14 अप्रैल को “ज्ञान दिवस पर बाबा साहेब को शत् शत् नमन!

उत्तराखंड :14 अप्रैल 2024, रविवार को आज भारतीय संविधान” के निर्माता और “सामाजिक रूप से उत्पीड़ित” लोगों के हित के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर करने वाले नायक को शत् शत् नमन एवं श्रद्धांजलि।

आज 14 अप्रैल के दिन हर साल “अंबेडकर जयंती” मनाई जाती है, जिसे “भीम जयंती” भी कहा जाता है। यह दिन स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की याद में मनाया जाता है। अक्सर ‘भारतीय संविधान के ‘ जनक’ कहे जाने वाले अंबेडकर रविवार, 14 April, यानी के आज अपना 134वां जन्मदिन मनाएंगे।

‘अंबेडकर जयंती’ को ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है। डॉ. अंबेडकर कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले दलित थे। अंबेडकर जयंती पर पूरे देश में डॉ. अंबेडकर की याद में बड़े-बड़े जुलूस और रैलियां निकाली जाती हैं।

लेकिन “नागपुरियों” और दलितों के लिए यह एक त्योहार की तरह माना जाता है। भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी इस दिन का बहुत महत्व है। संयुक्त राष्ट्र भी इस दिन को मनाता है।

वे एक महान भारतीय नेता, दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। डॉ. अंबेडकर ने अपना जीवन दलित वर्ग के उत्थान और समाज में उन्हें उचित सम्मान दिलाने में समर्पित कर दिया। वे कम उम्र से ही दलित वर्ग के उत्थान के लिए कुछ करने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। खुद दलित होने के कारण, उन्होंने कम उम्र से ही उनके साथ भेदभाव का अनुभव किया।

इस उद्देश्य के लिए उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने अपार प्रशंसा अर्जित की और कई सुधार लाए। कोई आश्चर्य नहीं कि इस महान आत्मा को एक विशेष दिन समर्पित किया गया है। अंबेडकर जयंती को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है और हर साल इसे बड़े जोश, उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

बाबा साहेब एक भारतीय विधिवेत्ता, एक न्यायप्रिय राजनीतिक नेता, दार्शनिक, मानवविज्ञानी, इतिहासकार, महान वक्ता, अर्थशास्त्री, रचनात्मक लेखक, क्रांतिकारी और भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुत्थानवादी भी थे। वे भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष भी थे।

डॉ. अंबेडकर के ऐसे सभी उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। डॉ. अंबेडकर द्वारा अध्ययन किये गए विषयों की विशाल संख्या से प्रभावित होकर, महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की कि उनकी जयंती 14 अप्रैल को “ज्ञान दिवस” के रूप में भी मनाया जाएगा।

भारत में जाति से दलित अंबेडकर इस बात से परेशान थे कि दूसरी जातियों के लोग उनकी जाति के लोगों को किस तरह से नीची निगाह से देखते थे। उन्होंने जुलूस और विरोध प्रदर्शन करके इस अन्याय के खिलाफ लड़ने का फैसला किया।

साथ ही दलित वर्ग के लोगों को “अछूत” भी कहा जाता है। ये लोग सफाई और झाड़ू लगाने जैसे तुच्छ काम करते हैं और उनके साथ बहुत भेदभाव किया जाता है। यहां तक कि जो लोग पढ़ाई करके सफाई और झाड़ू लगाने के अलावा कोई और काम कर लेते हैं, उन्हें भी दलित ही माना जाता है । क्योंकि उनके पूर्वज इन कामों में लिप्त थे। हालांकि, डॉ. अंबेडकर द्वारा किए गए आंदोलनों के बाद इन लोगों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। आज 14 अप्रैल को “ज्ञान दिवस पर बाबा साहेब को शत् शत् नमन!

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