देहरादून/उत्तराखण्ड: 15 MARCH.. 2023, खबर… राजधानी से बुद्धवार को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण) विधानसभा भवन में चल रहे बजट सत्र 2023 के आज तृतीय दिवस परगैरसैंण के बच्चो ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण के साथ पारंपरिक वेशभूषा में भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई का त्योहार मनाया।
वही इस दौरान बुधवार सुबह गैरसैंण के बच्चे भराड़ीसैंण विधानसभा भवन पहुंचे जहां उन्होंने पारंपरिक लोकगीत के साथ भवन की दहलीज में फूल बिखरे। वही इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने बच्चो को गुड़ और टॉफी खिलाकर उन्हें लोकपर्व की बधाई दी।
वही इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा की उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व फूलदेई बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। देवभूमि के बच्चे परंपरानुसार सुबह-सवेरे ही अपने गांव, मोहल्ले के घरों में जा कर उनकी देहरियों पर रंगबिरंगे फूलों को बिखेरते हैं और गीत गाते हुए सुख समृद्धि की मंगलकामना करते हैं। फूलदेई को सीधे तौर पर प्रकृति से जोड़कर मनाया जाता है वहीं अपनी जड़ों से भी जोड़ कर रखने का त्यौहार माना जाता है।
उन्होंने कहा की उत्तराखंड वासियों का प्रकृति प्रेम जगविख्यात है। चाहे पेड़ बचाने के लिए चिपको आंदोलन हो या पेड़ लगाने के लिए मैती आंदोलन या प्रकृति का त्योहार हरेला हो। वही इसी प्रकार प्रकृति को प्रेम प्रकट करने का त्योहार फूलदेई मनाई जाती है। इस दौरान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल आदि मौजूद रहे।
वही इस मौके पर बच्चों द्वारा मनाए जाने के कारण फूलदेई को लोक बालपर्व भी कहा जाता है। चैत्र मास की प्रथम तिथि को फूलदेई पर्व मनाया जाता है। देवभूमि में हर पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बता दे कि उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का एक पर्व फूलदेई है जिसमें छोटे बच्चे की भूमिका अहम होती है। छोटे बच्चे फूलदेई, छम्मा देई गीत गाते हुए सुबह-सवेरे ही अपने घरों से निकल पड़ते हैं। अपनी डलिया में रंगबिरंगे फूल लेकर लोगों की देहरियों पर रखते हैं और सुख-समृद्धि की मंगलकामना के साथ यह गीत गाते हैं। बसंत ऋतु के स्वागत के तौर पर भी फूलदेई पर्व मनाया जाता है।