देहरादून/उत्तराखण्ड: 24-JAN.. 2023, खबर…. राजधानी सेसोमवार को देहरादून गढ़ी कैंट स्थित शहीद दुर्गामल्ल पार्क में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आजाद हिंद फौज के शहीद मेजर दुर्गामल्ल की मूर्ति पर श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांललि दी। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के समय शहीद दुर्गामल्ल के नाम पर डाक टिकट जारी किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि शहीद दुर्गामल्ल के नाम पर डाक टिकट जारी किया जाना सम्मान की बात है।
वही इस मौके पर सीएम ने कहा कि शहीद दुर्गामल्ल द्वारा देश की आजादी के लिए दिया गया महत्वपूर्ण योगदान हमारी स्मृति में हमेशा रहेगा। हमारी आने वाली पीढ़ी हमारे ऐसे महाननायकों के बारे में जान सके, इसके लिए आजादी के अमृत महोत्सव में ऐसे महानायकों की याद में देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। भारत की आजादी के लिए हमारे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। हमारे अमर सेनानियों का बलिदान हमें सदैव प्रेरणा देने का कार्य करेगा। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर आर्मी बैंड डिस्पले की प्रस्तुति बेहद शानदार थी। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत में पारमपरिक वाद्यो से किया गया | सुप्रसिद्ध खुखरी नृत्य और देशभक्ति गीतों के माध्यम से वीर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये ।
वही इस आयोजन में गोर्खाली सुधार सभाके अध्यक्ष पदम सिंह थापाजी, शहीद मेजर दुर्गा मल्ल डाक टिकट विमोचन समिति के अध्यक्ष पूर्व महाप्रबंधक इंजि० मेग बहादुर थापाजीने अतिथियों का स्वागत किया। वही इस कार्यक्रम का संचालन महासचिव श्याम राना और श्रीमती पूजा सुब्बा ने किया।
इस अवसर पर ब्रिगे० पी०एस०गुरूंग ,ब्रिगे०सी०बी थापा , कै०वाई ०बी०थापा, कै०ओ०पी गुरूंग ,थापा , गोर्खाली सुधार सभा के समस्त शाखा अध्यक्ष, समस्त संघ -संस्थाओं एवं उपजातीय समितिओं के अध्यक्ष एवं सदस्यगण एवं भारी संख्या में पूर्व सैनिक व जनसमुदाय एवं गणमान्यजन उपस्थित थे ।
अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल जी का संक्षिप्त जीवन परिचय :—-
शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी (1जुलाई 1913 –25 अगस्त1944 ) आजाद हिंद फौज के प्रथम गोर्खा सैनिक थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी । दुर्गा मल्ल का जन्म 1जुलाई 1913 को देहरादून के निकट डोईवाला में गोर्खा राईफल्स के नायब सुबेदार गंगाराम मल्ल क्षेत्री एवं पार्वती देवी के घर में हुआ। वे बचपन से ही बहादुर और प्रतिभावान थे |उन्होंने गोर्खा मिलट्री इंटर कालेज गढ़ी कैंट देहरादूनमें अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। सन् 1931 में मात्र 18 वर्ष की आयु में दुर्गा मल्लजी 2/1 गोर्खा राईफल्स में भर्ती हो गये । लगभग 10 वर्ष तक सेवारत रहने के बाद जब 01 सितम्बर 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा ” आजाद हिंद फौज ” का गठन हुआ, नेताजी की देशभक्ति से प्रेरित होकर दुर्गा मल्लजी भी सेनाकी नौकरी छोड़कर आजाद हिंद फौज मे सम्मिलित हो गये , वहाँ उनकी की भूमिका बहुत सराहनीय थी।