देहरादून/उत्तराखण्ड: 08 MARCH.. 2023, खबर… राजधानी से बुद्धवार को उत्तरकाशी में शनिवार 3 मार्च 2023 की देर रात आए भूकंप के झटकों ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। यहां पर बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों के साथ क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। वही इसी के साथ भले ही लोगों ने जीना सीख लिया है। वही यह झटके एक बार तो लोगों को सहमा ही देते हैं।
वही जिसमें उत्तराखण्ड में गढ़वाल के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और कुमाऊं के कपकोट, धारचूला, मुनस्यारी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील हैं। उत्तरकाशी बेहद ही संवेदनशील जिला है, जो जोन-4 और जोन-5 में आता है। इस दौरान भूकंप वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार बड़े पैमाने पर आ रहे रिक्टर चार तक के भूकंप हिमालय क्षेत्र के भूगर्भ में बड़ी भूकंपीय ऊर्जा के एकत्र होने पर आ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार यह पूरा भूभाग 18 मिलीमीटर की दर से सिकुड़ रहा है, जबकि पूर्वी क्षेत्र में यह दर महज 14 मिलीमीटर प्रति वर्ष है। भूभाग सिकुड़ने की वजह से धरती के भीतर ऊर्जा का भंडार बन रहा है, जो कभी भी बड़े भूकंप के रूप में कहर ढा सकता है।
साथ ही उन्होनें बताया कि इंडियन प्लेट के लगातार यूरेशियन प्लेट की ओर गति करने से भूगर्भीय हलचल बढ़ी है। उत्तरकाशी में हाल ही में 13 जनवरी को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उत्तरकाशी में देर रात आए भूकंप की तीव्रता 2.9 मापी गई थी, जिसका केंद्र जमीन के अंदर 10 किमी गहराई में था। यहां भूकंप के झटकों के बाद लोगों के जेहन में वर्ष 1991 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा हो गई हैं।
साथ ही प्राप्त जानकारी के मुताबिक भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यहां हर दिन 2 से 5 रिक्टर स्केल की तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं। वर्ष 1991 के बाद से अब तक तीन दशक में उत्तरकाशी में सत्तर से ज्यादा छोटे भूकंप के झटके आ चुके हैं। बताया कि वर्ष 2017 में 13 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। वही इस दौरान भूर्भीय वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र का भूभाग सिकुड़ने की वजह से इनके नीचे ऊर्जा का भंडार एकत्र हो रहा है, जो कभी भी बड़े भूकंप के रूप में सामने आ सकता है ।
बता दे कि उत्तरकाशी में विगत 3 मार्च, 2023, शनिवार की देर रात आए भूकंप के झटकों ने लोगों के जेहन में वर्ष 1991 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा कर दी हैं। की 20 अक्टूबर 1991 को आए 6.6 रिक्टर स्केल के भूंकप ने भारी कहर बरपाया था। उस समय भी लोग सोए हुए थे कि रात करीब 2.53 बजे अचानक धरती डोली और जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे। वही इस त्रासदी में करीब 768 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 5 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
वहीं, करीब 20 हजार से ज्यादा आवासीय भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। इन क्षेत्रों में भी उत्तरकाशी सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र है। भूर्भीय वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र का भूभाग सिकुड़ने की वजह से इनके नीचे ऊर्जा का भंडार एकत्र हो रहा है, जो कभी भी बड़े भूकंप के रूप में सामने आ सकता है।