देहरादून/उत्तराखण्ड: 23-APRIL.. 2023, खबर… राजधानी से रविवार को पीाछे कई वर्षो से उत्तराखंड की वन भूमि पर अतिक्रमण कर तेजी से धार्मिक स्थलों का निर्माण किया जा रहा है। वही राज्य के जंगलो में मजारों की संख्या तेजी से बढ़ने से सरकार भी चौकन्ना हो गई हैं। वही उत्तराखण्ड हाईकोर्ट नैनीताल ने भी इस मामले में राज्य सरकार और उत्तराखण्ड वन विभाग को कई बार फटकार लगा चुका है। वही अब इस मसले पर शासन के निर्देश के बाद वन मुख्यालय देहरादून ने सभी आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों से धार्मिक स्थलों की जानकारी मांगते हुए अधिकारियों को इन्हें हटाए जाने के सख्त निर्देश दिए थे। वही, गढ़वाल मंडल उत्तराखण्ड में 2294 और कुमाऊं मंडल में 9490 हेक्टेयर वन क्षेत्र में अतिक्रमण है।
इधर 19 अप्रैल 2023 को उत्तराखण्ड वन मुख्यालय देहरादून में हेड आफ फारेस्ट फोर्स के मुखिया का पद भार (PCCF) विनोद सिंघल ने फिर से संभाल लिया है। बता दें कि इससे 2 दिन पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहत मिली थी। इस दौरान वन मुखिया ने पद संभालने के बाद उनको भरतरी ने अपना चार्ज सौंपा। वही विनोद सिंघल ने चार्ज संभालते ही एक बड़ा आदेश जारी किया।
जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों में किए गए अवैध धार्मिक कब्जों के खिलाफ अभियान शुरू करने के आदेश दिए है। वन विभाग के नए मुखिया विनोद सिंघल ने सरकार के निर्देश के बाद यह फैसला लिया आपको बता दें कि पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन भूमि की जमीन पर जंगलो के अंदर बने अवैध धार्मिक कब्जो के खिलाफ अभियान शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं।
वहीं सीएम धामी ने ऐसे लोगों से अवैध कब्जे को हटाने और ऐसा नहीं करने पर सख्ती करने की बात कही थी। इस दौरान प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड वन विभाग ने राज्य में अब तक 300 से अधिक जंगलों में अवैध अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को चिन्हित किया है। वही उत्तराखण्ड के जंगल की जमीन पर बने बिना अनुमति और बिना किसी आदेश के इन धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। जबकि धर्म की आड़ में कई वर्षो से किए अवैध कब्जे के दौरान वही लोगों ने कच्चे पक्के रास्ते भी बना लिए हैं। इस दौरान पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने वन भूमि पर अतिक्रमण की रिपोर्ट अधिकारियों से तलब की।
वही हाल ही में ही उत्तराखण्ड वन मुख्यालय देहरादून में हेड आफ फारेस्ट फोर्स पीसीसीएफ विनोद सिंघल की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसमें वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए धर्म स्थलों के विरुद्ध कार्रवाई की योजना बनाई गई। वही इस दौरान वन विभाग द्वारा (CCF) मुख्य वन संरक्षक डॉ0 पराग मधुकर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। इस दौरान नोडल अधिकारी डॉ0 मधुकर धकाते ने सभी अधीनस्थों को निर्देश दिए कि वर्ष 1980 के बाद प्रदेश की वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए धर्म स्थलों को चिह्नित किया जाए।
वन क्षेत्रों में वर्ष 1980 के बाद बनाए गए धर्म स्थलों को हटाया जाएगा। उत्तराखण्ड वन मुख्यालय ने अब CCF) मुख्य वन संरक्षक एवं नोडल अधिकारी डॉ0 पराग मधुकर धकाते के मुताबिक जंगलो पर अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों के मामले में रेंज स्तर से रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही वन भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई को वन विभाग गंभीर हो गया है। और दोबारा ऐसे धर्म स्थलों का चिह्नीकरण कर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। वही, वन क्षेत्र को कब्जा मुक्त कराने के लिए नामित नोडल अधिकारी सीसीएफ पराग मधुकर धकाते ने सभी वन प्रभागों से तीन दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
सीसीएफ पराग मधुकर धकाते ने सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि वन क्षेत्र में कोई अवैध निर्माण करता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध वन संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। वही इस संबंध में उन्होने वन विभाग के अधिकारियों की बैठक भी की गई है। वही बैठक में अधिकारियों को कहा गया है पहले अतिक्रमण और फिर इसे हटाए जाने की फोटो भेजी जाए। साथ ही जीपीएस के माध्यम से भी इस तरह के स्थलों का पता लगाया जाए।
बता दे कि पीछे वर्ष में उत्तराखंड के जंगलों में अतिक्रमण कर बनाई गई 100 मजारें तोड़ी गई। बता दे कि उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री ने वन भूमि से सभी प्रकार का अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में वन विभाग की ओर से अवैध धर्मस्थलों की सूची तैयार कर हटाने की कार्रवाई की जा रही है।कई अब भी निशाने पर !