BIG NEWS: डीएवी में कई घोटाले/प्रोस्पेक्टर, फर्जी एडमिशन मामले में छात्रो ने किया प्राचार्या का घेराव.!

देहरादून/उत्तराखण्ड: 27 SEP.–2023: खबर…. राजधानी से बुद्धवार को  राजधानी देहरादून में सबसे बड़े डीएवी महाविद्यालय  देहरादून में कॉलेज छात्र संघ चुनाव में जिस तरह हर बार सियासी दलों की जंग देखने को मिलती है। वही सूत्रो की माने तो माह अक्टुबर 2023 में छात्र संघ चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। ऐसे में छात्र नेताओ को छात्र संघ चुनाव की तारीखों का इंतजार है। हालांकि उत्तराखंड में सबकी नजर छात्र संघ चुनाव में डीएवी कॉलेज पर ही रहती है। जो कि छात्र राजनीति का अड्डा माना जाता है।

वही इस दौरान आज बुधवार को डीएवी (पीजी) कॉलेज में सत्यम छात्र शिवम छात्र संगठन से जुड़े छात्रों ने डीएवी के प्राचार्य का घेराव किया। वही उन्होंने मांग की डीएवी में हुए छात्रो के प्रवेश प्रक्रिया हेतु प्रोस्पेक्टर घोटाले एवं रखरखाव घोटाले एवं फर्जी प्रवेश के संबंध में तीन बिंदुओं पर प्राचार्य से जवाब मांगा है।

इस दौरान छात्र नेता आकीब अहमद ने बताया कि डीएवी महाविद्यालय में कोरोना काल के दौरान कई घोटाले सामने आए हैं। जिसमें छात्र नेता अहमद का कहना है कि जब कोरोना काल में कर्फ्यू लगा हुआ था तो उसे समय प्राचार्य डॉक्टर अजय सक्सेना ने अपनी कार में हजारों रुपए का पेट्रोल कैसे फूंक दिया। यह भी एक बड़ा घोटाला सामने है। वहीं दूसरी ओर कालेज के खेल विभाग में खेल फंड में से प्राचार्य के ड्राइवर का वेतन एवं कार के पेट्रोल का खर्चा आदि कई ऐसे खर्चे जो की खेल फंड से खर्च किए गए हैं।

जबकि कालेज प्रशासन के पास इन खर्चों के लिए अलग से फंड रहता है। तो छात्रों का खेल विभाग से क्यों पैसे निकाला जाता है। वही कॉलेज के प्राचार्य छात्रो के पैसे ऐसे क्यों उड़ा रहे हैं। वही इस कॉलेज फंड में जो भी पैसा होता है वह छात्रों की फीस से ही जमा होता है। एवं सरकार द्वारा भी समय.समय पर छात्रों के हितों के लिए फंड भेजती है।

वही इस मौके पर सत्यम शिवम ग्रुप के छात्र नेताओं का कहना है कि हाल ही में CUET-2023 के आधार पर प्रथम वर्ष में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान 26 छात्रों के फर्जी एडमिशन पकड़े गए हैं। जिसमें छात्रों पर कार्रवाही कॉलेज प्रशासन एवं प्राचार्य की ओर से करने जा रहा है। जबकि छात्रों की गलती नहीं है, एडमिशन कमेटी के शिक्षको को पहले ही इन ऐडमिशनों को जांच कर नहीं होने दिया जा जाना चाहिए था। वही इस एडमिशन कमेटी में जो शिक्षक शामिल थे उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

वही इस दौरान वर्तमान प्राचार्य प्रो0/डॉ0 के.आर. जैन ने बताया कि कॉलेज अपना कार्य सही तरीके से कर रहा है। वही जिन छात्रों के फर्जी एडमिशन पकड़े गए हैं, उन पर कानूनी कार्रवाही की जाने पर मंथन चल रहा है। साथ शिक्षको का बचाव करते हुए उन्होने कहा कि एडमिशन कमेटी पर कार्रवाही करना संभव नहीं है। क्योंकि छात्रों ने ही पहले CUET-2023परीक्षा की मार्कशीटों पर हेरा फेरी की है, बार कोड से स्पष्ट हो गया हैं कि असली छात्र कौन है।

इस लिए एडमिशन कमेटी का कोई इसमें हस्तक्षेप नहीं रहता। वही इसी के साथ प्राचार्य के.आर. जैन ने कालेज घोटालो पर कोई स्पष्ट जवाब नही दिया। प्रो0 जैन का कहना है कि यह तो शासकीय नियम/प्रक्रिया है कि कॉलेज का फंड कहीं से भी प्रयोग किया जा सकता है। इसमें कोई घोटाले वाली जैसे बात नहीं है। लेकिन छात्रों ने जो आरोप लगाए हैं, घोटाले को लेकर वह निराधार है फिर भी इस पर छात्रों के इस मांग पर विचार विमर्श किया जाएगा। साथ ही उन्होंने अपना पल्ला झाड़ने हुए कहा कि कॉलेज में चुनाव का माहौल है। इसलिए छात्रों को या घोटाले का मुद्दा याद आ रहा है। और इस पर कोई कार्रवाही करना संभव नहीं हो सकता।

वहीं इसी के साथ कॉलेज में हर वर्ष के छपने वाले प्रवेश हेतु छपवाएगए प्रोस्पेक्टर को लेकर भी छात्रो ने सवाल उठाए हैं। जिसमें उनका कहना है कि छात्रों के लिए प्रवेश हेतु जो प्रोस्पेक्टर छपाए गए हैं। वह कई अधिक संख्या में प्रोस्पेक्टर छपवाये हैं। जबकि कालेज छात्र संख्या इससे कई गुना काम हो गई है। वही पीछले वर्ष से ही सीयूईटी के आधार पर एवं ऑन लाइन के माध्यम से कॉलेज एडमिश के संबंध में प्रक्रिया ऑनलाइन कर रखी है तो इतनी संख्या में अब प्रोस्पेक्टर को छपवाने का कोई औचित्य नहीं है। फिर भी अगर प्रोस्पेक्टर छिपाए हैं तो एडमिशन के दौरान छात्रो को क्यो नही दिए जा रहे है।

सभी छात्र आनलाइन के माध्यम से प्रवेश ले रहे है। जबकि प्रथम वर्ष के प्रवेश में 3815 सीटों पर ही प्रोस्पेक्टर छपने चाहिए थे ना की 12000 से अधिक प्रोस्पेक्टर छपा कर छात्रों का पैसा पानी की तरह बेफिजूल में खर्च किया जा रहा है। जबकि इस पैसो का कहीं और उपयोग किया जा सकता है। या फिर पहले की तरह जैसे कालेज में एडमिशन किए जाते थे। वही इस ऑनलाइन प्रक्रिया एडमिशन की बंद कर दी जाए और प्रोस्पेक्टर के आधार पर ही एडमिशन किया जाए तो बात समझ में आती है।

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