अब दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने ललकारा है! रावत

उत्तराखण्डः 30 अगस्त 2024, शुक्रवार को राजधानी /देहरादून में  आज अपने फेसबुक एकाउंट में उत्तराखंड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने  लिखा हैं की वाह निशंक जी, सरकार गिराने की साज़िश के कथानक पर आपका बयान देखा। आपने बहुत बहादुरी दिखाई। आपने स्पष्ट कहा है कि सरकार गिराने की साज़िश का पर्दाफाश होना चाहिए और आपके बयान से मुझे लगा कि यह सरकार गिराने की आग जहां जल रही है, हम तो केवल धुएं को देखकर के अंदाज लगा रहे हैं, लेकिन लगता है आप आग के नजदीक तक पहुंच गये हैं। आपने आग लगने के स्थान को चिन्हित कर लिया है।

इस दौरान  हरीश रावत ने आज फेसबुक एकाउंट में एक और पोस्ट मे लिखा की मुख्यमंत्री जी की टिप्पणी के बाद अब दो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. निशंक और त्रिवेंद्र उस षड्यंत्र की आग जहां जल रही है उसके निकट तक पहुंच चुके हैं, उनको सिर्फ इंतजार है स्पीकर महोदया के एक्शन का और मेरे विचार में भी इसमें सदन की एक कमेटी तो बननी चाहिए जिसमें विपक्ष को भी शामिल किया जाना चाहिए।

सदन में कहा है तो केवल खुफिया एजेंसियों पर क्यों निर्भर रहा जाए! जैसा मुख्यमंत्री जी ने कहा है। स्पीकर महोदया बकअप! दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने ललकारा है। मैं भी आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि एक कमेटी गठित करिए।

वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के बयान का समर्थन करते हुए कहा, यह 70 विधायकों की साख का सवाल है। सरकार गिराने की साजिश से जुड़े बयान की जांच होनी चाहिए। उधर, पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी फेसबुक पर निशंक की तारीफ की। बता दें कि निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भराड़ीसैंण में विस सत्र में सदन में सरकार गिराने की साजिश से जुड़ा बयान दिया था। इसके बाद राजनीति में खासी हलचल है।

पूर्व सीएम निशंक ने इस पूरे मामले की जांच की मांग उठाई। अब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मसूरी के कार्यक्रम में डॉ. निशंक के बयान का समर्थन किया। कहा, राज्य में भ्रम की स्थिति हो गई है। सरकार गिराने के लिए 500 करोड़ रुपये के मामले पर डॉ. निशंक ने जो कहा, उससे सौ फीसदी सहमत हूं। इस पर किसी भी विधायक ने सदन के अंदर या बाहर अभी तक कोई खंडन नहीं किया।

सरकार ने भी अभी तक कोई खंडन नहीं किया। इससे जनमानस में गलत संदेश जा सकता है। कहा, जिस व्यक्ति ने यह मामला उठाया और कोई विश्वसनीय व अनुभवी व्यक्ति नहीं है। उसको उत्तराखंड के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन विस में कोई बात उठी है और वह सदन की कार्यवाही का हिस्सा बना है, तो उनसे भी पूछा जाना चाहिए कि इसके प्रमाण दें। कहा, हमारा खुफिया तंत्र क्या कर रहा है। स्पीकर अगर मामले में प्रमाण मांगती तो अच्छा होता। यह राजनीति का समय नहीं है, राज्य के 70 विधायकों की साख का सवाल है। इस पर किसी भी विधायक ने सदन के अंदर या बाहर अभी तक कोई खंडन नहीं किया।

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