कमान अपनी पत्नी को दी हो। लेकिन इस कट्टर इमानदार व्यक्ति में तो इतनी भी नैतिकता नहीं दिखी।

देश में अनेक व्यक्ति मुख्यमंत्री रहते न्यायिक अभिरक्षा में जेल गये। लेकिन केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अनेक देशों और संगठनों की अनावश्यक छटपटाहट व भारत विरोधी बयानबाजी भी गंभीर शोधजन्य है कि उनकी छटपटाहट का कनैक्शन क्या हो सकता है।

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