देहरादून/उत्तराखण्ड: 27 Oct.–2023: खबर…. राजधानी से शुक्रवार को उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर आए उपराष्ट्रपति ने इससे पहले गंगोत्री , केदारनाथ और बद्रीनाथ का दौरा किया । अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “जब से मैं और मेरी पत्नी कल देवभूमि में उतरे हैं तब से दिव्यता, उदात्तता, शांति और मनोरम वातावरण का अनुभव हुआ है।”
आज शुक्रवार को देहरादून स्थित (FRI) वन अनुसंधान संस्थान में आज भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विकास और संरक्षण के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे नागरिकों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करते हुए हमारे जंगल फलते-फूलते रहें। यह देखते हुए कि वन हमारे लाखों नागरिकों, विशेषकर आदिवासी समुदायों की जीवन रेखा हैं, उन्होंने रेखांकित किया कि हालांकि वनों का संरक्षण, महत्वपूर्ण है तथापि वन संसाधनों पर निर्भर समुदायों को उन से अलग नहीं किया जा सकता है।
वही इस दौरान देहरादून में (FRI) वन अनुसंधान संस्थान में वनों पर संयुक्त राष्ट्र मंच – भारत द्वारा देश के नेतृत्व वाली पहल के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह पृथ्वी हमारी नहीं है, और हमें इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंपना होगा। जैव विविधता के पोषण और संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि हम केवल इसके ट्रस्टी हैं, और हम अपने लापरवाह दृष्टिकोण और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ अपनी भावी पीढ़ियों के साथ समझौता नहीं कर सकते।
उन्होनें अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। भावी चुनौतियाँ के प्रति लोगों को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि यदि विकास टिकाऊ नहीं है तो पृथ्वी पर जीवित रहना मुश्किल होगा।
इसी के साथ राज्यपाल ने कहा कि अपने नामानुकूल, देवभूमि उत्तराखंड में हम अपने वनों को भी देवताओं का दर्जा देते हैं, हमने अपने वनों को बचाने के लिए ‘चिपको आंदोलन’ जैसे आंदोलन किए हैं, राज्यपाल ने चिपको के समान ही राजस्थान में चलाए गए ‘बिश्नोई आंदोलन’ का भी जिक्र करते हुए कहा पूरे भारत में ही हमने वनों के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। उन्होंने सभी को उत्तराखंड में हमारी विविधताओं को अनुभव करने के लिए एक पर्यटक के रूप में वापस आने का न्योता भी दिया।
इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, वन महानिदेशक, चंद्र प्रकाश गोयल, निदेशक, यू एन एफ एफ सुश्री जूलियट बियाओ कॉडेनौक पो , अतिरिक्त महानिदेशक वन, महानिदेशक, आईसीएफआरई, बिवाश रंजन , भरत लाल, और विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सम्मानित प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।