करोड़ों शिवभक्तों ने नीलकंठ महादेव का जलाभिषेक किया! स्वामी जी

CM धामी, डीएम, एसपी और कावंड मेला में तैनात सभी अधिकारियों को साधुवाद दिया।

उत्तराखण्डः 03 अगस्त 2024, शनिवार को देहरादून स्थित  ऋषिकेश मेें  परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कावंड मेला-2024 के शान्तिपूर्ण रूप से सम्पन्न होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, डीएम, एसपी और कावंड मेला में तैनात सभी अधिकारियों को साधुवाद दिया।

वही इस मौके पर ऋषिकेश  परमार्थ निकेतन द्वारा बाघखाला, राजाजी नेशनल पार्क में 35 हजार से अधिक कावंडियों व शिवभक्तों को चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध करायी, 200 बेर, आंवला और जामुन के पौधों का रोपण, 5 हजार से अधिक शिवभक्तों ने पौधारोपण का संकल्प लिया, 100 से अधिक कांवडियों ने नीलकंठ पैदल यात्रा के दौरान कचरा उठाकर परमार्थ निकेतन की ओर से उपहार  प्राप्त किया।  वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं’’ देशप्रेम से युक्त कविताओं का लेखन करने वाले कवि मैथिलीशरण गुप्त जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि।

वही इस  कावंड मेला के दौरान करोड़ों की संख्या में शिवभक्तों ने नीलकंठ महादेव का जलाभिषेक किया। देशप्रेम से युक्त कविताओं के लेखन करने वाले कवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर स्वामी ने भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि उनका काव्य कर्म नवजागरण चेतना से स्पंदित और प्रेरित करने वाला है। उन्होंने अपनी विभिन्न काव्य कृतियों में नवजागरण के जीवन मूल्यों को रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है।

उनकी कवितायें स्वचेतना, आत्मावलोकन, गौरवशाली अतीत का बोध कराने वाली है। कवि मैथिलीशरण गुप्त की कृति ’भारत भारती’ नवजागरण चेतना जागृत करने वाली कृति है ऐसे राष्ट्रकवि के भावों व चेतना को नमन। स्वामी ने कहा कि कावंड़ यात्रा के दौरान स्वर्गाश्रम और नीलकंठ पैदल मार्ग, राजाजी नेशनल पार्क में भंडारा वाले स्थानों के आसपास काफी कचरा पड़ा हुआ है जिससे कई बीमारियाँ भी हो सकती है!

इसलिये इसे जल्द से जल्द उठाया जाना चाहिये। पैदल मार्ग पर भारी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक व खाली वाटर बाॅटल बड़ी हुई है इसे हटाने में परमार्थ निकेतन परिवार पूरा प्रशासन का सहयोग करने के लिये तैयार है परन्तु इसे जल्द से जल्द हटाया जाना जरूरी है। साथ ही आगामी कावंड मेला के दौरान भंडारा लगाये जाने वाले सेवार्थियों को उनका कचरा उठाने की पूरी जिम्मेदारी लिखित रूप से देनी होगी ताकि देवभूमि उत्तराखंड की स्वच्छता, शुद्धता व पवित्रता बनी रहे।

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