जिला अस्पताल के PMS ने अपील सुनवाई में बौखलाएं, कर्मी के बचाव में प्रतिनिधि पर भड़के.!

उत्तराखण्डः 21 NOV. 2024, ब्रहस्पतिवार को देहरादून / राजधानी स्थित  जिला अस्पताल देहरादून  के पंडित दीनदयाल उपाध्याय (कोरोनेशन) अस्पताल में एक RTI  कार्यकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत 27 अगस्त 2024 को कुछ बिंदुओं पर (कोरोनेशन) अस्पताल में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारी/ जनसंपर्क अधिकारी के पद हेतु व कार्यो के संबंध में विभिन्न सूचनाएं मांगी गई थी। जिसमें समय पर पूर्ण सूचनाएं नही देने पर प्रथम अपील की गई। प्रथम अपील की सुनवाई दिनांक 18 नवंबर 2024 को अपीलकर्ता राजीव सचदेवा एवं उनके साथ प्रतिनिधि भी उपस्थित हुए। जिसमें अपीलकर्ता ने प्रथम अपील की सुनवाई के दौरान कई बिंदुओं पर सूचनाएं प्रदान करने को कहां गया था।

वही इस दौरान जिला अस्पताल के प्रथम अपील अधिकारी को पूर्ण सूचनाएं मांगने के लिए अवगत कराया गया। जिसमें इस सुनवाई के मौेके पर यहां देखने को मिला कि अपील अधिकारी /लोक सूचना अधिकारी द्वारा संबंधित कार्यरत प्रशासनीय अधिकारी/ जनसंपर्क अधिकारी केे जिला अस्पताल में कार्यों को लेकर उनके बचाव करते दिखाई दिए। जिस पर अपीलकर्ता के प्रतिनिधि ने जब आधी अधूरी सूचनाओं को पूर्ण सूचनाओं समय पर ना देने एवं पूर्ण सूचनाएं प्रदान करने पर प्रश्न किया तो तो प्रथम अपील अधिकारी पीएमएस अपीलकर्ता के प्रतिनिधि के ऊपर भड़क गए। और प्रतिनिधि को सुनवाई से बहार जाने को कहा इस पर अपीलकर्ता ने कहा कि प्रतिनिधित अपील में न्यायोचित रूप से बैठ सकता है इस तरह आप इन्हे यहा से बहार नही भेज सकते। इस पीएमएस ने चुप्पी साधते हुए कहा चलो ठीक है बैठ जाइये।

और फिर उसके बाद जब RTI अपीलकर्ता व प्रतिनिधि ने सूचना प्रदान ना मिलने पर प्रशन किया तो उनको दबाने की कोशिश भी की जिस पर अपीलकर्ता के प्रतिनिधि ने पीएमएस ने कहा कि आप सूचना प्रदान करने के संबंध में अपीलकर्ता को प्रथम अपील की सुनवाई में बुलाकर इस तरह से धमक नहीं सकते। आपसे जो सूचना मांगी गई है पूर्ण सूचना प्रदान कीजिए। बाकी हमें अगर सूचना में कोई कमी दिखाई दी या फिर आधी अधूरी सूचनाएं प्राप्त हुए तो उत्तराखंड सूचना आयोग में द्वितीय अपील की जाएगी। जिस पर देहरादून जिला अस्पताल (कोरोनेशन) के पीएमएस/ प्रथम अपील अधिकारी ने अपीलकर्ता के प्रतिनिधि को धमकाते हुए कहा कि हम भी देख लेंगे । और आप भी देख लेना। इसे साफ जाहिर होता है कि अपने जिला अस्पताल में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारी / जनसंपर्क अधिकारी को किस तरह बचाया जा रहा है।

वही अब देखने वाली बात यह है कि RTI सूचना का अधिकार का प्रयोग करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता व उसके प्रतिनिधि को पूर्ण सूचना ना प्रदान करने पर किस तरह से लोक सूचना अधिकारी व प्रथम अपील अधिकारी अपने अस्पताल के कर्मी के कार्याे को छुपाने के लिए या फिर कर्मचारियों को बचाने के लिए किस तरह से सूचना का अधिकार का नियमों का उल्लंघन कर अपने पद के प्रभाव के चलते किसी तरह अपनी तानाशाही पर उतर आए। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रथम अपील का निस्तारण हेतु जवाब किस तरह और कैसे पूर्ण सूचना में देते है या नहीं या फिर द्वितीय अपील की सुनवाई ही कोई नतीजा /फैसला न्यायोचित रूप से किया जाएगा।

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