अखिलेश यादव के मॉनसून ऑफर पर केशव मौर्य ने मुंगेरीलाल के हसीन सपने

नई दिल्ली। इसमें कोई दोराय नहीं है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यही कारण है कि विपक्ष भी इसके मजे ले रहा है। इन सब के बीच उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव ने मॉनसून ऑफर दिया था जिसमें कहा गया था कि 100 विधायक लाओ और सरकार बनाओ। अब इसी पर केशव मौर्य ने पलटवार किया है। मौर्य ने इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने बताया। केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पोस्ट में दावा किया कि मॉनसून ऑफर को 2027 में 47 पर जनता और कार्यकर्ता फिर समेटेंगे।बिना नाम लिए केशव मौर्य ने सपा को डूबता जहाज़ बताया। उन्होंने कहा कि एक डूबता जहाज़ और समाप्त होने वाला दल जिसका वर्तमान और भविष्य ख़तरे में है। वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख सकता है, परंतु पूर्ण नहीं हो सकता। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 2027 में 2017 दोहरायेंगे, फिर कमल की सरकार बनायेंगे। अखिलेश की ओर से यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में भाजपा के भीतर बढ़ते तनाव के बीच आया है। यादव की टिप्पणी का उद्देश्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी मौर्य के बीच कथित दरार को भुनाना था।
इससे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूपी के उपमुख्यमंत्री मौर्य ने अखिलेश पर तंज कसते हुए उन्हें एसपी ‘बहादुर’ कहा और कहा कि बीजेपी के पास देश और प्रदेश दोनों में एक मजबूत संगठन और सरकार है। इसके साथ ही उन्होंने सपा के पीडीए फॉर्मूले (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्याक) पर निशाना साधते हुए इसे धोखा बताया। केशव प्रसाद मौर्य ने पलटवार करते हुए कहा कि सपा बहादुर अखिलेश यादव, भाजपा की देश और प्रदेश दोनों जगह मज़बूत संगठन और सरकार है। सपा का PDA धोखा है। यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है, भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहरायेगी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर चर्चा के बीच, मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आज कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के भीतर अंदरूनी कलह से तंग आ चुकी है। यह उपमुख्यमंत्री की एक टिप्पणी की पृष्ठभूमि में आया है जिससे अटकलें लगाई जाने लगीं कि उत्तर प्रदेश सरकार के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। हालाँकि, भाजपा ने इस चर्चा को खारिज कर दिया है। अखिलेश ने एक्स पोस्ट पर लिखा था कि भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचनेवाला भाजपा में कोई नहीं है।

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