भारत में नारी व नदी दोनों को पूजा जाता है, परन्तु आज दोनों ही पीड़ा में.!

उत्तराखण्डः 01 सितंबर 2024, रविवार को देहरादून ,  ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी का आगमन हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में परमार्थ गंगा तट पर जया किशोरी जी के मुखारविंद से तीन दिवसीय नानी बाई को मायरो कथा का आज शुभारंभ हुआ। आयोजक अग्रवाल परिवार और भारत के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु इस दिव्य कथा, गंगा जी की आरती और इस आध्यात्मिक वातावरण का आनंद ले रहे हैं।

जया किशोरी जी की मधुर वाणी में हो रही ’नानी बाई को मायरो’ दिव्य कथा का उद्घाटन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री नरेन्द्र अग्रवाल जी, श्री ओम अग्रवाल जी, श्री नन्दकिशोर गोयल जी एवं अग्रवाल परिवार के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ’नानी बाई को मायरो’ भक्त नरसी मेहता कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रति परम भक्ति, श्रद्धा, विश्वास और समर्पण की दिव्य गाथा है जो हमें प्रेरणा देती है कि जीवन में कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी हो परन्तु प्रभु के प्रति अटूट भक्ति व विश्वास से हर मुश्किल से उबारा जा सकता है।

महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी ने परमार्थ गंगा तट की महिमा का बताते हुये कहा कि यह दिव्य स्थान अपने आप में स्वर्ग के समान है। स्वर्ग में बैठकर कथा सुनने का अपना ही आनंद है। परमार्थ निकेतन के इस दिव्य गंगा तट का दर्शन, ये मनमोहक छटा, यहां की दिव्यता, पवित्रता व शुद्ध सात्विक वातावरण मन को विभोर कर देता है।

साथ ही साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि वास्तविक चमत्कार भक्ति की शक्ति में है, यही संदेश हमें नानी बाई को मायरो की कथा हमें देती है। जहां दिल में भक्ति हो वहां पर प्रभु स्वयं पहुंचते हैं और समस्याओं का समाधान करती है। इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हरित कथाओं का संदेश देते हुये रूद्राक्ष का दिव्य पौधा जया किशोरी जी को भेंट किया। इस अवसर पर राजस्थान के माननीय कृषि मंत्री श्री करोड़ीमल जी ने भी सहभाग किया।

वही परमार्थ निकेतन एक ऐसा दिव्य स्थान है यहां पर जो एक बार आता है, उसका बार-बार आने को दिल करता है। यहां की शांति, आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन में आयोजित यह कथा न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो सभी को आत्म-चिंतन और आत्म-विकास की प्रेरणा देता है।  आश्रम में नियमित रूप से योग, ध्यान, गंगा जी की आरती और सत्संग होता है, जो आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है।

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