उत्तराखण्डः11 NOV. 2024, सोमवार को देहरादून स्थित लोकपर्व ‘इगास के अवसर पर उत्तराखण्डः राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने प्रदेशवासियों को उत्तराखण्ड के लोकपर्व इगास-बग्वाल की बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं।
उत्तराखंड की संस्कृति व विरासत अपने में कई ऐसे पर्व समेटे हुए हैं। उत्तराखण्ड में (कुमाऊं) में दीवाली से 11 दिन बाद इगास यानी बूढ़ी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। लोकपर्व इगास- बग्वाल आज उल्लास के साथ मनाया जाएगा। पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान बनाए जाते हैं। रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला एक प्रकार की मशाल जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल-नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है। दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाने वाला लोकपर्व भैलो व पारंपरिक नृत्य के साथ पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू गांव ही नहीं शहर में भी महक उठेगी। युवा पीढ़ी को पहाड़ की परंपरा व संस्कृति से रूबरू कराने के लिए लोकपर्व इगास पर विभिन्न सामाजिक संगठन देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला एक प्रकार की मशाल जलाकर उसे घुमाया जाता है!
वही राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि देवभूमि उत्तराखण्ड की लोक कला, संस्कृति एवं परंपराएं अत्यंत समृद्ध हैं। उत्तराखण्ड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपने विशिष्ट लोक नृत्यों, त्यौहारों और मेलों से अपनी अनोखी पहचान बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि ऐसे पर्व हमारी युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराते हैं और उससे जुड़ने की प्रेरणा देते हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस पर अपने संदेश में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी सभी प्रदेशवासियों से अपनी बोली-भाषा के संरक्षण और गांव से जुड़ने का आग्रह किया था। यह हम सभी के लिए जरूरी है कि हम अपने गांव-घर जाकर इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाएं और अपनी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हुए इगास-बग्वाल की परंपरा को जीवंत बनाए रखें।