देहरादून/उत्तराखण्ड: 12 Dec.–2023: खबर…. राजधानी से नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा केएसएम फिल्म प्रोडक्शंस, फ्लो उत्तराखंड और पंचम वेद के सहयोग से देहरादून में पांच दिवसीय महिला निर्देशकों के नाट्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। वही आज मंगलवार को देहरादून में चल रहे पांच दिवसीय महिला निर्देशकों के नाट्य महोत्सव का दूसरा नाटक हुआ। वही इस दौरान फेस्टिवल डायरेक्टर कुणाल शमशेर मल्ला ने मीडिया को बताया कि इस नाट्य महोत्सव में उत्तराखंड की निर्देशकों के साथ-साथ अन्य राज्यों से फिल्म व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय निर्देशिकाओं व अभिनेता अभिनेत्रियों के नाट्य दलों को बुलाया गया है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि फ़िल्म निर्माता श्रीप्रकाश ने कहा कि देहरादून के लिए यह बड़े ही गर्व और खुशी का अवसर है कि महिलाओं पर केंद्रित इस महोत्सव की शहर वासियों के लिए शुरुआत की गई। आगे भी इस तरह के प्रयास निरंतर किए जाएंगे। फ्लो उत्तराखंड की चेयरपर्सन अनुराधा मल्ला ने कहा की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं अभिनय व नाटक एक क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। वही इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर विशाल सावन, निशांत पवार, आशीष शर्मा, मानवी नौटियाल, अनुराग वर्मा, आशीष वर्मा आदि मौजूद रहे।
वही जिसमें आज का नाटक नाटक -नाक. कथा सार :- नाटक में पिल्लू नाई सुबह सोकर उठता है, ब्रेड खाने के लिए काटता है तो उसमें से एक कटी नाक प्लेट में गिर जाती है, उसकी पत्नी ताने देती है। और उसे घर से बाहर फेंकने को कहती है पिल्लू नाई नाक को कपड़े से छिपाकर शहर में कई जगह छुपाने की कोशिश करता है।
लेकिन नाक को छिपा नहीं पाता अंत में नदी में फेंक देता है और पुलिस यह देखती है तो पकड़ लेती है अब एक उच्च पदाधिकारी सुबह नींद से उठकर मुंह धोते हैं तो उनके चेहरे से नाक गायब है मुंह छुपा कर शहर में खोजने निकलते हैं तो उनकी नाक ने एक अधिकारी का रूप धारण कर लिया । और अब वह गुम हो चुकी नाक से अपनी जगह वापस दोनों गालों के बीच आने की बात कहता है तो वह अधिकारी साफ मना कर वहां से चला जाता है।
वही इस दौरान पदाधिकारी पुलिस के पास शिकायत लेकर जाता है तो वहां उनकी खिल्ली उड़ा दी जाती है। फिर अखबार के दफ्तर में अपनी गुमशुदा नाक का इश्तिहार निकलवाने के लिए जाता है। वहां लोग उस पर विश्वास नहीं करते इसी तरह कई छोटी बड़ी परिस्थितियों से मनोविनोद पैदा होता है। और अंत में कई दिनों बाद गुमशुदा नाक दोनों गालों के बीच होठों के ऊपर अपने स्थान पर आ जाती है। पदाधिकारी तन मन से प्रफुल्लित हो जाता है।
मंच पर – रमन कुमार, हरिकेश मौर्य, अभिनाश कुमार राज
मंच परे -संगीत संयोजन एवं संचालन – हर्ष मनु
वेशभूषा – हरिकेश मौर्य, मार्टिना मेधी
मंच व्यवस्था – रमन कुमार
रूप सज्जा – स्वयं कलाकारों के द्वारा
प्रापर्टी – हरिकेश मौर्य, अभिनाश कुमार राज
मूल आलेख – निकोलोई गोगोल
भारतीय नाट्य रूपान्तरण –मनोज मिश्रा
प्रकाश परिकल्पना – अब्दुस अंसारी