मां दुर्गा के पंडालों में नवमी को भण्डारा वितरण, दशमी में भव्य शोभायात्रा व विसर्जन होगा।

यह त्यौहार धरती की बेटी दुर्गा के अपने मायके लौटने का भी प्रतीक है,

उत्तराखण्डः 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को    देश भर में शारदीय नवरात्रो के शुभ अवसर में  देहरादून स्थित दुर्गा पूजा पंडालों में   इस बार अष्टमी और नवमी, दोनों की पूजा एक साथ ही मनायी गई। वही  इस दिन हवन किया जाता है और साथ ही कन्याओं को भोजन करवाया जाता है। मां दुर्गा के पंडालों में नवमी के दिन भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. इस साल 11 अक्टूबर को महानवमी मनाई गई।  दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना जाता है। 11 अक्टू. आज शुक्रवार को शारदीय नवरात्र के आठवें दिन अष्टमी और नवमी को मां महागौरी की पूजा अर्चना विधि विधानपूर्वक की गई। यह त्यौहार धरती की बेटी दुर्गा के अपने मायके लौटने का भी प्रतीक है, जो अपने साथ समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद लेकर आती हैं। दुर्गा नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है!

वही आज शुक्रवार को दुर्गा पूजा को लेकर उत्साह चरम पर है. भक्त अपने पूरे परिवार के साथ मां दुर्गा के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि मां 9 दिनों तक मृत्युलोक में रहती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैंमां के स्वागत के लिए भक्तों ने देहरादून जिले में एक से बढ़कर एक पंडाल बनाए हैं।  देहरादून शहर में सभी दुर्गा पूजा पंडालो में  देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं। 

साथ ही दुर्गा पूजा के अवसर पर सड़कों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है। देहरादून में शहर के विभिन्न पूजा पंडालों में देर रात तक भीड़ देखी गई। पंडालों में  दुर्गा नवमी के दिन पंडालों व मंदिरों में हवन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। मां दुर्गा की नवरात्रि में पूजा काफी फलदायी माना जाता है। विशेषकर नवमी की पूजा का कल्याणकारी महत्व है।

करणपुर देहरादून स्थित बंगाली लाइब्रेरी में बड़े उत्साह के साथ बांग्ला साहित्य समिति भवन करणपुर बंगाली लाइब्रेरी देहरादून में श्री श्री दुर्गा पूजा ं महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। वही 8 अक्टूबर 2024 से 12 अक्टूबर तक दुर्गा पूजा महोत्सव मनाया जाएगा। वही जिसमें उत्तराखंड में सबसे पहले व पुरानी प्राचीन पूजा बंगाली लाइब्रेरी करनपुर देहरादून में 102 वर्षों से लगातार दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े उत्साह व हर्षो उल्लास के साथ बंगाली समुदायों द्वारा किया जा रहा है।

 

इस शुभ अवसर पर बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति के वर्तमान अध्यक्ष आर एन मित्र एवं महासचिव आलोक चक्रवर्ती ने बताया कि शारदीय नवरात्रि में मॉ दुर्गा पूजा शुभ मुहूर्त में 8 अक्टूबर को शाम 7ः30 पर मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा बोधन पूजन के साथ पूजा प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर समिति के सभी पदाधिकारी वी भक्तगण बड़ी संख्या में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने दूर-दूर  से पहुंच रहे है।  महासचिव आलोक चक्रवर्ती ने बताया की अष्टमी व नवमी पूजा 11 अक्टूबर को प्रातः 10ः30 बजे पूजन उसके बाद दोपहर 12ः30 बजे पुष्पांजलि एवं शाम 7ः30 बजे आरती नियमित रूप से की जा रही है।

इस अवसर पर शुक्रवार 11 अक्टु0 2024 को देहरादून स्थित करणपुर बंगाली लाइब्रेरी में शारदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा महोत्सव 102वां हर्षोल्लास के साथ बंगाली समुदय के लोगो ने इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया। वही जिसमें मां दुर्गा की प्रतिमा श्री गणपति जी,कार्तिक भगवान, मां लक्ष्मी माता,मां सरस्वती माता की आराधना की गई।

साथ ही करणपुर बाजार लक्ष्मी नारायण मंदिर देहरादून स्थित पंडाल में बजरंग सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री श्री दुर्गा पूजा महोत्सव 34 वां आयोजन धूमधाम के साथ किया गया। इस मौके पर करणपुर बाजार दुर्गा पूजा बजरंग सेवा समिति के मीडिया प्रभारी सोमपाल सिंह ने बताया कि आज शुक्रवार को  11  अक्टूबर महानवी को प्रातः 7.00 बजे समिति के सभी पद अधिकारियों एवं श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की आराधना की और वैदिक मंत्रो के साथ विधि विधान के साथ पंडित आचार्य द्वारा अष्टमी व नवमी पूजा के साथ हवन किया साथ कन्यो का पूजन कर उन्हे उपहार देकर आर्शिवाद प्राप्त किया। वही आज महानवी के दिन करनपुर बाजार दुर्गा पूजा पंडाल में मॉ दुर्गा के पूजन में भोग प्रसाद में विशाल भण्डारा वितरण किया गया।

बजरंग सेवा समिति के मीडिया प्रभारी सोमपाल सिंह ने बताया कि  दुर्गा पूजा की सबसे रंगीन रस्मों में से एक है 12 अक्टूबर को सिंदूर खेला, जो दशमी के दिन होता है। इस परंपरा में विवाहित महिलाएं एक-दूसरे और दुर्गा की मूर्ति पर सिंदूर लगाती हैं। साथ ही करनपुर बाजार लक्षमी नारयाण मंदिर से मॉ दुर्गा की प्रतिमा एवं श्री गणपति जी,कार्तिक भगवान, मां लक्ष्मी माता,मां सरस्वती माता की भव्य शोभायात्रा धूमधाम व गाज बाजे के साथ दून शहर में निकाली जाएगी उसके बाद विजयदमी को ही हरिद्वार शर्मानंद घाट पर सभा प्रतिमाओ का विधि विधान से विसर्जन किया जाएगा।

बता दे कि महिषासुर / राक्षसो से स्वर्ग के कई देवताओं को परेशान किया। जब ये देवता महिषासुर के अत्याचार से उन्हें बचाने के लिए भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे, तो दुनिया के निर्माता ने उनकी मदद करने के लिए सहमति व्यक्त की और इस प्रकार देवी दुर्गा का जन्म राक्षस से लड़ने के लिए हुआ, जब भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव ने देवी को अपनी सर्वोच्च शक्तियां दीं। राक्षस और देवी दुर्गा के बीच युद्ध हुआ, जिसमें राक्षस ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए अपना रूप बदलकर भैंसा भी धारण कर लिया। यह लड़ाई 10 दिनों तक चली, जिसके बाद देवी ने आखिरकार महिषासुर पर जीत हासिल की और भैंसे का सिर काटकर राक्षस को मार डाला। दुर्गा पूजा 10 दिनों तक चली इस लड़ाई की याद में मनाई जाती है, जिसमें अंतिम दिन विजयादशमी के रूप में जाना जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है।

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