बड़ा सवाल : लोगों की मौत के मामले में दर्ज रिपोर्ट में बाबा का नाम क्यों नहीं

उत्तराखंड: 04 जुलाई 2024, देहरादून। हाथरस के सिकंदराराऊ में हुई भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, जिनमें से 106 की पहचान यूपी के 17 जिलों के निवासियों के रूप में हुई है, जबकि छह देश के अलग अलग राज्यों के निवासी हैं। बाकी की पहचान के प्रयास जारी हैं। इन सभी को राज्य-केंद्र सरकार मिलकर मुआवजा देगी। हादसे में 38 लोग घायल हैं, जो खतरे से बाहर हैं। सीएम योगी ने खुद हाथरस के जिला अस्पताल में घायलों का हाल जाना। चश्मदीद घायलों से बात की। सीएम के अनुसार हादसे में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ 3 अन्य राज्यों के श्रद्धालु भी शामिल हैं। जिनकी मौत हुई है। अब तक शिनाख्त के अनुसार मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक, हरियाणा के पलवल से एक और फरीदाबाद से तीन, जबकि राजस्थान के डीग से एक की मौत हुई है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के मृतकों में सर्वाधिक 22 मृतक हाथरस से हैं, जबकि आगरा से 17, अलीगढ़ से 15, एटा से 10, कासगंज और मथुरा से 8-8, बदायूं से 6, शाहजहांपुर और बुलंदशहर से 5-5, औरैया और संभल से 2-2, जबकि ललितपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और उन्नाव से एक-एक श्रद्धालु की मृत्यु हुई है। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश से बाहर के छह और उत्तर प्रदेश के 106 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 121 में से अब तक 112 की शिनाख्त हुई है। इन 121 मृतकों में से 113 महिलाएं, 6 बच्चे (5 बच्चे और 1 बच्ची) और दो पुरुष शामिल हैं। प्रशासन की ओर से कंट्रोल रूम/हेल्पलाइन नंबर 05722-227041, 42, 43, 45 भी जारी किया गया है।
हाथरस के सिंकदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में विगत 02 जुलाई 2024 दिन मंगलवार को नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में हुई 121 लोगों की मौत के लिए फिलहाल बाबा के सेवादार, निजी सुरक्षा कर्मी और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। चाहें आयोजन की अनुमति देने वाले एसडीएम की रिपोर्ट हो या फिर सिंकदराराऊ थाने में दर्ज मुकदमा। इन दोनों ही रिपोर्ट में भगदड़ के लिए इन्हें ही जिम्मेदार माना जा रहा है।
वहीं, आयोजकों को इसके लिए दोषी माना गया है कि उन्होंने पूर्व के सत्संगों में जुटने वाली भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए केवल 80000 की भीड़ इकट्ठा होने की अनुमति मांगी थी। फिलहाल शासन स्तर से अफसरों को भी क्लीन चिट दे दी गई है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रशासन को पता था कि अस्सी हजार की भीड़ जुटेगी तो उस तरह से इंतजाम क्यों नहीं हुए। इन सवालों का जवाब अभी तक कोई नहीं दे पाया है। इस पूरे मामले में अभी तक किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई है। आज मुख्यमंत्री के साथ हाथरस पहुंचे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया। भगदड़ में घायल लोगों से भी बात की। अफसरों से भी जानकारी ली लेकिन बाद में इन अफसरों ने जिम्मेदार केवल आयोजकों और बाबा के सेवादारों को ही ठहराया। इन दोनों अधिकारियों के