लक्ष्मण द्वारा क्रोधित परशुराम को चिढ़ा कर और अधिक क्रोधित कर दिया।

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उत्तराखण्डः 07 अक्टूबर 2024, सोमवार को राजधानी /देहरादून स्थित आदर्श रामलीला ट्रस्ट, राजपुर देहरादून द्वारा आयोजित रामलीला में आज 75 वें हीरक जयंती श्री रामलीला महोत्सव, राजपुर में लीला के तीसरे दिन जनकपुर में महर्षि विश्वामित्र के साथ कुमार राम और लक्ष्मण भी जनक दरबार में पहुंचे। जहां सीता स्वयंवर में जोर आजमाने के लिए अनेक राजाओं के साथ- 2 बिना आमंत्रण के ही अहंकार से भरे रावण के जनकपुर आगमन पर शिवभक्त बाणासुर ने रावण को नीति और ज्ञान का उपदेश देकर समझाया, किंतु अहंकारी रावण कहां मानने वाला था, सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़ने के लिए तैयार रावण को आकाशवाणी के कारण वापस लंका लौटना पड़ा। धनुष यज्ञ में जब कोई भी राजा ने शिव धनुष को हिला भी नहीं पाये तो हताश और निराश होकर राजा जनक द्वारा रुष्ट होकर व्यथा व्यक्त की गई है।

क्षत्रिय वंश का हो गया खात्मा ना तो योद्धा रहे ना धर्मात्मा, मेरी बिगड़ी का अब कोई सहारा नहीं मिथिलेश जनक के इस गीत को सुनकर लक्ष्मण ने क्षत्रिय वंश की शक्ति का अहसास जनक को करवाया, विश्वामित्र के साथ आये बालक राम और लक्ष्मण भी राजा जनक के निमंत्रण पर जनकपुर पहुंचे। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा प्राप्त कर राम लक्ष्मण जनकपुरी का भ्रमण करने लगे । जनकपुरी में कुमार राम और लक्ष्मण की अति लुभावनी आकर्षक छवि देखकर जनकपुरवासी अस्तप्रभ रह गये। उनकी आंखें राम और लक्ष्मण के सौंदर्य पर टिकी रही। इस दृश्य पर मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने बहुत ही सुन्दर यूं परिभाषित! किया..।

“*सिय हरषंहि बरसहिं सुमन, देखहीं सुगंधि वृंद, जाएं जहां जहां बंधु दोऊ तहां तहां परमानंद जहां जहां कुमार राम और लक्ष्मण मार्ग में जाते वहीं जनकपुर वासियों के आंखें इन दोनो कुमारो के सौंदर्य पर ही ठहर जाती । सीता स्वयंवर में लंका का राजा रावण सहित अनेक राजकुमार शिव धनुष को तोड़कर राजा जनक पुत्री सीता से विवाह के लिए जनकपुर आये,किंतु विधि के विधान के अनुसार कोई भी राजा शिवधनुष को नही हिला सका।

महर्षि गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से कुमार राम द्वारा शिव आराधना के साथ ही शिवधनुष को तोड दिया जिनकी दुलारी सीता ने राम के गले में जय माला डाल कर श्री राम का वरण किया शिव धनुष भंजन की झंकार से क्रोधित भार्गव परशुराम द्वारा राजा जनक की सभा में पहुंच कर अपने भयानक क्रोध का इजहार किया,और शिव धनुष तोड़ने वाले को अपने सामने प्रस्तुत करने को राजा जनक से कहा। ..

लक्ष्मण द्वारा क्रोधित परशुराम को चिढ़ा कर और अधिक क्रोधित कर दिया। राम ने विनम्रतापूर्वक कहा *नाथ शंभूधनु भंजन निहारा होइऊ कोई दास तिहारा राम की विनम्रता और लक्ष्मण का व्यंग्य प्रहार देखकर परशुराम अति क्रोधित होकर बार बार लक्ष्मण को अपना फरसा दिखाने लगे, तभी अयोध्या कुमार राम ने परशुराम को अपना पूर्ण परिचय देकर परशुराम को अपने विष्णु अवतार का अहसास कराया, परशुराम राम के चरणो मे गिर गये। इसके पश्चात श्री राम सीता विवाह की भव्य शोभायात्रा शहन्शाही आश्रम से प्रारंभ हो चौक बाजार बिरगिरवाली होते हुए ढाकपटटी, राजपुर से पुनः श्री रामलीला मंचन स्थल पर पहुंचे।

जहां वेद मंत्रों के साथ सीता राम का विवाह संपन्न हुआ। सीता राम के विवाह के उपलक्ष्य में रामलीला स्थल पर ही श्री राम बारात में पधारे सभी दर्शकों का भण्डारा प्रसाद से स्वागत किया गया। आज के लीला मंचन के निर्देशक शिवदत्त अग्रवाल, चरणसिंह, योगेश अग्रवाल की तथा सभी पात्रों द्वारा कृत अनुभव की सभी दर्शकों ने मुक्त कंठ से सराहना की।

आज के समारोह में अतिथियों में समाजसेवी श्री विजय अग्रवाल, निवर्तमान पार्षद श्रीमती उर्मिला थापा,कमल अग्रवाल तथा श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर के संरक्षक विजय जैन, जयभगवान साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, मंत्री अजय गोयल, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल,आडिटर ब्रह्म प्रकाश वेदवाल,स्टोर कीपर वेद प्रकाश साहू,डॉ.विशाल अग्रवाल, अमन अग्रवाल,भू वेदवाल, अमन कन्नौजिया,मोहित अग्रवाल, सुभाष कन्नौजिया,अमित रावत, विनय शर्मा आदि अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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