15 जून : कैंची धाम में आस्था का सैलाब, मालपुए प्रसाद 3 दिनो तक प्राप्त होगा
उत्तराखंड:14 जून 2025, शनिवार को देहरादून । उत्तराखण्ड कुमाऊँ, क्षेत्र स्थित नैनीताल जिले के भवाली में हर साल की तरह इस साल भी विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम में 15 जून 2025 को भंडारे का आयोजन किया जाएगा.रविवार को. कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा रविवार को15 जून को अलग अलग वर्षों में की गई थी। इस तरह से 15 जून को प्रतिवर्ष प्रतिष्ठा दिवस के रूप में भव्य मेले का आयोजन होता है, जहां लाखों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
इसमें बाबा के दर्शन करने और प्रसाद ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भवाली में स्थित कैंची धाम में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है। जानकारी के मुताबिक इस बार 61वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। बाबा के भक्त कैंची धाम आश्रम में अर्जी लगाने के बाद यहां लगने वाले मेले का भी आनंद लेते हैं. मेले का नजारा बहुत ही सुंदर और सुखद होता है।
जानकारी के अनुसार भवाली में कैंची धाम की स्थापना जून 1964 में की गई थी। बताया जाता है कि नीब करौली बाबा ने कैंची गांव के पूर्णानंद से 1962 में मुलाकात की और सोमबारी महाराज के निवास को देखने की इच्छा जताई। इसके बाद सोमबारी महाराजा की यज्ञशाला ढूंढी गई और वहां साफ सफाई के बाद एक चबूतरा बनाया गया।इसी चबूतरे पर हनुमान मंदिर की स्थापना की गई। और 15 जून को मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
के साथ ही धाम में लगने वाले मेले में बड़ी संख्या में आने वाला श्रद्धालुओं को मालपुए का प्रसाद दिया जाता है। दरअसल माना जाता है कि नीम करोली बाबा को मालपुए खूब प्रिय थे। इसलिए इस दिन प्रसाद के रूप में मालपुए का वितरण किया जाता है। इसके अलावा स्थानीय लोग मेले का प्रबंधन करने में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कैंची धाम में सुबह शाम की आरती होती है और बाबा को कंबल चढ़ाया जाता है। नीब करोली बाबा की महिमा देश विदेश तक फैली हुई है। ऐसा बताया जाता है कि नीब करौली महाराज ने स्वयं कैंची धाम की प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन तय किया था. तभी से हर साल इस दिन कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। कैंची धाम आश्रम में लाखों भक्त अपनी अर्जी लगाने आते हैं.
नीब करोली कैंची धाम मंदिर में मालपुए के प्रसाद को भोग लगता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है इसलिए प्रसाद का भी विशेष इंतजाम किया गया है. पहले 15 जून को ही मालपुए का प्रसाद मिलता है जिसकी वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बगैर प्रसाद के ही लौटने को मजूबर होते थे. इस साल जानकारी मिली की नीब कारोली बाबा का पसिंदा मालपुए प्रसाद 3 दिनो तक भक्तो को प्राप्त होगा।