रुख से हाथरस के अफसरों ने भी चैन की सांस ली। वहीं, अलीगढ़ की कमिश्नर चैत्रा वी ने बताया कि प्रकरण में जांच की जा रही है। कई बिंदुओं पर गहनता से परीक्षण किया जा रहा है। सत्संग में भगदड़ मचने से हुई लोगों की मौत के मामले में दर्ज रिपोर्ट में बाबा का नाम क्यों नहीं है, यह सवाल भी मुख्यमंत्री और पुलिस अफसरों के सामने खूब गूंजे। पत्रकार अफसरों से बार-बार सवाल पूछते रहे कि क्या बाबा का नाम भी मुकदमे में शामिल किया जा रहा है। लेकिन इस पर किसी का कोई जवाब नहीं आया। बस अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि जांच की जाएगी, जिसकी भी जिम्मेदारी होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन्होंने आयोजन की अनुमति ली थी, उनके खिलाफ मुकदमा होता है। उसके बाद दायरा बढ़ता है। अन्य जो भी लोग जिम्मेदार होंगे, वह जांच के दायरे में आएंगे। यहां अफसरों के सामने पत्रकारों ने यह भी कहा कि बाबा इतना बड़ी घटना होने के बाद भी नहीं आए। उन्हें रुककर लोगों की मदद करानी चाहिए थी। घायलों का हाल जानना चाहिए था। पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन का कहना है कि इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी होनी चाहिए थी। कम से कम 600 से 700 पुलिस कर्मी लगाए जाते। पीएसी की कंपनी होती। वहीं बाबा को अपनी एंबुलेंस और डाक्टर तैनात करने चाहिए थे। जिस तरह की घटना हुई है, उसके हिसाब से बाबा पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि बाबा इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मौके से चले जाते हैं। उन्हें तो यहां रुककर लोगों की मदद करनी चाहिए थी। उपजिलाधिकारी सिकंदराराऊ ने ही फुलरई मुगलगढ़ी गांव में श्री नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा के सत्संग को अनुमति दी थी। अब इस हादसे के बाद एसडीएम ने जिलाधिकारी आशीष कुमार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कहा है कि भोले बाबा दोपहर 12:30 बजे सत्संग पंडाल में पहुंचे थे। एक घंटा कार्यक्रम चला। इसके बाद लगभग 1:40 बजे भोले बाबा पंडाल से निकलकर हाईवे पर एटा की तरफ जाने के लिए आए। जिस रास्ते से भोले बाबा निकल रहे थे, उस तरफ सत्संगी महिलाएं और पुरुष उनके दर्शन व चरण स्पर्श और आशीर्वाद स्वरूप उनकी चरण रज लेकर अपने माथे पर लगाने लगे। डिवाइडर कूदकर उनके वाहन की तरफ दौड़ने लगे। बाबा के साथ उनके निजी सुरक्षा कर्मी (ब्लैक कमांडो) और सेवादारों द्वारा बाबा के पास भीड़ न पहुंचने की स्थिति में भीड़ के साथ स्वयं ही धक्का-मुक्की करना शुरू कर दिया, जिससे कुछ लोग नीचे गिर गए। तब भी भीड़ नहीं मानी। अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। भीड़ कार्यक्रम स्थल के सामने खुले खेत की तरफ भागी और यहां फिसलकर लोग गिए गए। इसके बाद उठ नहीं सके। भीड़ उनके ऊपर से होकर इधर-भागने लगी। सिकंदराराऊ थाने के प्रभारी निरीक्षक ने 29 जून को पुलिस कप्तान को पत्र लिखा था, जिसमें देवप्रकाश मधुकर, मुख्य सेवादार मानव मंगल मिलन सद्भावना समिति द्वारा थाना क्षेत्र के मुगलगढ़ी व फुलरई के पास हाईवे किनारे 2 जुलाई को साकार नारायण विश्व हरि भोले बाबा द्वारा सत्संग किया जाना प्रस्तावित बताया है। जिसमें आसपास के जनपदों तथा अन्य क्षेत्र से करीब