प्राकृतिक आपदाओं से बचना हो तो सुहागिन करे यह उपाय: आचार्या प्रभा

उत्तराखंड: 18 सितंबर. 2025, ब्रहस्पतिवार को श्रीनगर गढ़वाल: ।  देहरादून जनपद के आचार्या प्रभा आंनद के द्वारा उत्तराखण्ड में आ रही बार- बार प्राकृतिक आपदाओं लेकर कहा है कि प्राकृतिक आपदाओं को आप सब देख ही रहे हैं, यह सब,,,, मां धारी देवी,, के रुष्ट होने के कारण से हुआ है,, यहां पर पर्यावरण की बहुत हानि हुई है, क्या आप बता सकते हैं कि इससे देवभूमि कहलाने वाले हमारे उत्तराखंड के देवी देवता प्रसन्न होंगे,,??

आचार्या प्रभा आंनद के मुताबिक श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित धारी देवी मंदिर एक प्राचीन और विशेष आस्था स्थल है! उत्तराखंड के चार धाम की रक्षा करने वाली मां धारी देवी अगर नाराज हो गईं तो क्या होगा? उत्तराखंड के लोग क्यों डर रहे हैं? इस डर और दहशत की वजह है अलकनंदा. वही अलकनंदा नदी, जिन्होंने 2013 में तांडव मचा दिया था. अब एक बार फिर वो उफान पर हैं. हर कोई अनिष्ट की आशंका से डरा हुआ है.उत्तराखंड में बीते दिनों से जारी बारिश से अलकनंदा नदी अपने रौद्र रूप में हैं. नदी के किनारे के घाट डूब चुके हैं!

विचार करें?…मां धारी देवी को प्रसन्न करने के लिए और आगे भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से जान माल का नुकसान ना हो उसके लिए हम सब उत्तराखंड वालों को एक यज्ञ करना होगा,!

1_ नवरात्र के पहले दिन 22 सितंबर को सभी सुहागन महिलाएं श्रृंगार करके एक नारियल नदी या नहर में प्रवाहित करें!
2_ और मां धारी देवी से क्षमा याचना करें सभी देवी देवताओं से क्षमा याचना करें,

3- संकल्प की चुनरी लौटकर मंदिर में बांधे,।
4 –पूर्ण रूप से बारिश बंद होने के बाद जब चारों ओर शांति हो जाएगी तो माता के नाम का प्रसाद बनाकर घर और बाहर वितरण करें!,,, दीपावाली या देव उठानी एकादशी के दिन ये प्रसाद बना सकते हैं!

इससे आपके घर में शांति बनी रहेगी और आपदाओं से आपका बचाव होगा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से आप बच जाएंगे मां आपकी ओर आपके परिवार की रक्षा करेंगी!

  बता दे कि उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित धारी देवी मंदिर एक प्राचीन और विशेष आस्था स्थल है. अलकनंदा नदी के बीचों-बीच कत्यूरी शैली में बने इस भव्य मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं,। यह भक्तो की मन्नत पूरी होने पर नारियल और घंटी चढ़ाने की परंपरा हैं! जानकारी के अनुसार मां धारी देवी को प्रसन्न करने के लिए आप सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना कर सकते हैं, विशेष रूप से नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय। मन्नत पूरी होने पर उन्हें श्रीफल और घंटी चढ़ाई जाती है।

बता दे कि  उत्तराखंड की संरक्षक देवी होने के नाते, श्रद्धालु चार धाम यात्रा पर जाने से पहले मां धारी देवी से आशीर्वाद लेते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होने पर उन्हें धन्यवाद देते हैं।  देवी काली को समर्पित मंदिर यह मंदिर इस क्षेत्र में बहुत पूजनीये है। लोगों का मानना है कि यहाँ धारी माता की मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं पहले एक लड़की फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला । एक पौराणिक कथन के अनुसार कि एक बार भीषण बाढ़ से एक मंदिर बह गया और धारी देवी की मूर्ति धारो गांव के पास एक चट्टान के रुक गई थी।

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