जिला नेत्र चिकित्सालय खुद नेत्रहीन बना..?

गांधी शताब्दी नेत्र अस्पताल में बच्चो की सेहत के साथ खिलवाड़ खुले आम हो रहा!

उत्तराखण्ड: 17 सितंबर 2025 राजधानी ,देहरादून स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय (कोरोनेशन) जिला चिकित्सालय, देहरादून की इकाई गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय प्रीतम रोड देहरादून में यह *नेत्र चिकित्सालय खुद नेत्रहीन बना*? यह चिकित्सालय आंखों के अस्पताल के नाम से देहरादून में संचालित हो रहा है । इस अस्पताल में रोजमर्रा करीब 200 से 250 मरीज अपना पंजीकरण कराते हैं। जिसमें अधिकतम मरीज आंखों के इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं ।

 सूत्रो के मुताबिक इस जिला अस्पताल गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय देहरादून के परिसर में बिना अनुबंध के संचालित हो रही कैंटीन उसी की आड़ में इस परिसर में बेचे जा रहे हैं मोमोज एवं चाऊमीन। वही जिसमें अस्पताल में आने वाले मरीज व तीमारदार एवं उनके बच्चों तथा स्कूल के छात्र-छात्राओं को इस अस्पताल के डॉक्टर चाइनीस व जंक फूड खाने के लिए पूर्ण रूप से मना करते हैं। क्योंकि यह चाइनीस फूड सभी की सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय के पीएमएस एवं चिकित्सालय संबंधित जिम्मेदार अधिकारी की ओर से इस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है, अस्पताल की लापरवाही के कारण चाइनीस व जंक फूड खुले आम धड़ल्ले से मुख्य गेट के आगे बेचे जा रहे हैं। सूत्रो का कहना है कि  बिना अनुबंध के संचालित हो रही इस कैंटीन पर कोई प्रभावी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। इसलिए कहा कि नेत्र चिकित्सालय खुद नेत्रहीन क्यों बना है।

बता दे की जिला अस्पताल गांधी शताब्दी चिकित्सालय के ठीक सामने नामी ग्रामी निजी स्कूल कक्षा 1 से 12 तक है । इस स्कूल की छुट्टी होने के बाद छात्र-छात्राएं अस्पताल के गेट के आगे अवैध रूप से लग रही मोमोज एवं चाऊमीन  दुकान की ओर छात्र-छात्राएं खिचे चले आते हैं! और मोमोज, चाऊमीन खूब खा रहे हैं, यही नहीं अस्पताल में आने वाले मरीज और तीमारदारों के बच्चे भी ललचा रहे हैं, और चाइनीस, जंक फूड खाने को मजबूर है।  गांधी शताब्दी नेत्र अस्पताल में बच्चो की सेहत के साथ खिलवाड़ खुले आम हो रहा!

वही जिसमें हैरान करने वाली बात यह है कि यह के जिम्मेदार डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी भी इस जंक फूड की बिक्री पर कोई रोक-टोक क्यों नहीं करते। साथ ही यहां पता चला है कि इस जिला अस्पताल में जब कोई अधिकारी निरीक्षण पर आता है या कोई कार्यक्रम होता है तो यह संचालित कैंटीन एवं जंक फूड बेचने वालों को यहां से हटा दिया जाता है। जिससे कि अस्पताल अपनी छवि को साफ सुथरी दिखा सके।

इस खबर को पढ़ने के बाद देखने वाली बात यह होगी कि प्रतिबंधित खाद्य पदार्थ की बिक्री पर चिकित्सालय प्रबंधन कोई प्रभावी कार्रवाई करता है या नहीं और साथ ही कैंटीन पर संचालन हेतु क्या स्पष्ट निर्देश देते हैं।

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