एक लाख भक्तों के शरीक होने की संभावना है। निवेदन है कि कार्यक्रम को सकुशल संपन्न कराने हेतु पुलिस बल उपलब्ध कराने की कृपा करें। इस पर अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा जो पुलिस की तैनाती की गई, अब वह भी जान लीजिए। उनके आदेश की कॉपी में जो फोर्स का उल्लेख है, उसमें एक एसएचओ, 4 इंस्पेक्टर, 6 एसआई, 2 महिला दरोगा, 30 हेड कांस्टेबल, 7 महिला कांस्टेबल और ट्रैफिक पुलिस के 4 लोग लगाए। डेढ़ सेक्शन पीएसी (15 लोग) की तैनाती की गई थी। अब यह सोचने की बात है कि जब थाना प्रभारी एक लाख भीड़ जुटने की जानकारी दे रहा है तो अफसरों को क्या केवल इतनी ही फोर्स लगानी चाहिए थी। क्या इन सवालों से पुलिस के उच्चाधिकारी बच सकते हैं।
हाथरस में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई। हादसे पर मंगलवार की देर रात पुलिस की ओर से सिकंदराराऊ कोतवाली में आयोजकों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अनुमति से अधिक भीड़ एकत्रित करने, सामूहिक हत्या आदि के संगीन आरोप में यह मुकदमा दर्ज किया गया है। इस बीच सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस भोले बाबा उर्फ सूरजपाल उर्फ एसपी सिंह उर्फ साकार विश्व हरि की कुंडली खंगाल रही है। प्राथमिक पड़ताल में सामने आया कि नारायण साकार हरि को 24 साल पहले मृत किशोरी को पुनर्जीवित करने का दावा करने के लिए गिरफ्तारी हुई थी। सिपाही से ‘चमत्कारी बाबा’ बनने वाले सूरजपाल सहित सात लोगों पर 18 मार्च 2000 को थाना शाहगंज में केस दर्ज हुआ था। गिरफ्तारी भी की गई थी। श्मशान घाट में 24 साल पहले एक किशोरी को मलका चबूतरा में जिंदा करने की कोशिश की गई थी। पुलिस के पहुंचने पर बवाल हुआ था। पुलिस ने बल प्रयोग कर कथित बाबा के कई अनुयायियों को हिरासत में लिया था। पहले चार्जशीट लगाई थी। बाद में फाइनल रिपोर्ट लग गई। मूलरूप से बहादुर नगर, पटियाली एटा निवासी सूरजपाल खुफिया विभाग (एसपीआर कार्यालय) में सिपाही थे।
पटियाली क्षेत्र में तंत्र मंत्र वाले कई बाबाओं का मकड़ जाल फैला हुआ है। इस इलाके में तंत्र मंत्र के चक्कर में पूर्व मे कई सनसनीखेज आपराधिक वारदात भी हो चुकी हैं। इस क्षेत्र में भोले बाबा के पूर्व सेवादार भी बाबा से अलग होकर करीब एक दशक से अपना आश्रम चला रहे हैं और आश्रम पर सत्संक आदि के कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। लोगों के बीच ऐसी चर्चाएं सिकंदराराऊ हादसे के बाद तेज हो चली हैं। पटियाली का इलाका बाबाओं के लिए काफी प्रसिद्ध है। छोटे छोटे मंदिर मठों पर भी तंत्र साधना कई बाबाओं के द्वारा की जाती है। पूर्व में आपराधिक घटनाओं के सिलसिले में कई बाबा पुलिस की चंगुल में भी आ चुके हैं। वर्ष 2017 में सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में तंत्र मंत्र वाले बाबा के भरोसे पर एक पिता ने अपने तीन माह के मासूम बच्चे की बलि चढ़ा दी थी। इसी साल सिढ़पुरा के किलौनी में एक बालिका की बलि चढ़ाई गई। अमांपुर थाना क्षेत्र के शाहपुर में भी तांत्रिक बाबा के फेर में बलि की घटना हुई थी। करीब 3 वर्ष पूर्व गांव ढिलावली में होमगार्ड के एक जवान की हत्या की घटना हुई। यह जवान भी बाबा बनकर तांत्रिक क्रिया करता था।

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