एक देश एक चुनाव का समर्थन किया..देश की प्रगति के लिए जरूरी!

उत्तराखण्डः 26 सितंबर 2024, शनिवार को प्राप्त जानकारी के अनुसार  पीएम मोदी की केंद्रीय कैबिनेट ने (18 सितंबर 2024) को वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।  पूर्व राष्ट्रपति के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कांग्रेस ने इसे मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला फैसला बताया। इस लेकर अब देश में राजनीति गरम चुकी है। पीएम मोदी कई मौकों पर एक देश एक चुनाव का समर्थन कर चुके हैं. पीएम ने कहा था। देश में सिर्फ तीन या चार महीने ही चुनाव होने चाहिए।  वहीं पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भी कहा था, ‘‘देश को एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए आगे आना होगा। साथ ही बीजेपी के कई दिग्गज नेता वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत कर चुकेहै।

 जानकारी के अनुसार  इस रिपोर्ट में पहले फेज में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की बात कही गई. इसमें आगे यह सिफारिश की गई है कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ पूरा होने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं. समिति की सिफारिश में कहा गया,।  “पूरे देश में मतदाताओं के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए। सभी के लिए एक जैसा वोटर कार्ड होना चाहिए.।
वही केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन बिल को शीतकालीन सत्र में संसद से पास कराएगी।  जिसके बाद यह कानून बन जाएगा।पूर्व राष्ट्रपति की अगुआई वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर देश की 62 राजनीतिक पार्टियां से संपर्क किया था, जिसमें से उन्हें 32 पार्टियों का समर्थन मिला था। इसमें 15 पार्टियों ने वन नेशनल वन इलेक्शन का समर्थन नहीं किया तो वहीं 15 पार्टियों ने कोई जवाब नहीं दिया।
साथ ही  समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद से पारित करने की जरूरत होगी। मिली  रिपोर्ट के अनुसार विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों – लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की ब्रीफिंग करते हुए कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते थे। साथ ही  उन्होंने कहा, समाज के सभी वर्गों से राय मांगी गई. अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। वही इस  समिति ने 191 दिन इस विषय पर काम किया. इस विषय पर समिति को 21 हजार 558 रिएक्शन मिले. इसमें से 80 फीसदी ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया..देश की प्रगति के लिए जरूरी है।

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