*इधर डां0 दून अस्पताल छोड़ कर जा रहे, उधर प्राचार्य लंबी-लंबी छोड़ रहे!

देहरादून/उत्तराखण्ड: 02. मई–2024: खबर…. राजधानी से  सूबे के सबसे बड़े  राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय देहरादून अक्सर सुर्खियो पर बना रहता है। इस अस्पताल में आए दिन कोई न कोई शिकायते या फिर मरीजो के साथ डाक्टरो द्वारा इलाज में लापरवाही एवं उनकी बे रूखी व्यवहार कि शिकायते मिलती रहती है।

वहीं इस समय बढ़ती गर्मी के बीच दून अस्पताल में रोजाना 2500 से 3000 के करीब मरीज ओपीडी में आते हैं। इस दौरान डेंगू ,मलेरिया, चिकनगुनिया, बुखार, आदि मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। वहीं इस वक्त दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर छोड़कर क्यों जा रहे हैं?

प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ.मनोज बिस्वास (सर्जन) ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है।

साथ ही यूरोलॉजी विभाग के की मरीजों की सर्जरी होनी थी। यह मरीज सर्जरी हेतु लंबे इंतजार में आस लगाए बैठे थे। लेकिन यह सर्जरी के मरीजों को अधूरा छोड़ बिन बताए दून अस्पताल को छोड़कर चले गए। हालांकि इससे पहले भी कई डॉक्टर दून अस्पताल को बीच मजदार में छोड़ कर भाग चुके हैं।

इस पर कई तीमारदारों का कहना है कि हम ऐसे में अपने मरीज को कहां लेकर जाएंगे , प्राइवेट सेक्टर में तो हमारा इलाज करने की क्षमता नहीं है। इस सरकारी मेडिकल अस्पताल से हमें कई उम्मीद में रहती हैं। क्योंकि हम लोग प्राइवेट अस्पतालों में महंगे इलाज नहीं कर सकते हैं।

बड़ी हैरानी की बात है कि इस दून मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर छोड़ छोड़ कर जा रहे हैं। और स्वास्थ्य विभाग कैसे चुपचाप आंखें मूंदे बैठा है क्या इन्हें भर्ती करने से पहले कोई एग्रीमेंट नहीं किया जाता।

इस दौरान मरीज के तीमारदारों का कहना है कि हमारी ऊपर तक ना तो कोई पहुंच है और ना ही हमारी कोई सुनता है।
साथ ही मरीज को तीमारदारों का कहना है कि यहां पर तो प्राचार्य से लेकर एमएस/ डिप्टी एम एस सभी वीआईपी /बड़े लोगों की और आव भगत में ही व्यवस्था करते रहते हैं। गरीबों की कोई सूध नहीं ली जाती

वहीं दूसरी ओर सूत्र बताते हैं कि इस दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य प्रो./डां. आशुतोष सयाना अपनी लंबी लंबी छोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर के जाने से मरीजों के इलाज में कोई दिक्कत नहीं होगी। दूसरा एक डॉक्टर है इलाज के लिए।

लेकिन यह सोचने वाली बात है कि ऐसी गर्मी के मौसम में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए एक अकेला डॉक्टर कितने मरीज को इलाज कर पाएगा । और क्या इलाज भी पुख्ता हो पाएगा या नहीं यह तो भगवान ही जाने है।

यहां सच्चाई यही है कि डॉक्टरों की कमी झेल रहा राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अपनी कमियों को पर्दा डालता दिख रहा है।जबकि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की फैक्ट्री कही जाती है।

आपको बता दे अभी तो 10 मई से चार धाम यात्रा शुरू होने वाली है। मैं जिसमें डॉक्टरों की ड्यूटी भी श इस चार धाम यात्रा में लगने वाली है। जिलों के डॉक्टर इस यात्रा में रहेंगे। वहीं स्वास्थ्य विभाग की हालत गंभीर होने वाली है।  

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