धामी का धाकड़ मास्टर स्ट्रोक, रचा इतिहास..जानें मुख्य बातें!

देहरादून/उत्तराखण्ड: 06 Feb.–2024: खबर…. राजधानी से मंगलवार को देहरादून स्थित विधानसभा उत्तराखण्ड में आज विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सबसे अहम धामी सरकार का धाकड़ बिल पेश हुआ जिसपर देश के कई राज्यों की नजर लगी हुई थी। वहीं जिसमें उत्ताखण्ड विधानसभा सदन में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत के संविधान की मूल प्रति और समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट की प्रति के साथ विधानसभा की कार्यवाही के लिए सदन में पहुुचे जिसे देख विपक्ष के नेताओं में खलबली मच गई। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर विधेयक या बिल का इंतज़ार काफ़ी समय से हो रहा था क्योंकि उत्तराखंड की विधानसभा देश की ऐसी पहली विधानसभा है जिसमें यूसीसी से जुड़ा कोई विधेयक पेश किया गया हो। गोवा में पुर्तगाल के शासन काल से यूसीसी लागू है। उत्ताखण्ड विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) का बिल पेश कर दिया, अब सत्र के तीसरे दिन यानी बुधवार को चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित होना तय माना जा रहा है। वही आज  मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड विधेयक 2022 रखकर इतिहास रच दिया। सदन में बिल पेश करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है।

वही यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) का बिल पेशको लेकर सदन में विपक्ष की नाराजगी पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने ढाई घंटे सदन स्थगित रखा ताकि बिल के अध्ययन के लिए समय मिले। शाम करीब साढ़े छह बजे सदन स्थगित हो गया। चर्चा के बाद बुधवार को बिल पारित होने की संभावना है। चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने धामी सरकार की तारीफ की तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व एक अन्य विपक्षी सदस्य ने इसे पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग उठाई।

वही जिसमें सदन में करीब 4 भागों में और 800 पन्ने के UCC ड्राफ्ट में कई प्रावधान किए गए हैं। वही ड्राफ्ट में शादी, तलाक, उत्तरधिकारी, चाइल्ड एडॉप्शन पालिसी और पैतृक संपत्तियों में बेटा और बेटी को बराबर का हक़ देने की बात कही गई है। इसके साथ ही ये भी साफ़ कर दिया गया है कि इस विधेयक से अनुसूचित जनजातियों से जुड़े लोग बाहर रहेंगे।

 मिडियिा रिपोर्ट के अनुसार काफ़ी समय से अनुमान लगाए जा रहे थे कि इसमें महिलाओं और विवाह से जुड़े क़ानून को प्राथमिकता दी गई हैं। वहीं ये भी कहा गया था कि इस पैनल ने लैंगिक समानता और सामाजिक एकता की भी सिफ़ारिश की है। समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 के विधेयक में आख़िर क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं, इसको बिंदुवार जानना भी ज़रूरी है।

बता दे कि  हाल ही में 02 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में सरकार ने एक पैनल का गठन किया था जिसने इस बिल को लेकर एक रिपोर्ट ड्राफ़्ट की थी। चार खंड की इस ड्राफ़्ट रिपोर्ट में 749 पन्ने हैं।
समान नागरिक संहिता (UCC) की जानें मुख्य बातें।
शादी, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार, बच्चा गोद लेने और गुजारा भत्ता के संबंध में अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग मान्यताएं एवं कानून हैं।इन कानूनों की जगह सभी नागरिकों, हिंदू,मुस्लिम,सिख तथा ईसाई के लिए एक समान कानून बनाना इस ‘समान नागरिक संहिता’ का उद्देश्य है। इससे धार्मिक समाजों में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में सहायता मिलेगी और स्त्री अधिकारों को कानूनी संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा। विशेषकर, मुस्लिम समाज में शरई कानून के अंतर्गत हलाला, बहुविवाह, संतान की जिम्मेदारी जैसे मामलों को सुलझाना और उनकी स्त्रियों को संरक्षण देना आसान हो जाएगा।जिस तरह, तीन तलाक कानून को अल्पसंख्यक महिलाओं ने अपने लिए एक वरदान माना था, उसी तरह शरई कानून की उपर्युक्त समस्याओं से मुक्ति पाकर उन्हें बहुत ही प्रसन्नता होगी। साथ ही एक चर्चा खतना को लेकर भी है। UCC के ड्राफ्ट में खतना प्रथा पर रोक नहीं लगाई गई है। भाजपा सरकार द्वारा पास कराए जा रहे इस कानून के लिए वे भाजपा की बहुत-बहुत आभारी होंगी। आने वाले चुनाव में उनका सहयोग भी मिल सकेगा।
अच्छा होगा कि भाजपा सरकार ‘समान नागरिक अधिकार’ का कानून भी इसी के साथ पास कर इस कानून को और विस्तार दे दे। जन्म-धर्म या जन्म-जाति से उत्पन्न ‘अल्पसंख्यक वर्ग’ और ‘आरक्षण’ जैसी विडंबनाओं को भी इसी के साथ समाप्त कर दे तो देश को कई अन्य बहुत बड़ी-बड़ी समस्याओं से मुक्ति मिल जायेगी। इससे देश की प्रगति का मार्ग भी और प्रशस्त हो सकेगा। यह बहुत सही समय है जब भाजपा इस जन्म-धर्म और जन्म-जाति से उत्पन्न विभेदों को भी मिटा दे।

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