देहरादून/उत्तराखण्ड: 02-FEB.. 2023, खबर… राजधानी से गुरूवार को प्राप्त जानकारी के मुताबिक देहरादून स्थित एक होटल में उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय एवं एससीईआरटी द्वारा आयोजित एनईपी-2020 के क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। वही इस सत्र 2024 में शुरू होते ही बच्चों की पीठ पर बस्तों का बोझ लादना कम होने वाला हैं।भविष्य उज्ज्वल करने वाली पुस्तकें ही अगर स्कूली बच्चों पर सितम ढाने लगे तो बच्चे उन पर ध्यान कैसे लगा पाएंगे। वही इस मौके पर शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने कहा कि उत्तराखंड में बच्चों के बस्तों से बोझ होगा कम, स्कूलों में एक दिन ‘नो बैग डे’ लागू करने की तैयारी पर उत्तराखण्ड सरकार इस कदम में बड़ा कदम उठाने वाली है।
वही कार्याक्रम के दौरान डॉ0 धनसिंह रावत शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने कहा कि उत्तराखंड के स्कूलों में बच्चों को भारी-भरकम बस्ते के बोझ से राहत दी जा सकती है. इसके लिए सभी शिक्षा बोर्ड के साथ विचार-विमर्श कर कोई तरीका खोजा जा रहा है। जिससे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सके। इसके साथ ही स्कूली बच्चों का तनाव कम करने के उद्देश्य से माह में एक दिन बैग फ्री डे घोषित किया जा सकता है। यानी इस दिन बच्चे बैग लेकर नहीं जाएंगे। इस दिन केवल अन्य गतिविधियां कराई जाएंगी।
वही स्कूली सफर,भारी भरकम बैग बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। बच्चों की पीठ पर क्षमता से अधिक वजन को चिकित्सक उनके स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक बता रहे हैं। स्थिति कुछ एेसी हो गई है कि किताबों का वजन बच्चों की उम्र के बराबर ही है। भविष्य उज्ज्वल करने वाली पुस्तकें ही अगर स्कूली बच्चों पर सितम ढाने लगे तो बच्चे उन पर ध्यान कैसे लगा पाएंगे। स्कूली सफर,भारी भरकम बैग बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। बच्चों की पीठ पर क्षमता से अधिक वजन को चिकित्सक उनके स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक बता रहे हैं। स्थिति कुछ एेसी हो गई है कि किताबों का वजन बच्चों की उम्र के बराबर ही है।
वही बाल रोग विशेषज्ञों के मुताबिक , भारी स्कूल बैग बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने कहा कि भारी स्कूल बैग से बच्चों की पीठ पर बोझ पड़ता है जिससे उनको पीठ दर्द होना शुरू हो जाता है। इस कारण बच्चों को भविष्य में कई गंभीर बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है।
वही इस मौके पर शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने कहा कि स्कूलों में बच्चों के भारी-भरकम बस्तों का बोझ कम करने के लिये राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्ड के साथ विचार-विमार्श कर कोई तरीका निकाला जायेगा, जिससे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सके। वही इस दौरान शिक्षा मंत्री डॉ0 रावत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्कूली बच्चों के बस्तों का बोझ उनके वजन से भी ज्यादा बढ़ गया है, जिसको कम करना उनके सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक हो गया है।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्डों के अधिकारियों एवं शिक्षाविदों के साथ विचार-विमर्श कर बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने का कोई नया तरीका निकालना होगा। साथ ही उन्होनें ने कहा कि इसी के साथ स्कूली बच्चों का तनाव कम करने के उद्देश्य से माह में एक दिन बैग फ्री डे निर्धारित करते हुये उनसे स्कूलों में अन्य गतिविधियां कराई जा सकती है। इसके लिये चाहे बच्चों के पाठ्यक्रम को त्रिमासिक एवं अर्द्धवार्षिक के हिसाब से बांटते हुये पाठ्य पुस्तकों एवं नोट बुक्स का चयन भी किया जा सकता है। वही बच्चों को जल्द ही भारी भरकम स्कूल बैग से निजात मिलने वाली है। इस पर उत्तराखण्ड सरकार इस कदम में बड़ा कदम उठाने वाली है।