उत्तराखंड में 15 जून को देश-विदेश से लाखों भक्त चमत्कारिक अद्भुत कैंची धाम दिवस पर पहुंच रहे!

देहरादून/उत्तराखण्ड:11 JUNE.. 2023, खबर… राजधानी से देवभूमि उत्तराखंड के (कुमांऊ)  नैनीताल जनपद स्थित भवाली में 15 जून को देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और यहां पर देश-विदेश से बाबा नीम करौली के भक्त आते हैं। 15 जून को इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम में 15 जून को स्थापना दिवस के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।  इस मेले में लाखों श्रद्धालु आते है।   जिसको देखते हुए प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। कैंची मार्ग पर वाहनों की आवाजाही के लिए समय तय कर दिया गया है।  कहते हैं 1964 में इसी दिन कैंची धाम में आश्रम बाबा नीम करोली ने हनुमान मंदिर में प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थी।  वही बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था।  प्रसिद्ध संतों में से एक है।   बाबा नीम करोली के चमत्कार अद्भुत है।

देश-विदेश से हजारों भक्त यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। मान्यता है कि नीम करोली बाबा को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं. नीम कोरली बाबा के कई ऐसे चमत्कार है जिन्हें सुनकर आज भी भक्त हैरान रह जाते है।   बाबा नीम करोली के वरदान से यहां आने वाला भक्त अपनी झोलियां भरकर ही जाता है।  नीम कोरली बाबा के कई ऐसे चमत्कार है जिन्हें सुनकर आज भी भक्त हैरान रह जाते है।

वही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से  लेकर फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग भी नीम करौली बाबा के महिमा के गुणगान करते हैं। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। यहां बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है।देवभूमि उत्तराखंड के कुमांऊ नैनीताल जनपद स्थित भवाली में कैंची धाम में बड़ी.बड़ी हस्तियां आज भी बाबा नीम करोली का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम पहुंचती है।

आइए जानते हैं उनके उस चमत्कार की कहानी। इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है,  यहां 5 देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इनमें हनुमानजी का भी एक मंदिर है।

बाबा नीम करोली हनुमानजी के परम भक्त थे और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के कई मंदिर बनवाए थे।  यह एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता। यहां बाबा का समाधि स्थल भी है।नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है। नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है। बाबा हमेशा कंबल ही ओड़ा करते थे।

आज भी लोग जब उनके मंदिर जाते हैं तो उन्हें कंबल भेंट करते हैं।रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर ‘मिरेकल ऑफ़ लव’ नामक एक किताब लिखी इसी में ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ नाम से एक घटना का जिक्र है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए और देवप्रयाग एवं नैनीताल में बादल फटने के बाद हुई तबाही के चलते अनिश्‍चितकाल के लिए कैंची धाम को दर्शन के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर समिति व जिला प्रशासन ने मंदिर में 15 जून को मेले का पर्व नजदीक आने और श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और आपदा को देखते हुए मंदिर का गेट बंद करने का फैसला लिया है।
फिलहाल अनिश्चितकाल के लिए मंदिर के कपाट को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है। उन्होंने श्रद्धालुओं से घरों में रहकर ही पिछले वर्ष की तरह बाबा को भोग लगाने की अपील की है।बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे। हाल ही में उनका निधन हो गया है।

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