इस नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आई हैं, वहीं 30 साल बाद 3 दुर्लभ संयोग है!
देहरादून/उत्तराखण्ड: 14 Oct.–2023: खबर…. राजधानी से शनिवार को इस बार नवरात्रि के पहले दिन हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढ़ेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आई हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है. मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा।
हिंदू धर्म के धार्मिक गुरूो के मुताबिक, इस बार की नवरात्रि बेहद ही खास है। एक तरफ जहां माता का वाहन हाथी शुभ माना जा रहा है। तो वहीं नवरात्रि पर 30 साल बाद 3 दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। तो चलिए आइए जानते हैं ये योग क्यों शुभ माना जा रहा है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्तूबर, 2023 को शुरू होगी और 24 अक्तूबर, 2023 को समाप्त होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार दिनांक 15 अक्तूबर को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है। इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है।नवरात्रि के पूरे नौ दिन देवी दुर्गा की विधि-विधान के साथ उपासना करने से भक्तों की हर अधूरी इच्छा पूरी हो जाती है। मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए जगह-जगह भंडारा और जगराता, जागरण का आयोजन किया जाता है। वही कई जगहों पर देवी मां का भव्य पंडाल भी सजाया जाता है, जहां मां शेरावाली की मूर्ति स्थापित की जाती है।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन माता रानी की कृपा पाने के लिए सही विधि और शुभ मुहूर्त में कलश या घटस्थापना करना चाहिए।
- नवरात्रि के पहले कलश स्थापना करें
- माता रानी के सामने अखंड ज्योत जलाएं
- नवरात्रि का उपवास रखें
- माता रानी की विधिपूर्वक पूजा और आरती करें
- देवी मां को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें
- नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के मंदिर जाएं और माता रानी का लाल चुनरी, नारियल चढ़ाएं।
- नवरात्रि के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और तामसिक भोजन से दूर रहें।
- इस सारी कार्यविधि में एक चीज का विशेष ध्यान रखें कि ये सब करते समय नवार्ण मंत्र अवश्य पढ़ें। नवार्ण मंत्र है- ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे।’
- मिली ताजा जानकारी के अनुसार 15 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, रविवार और चित्रा नक्षत्र के साथ ही वैधृति योग है। वैधृति योग आज सुबह 10 बजकर 24 तक रहेगा। उसके बाद विषकुम्भ योग लग जाएगा। शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम के लिए वैधृति योग सम्पूर्ण त्याज्य है। अतः आज सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक कलश स्थापना सम्पूर्ण त्याज्य है। उसके बाद विषकुम्भ योग लग जाएगा, जिसकी प्रथम 5 घटिकाएं त्याज्य हैं। आपको बता दूं एक घटी चौबीस मिनट की होती है और 5 घटी का मतलब पूरे-पूरे 2 घंटे, यानि कि आज दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक आप कलश नहीं रख सकते। अब बचा दोपहर 12 बजकर 24 मिनट के बाद का समय, जिसमें राहुकाल आज शाम 4 बजकर 26 मिनट से शाम 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। वहीं कुछ विद्वान अभिजीत मुहूर्त को निर्दोष मानकर अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की सलाह देते हैं, क्योंकि नित ही सूर्य जब अपने चरम पर होता है तो सभी कुछ अस्त हो जाता है और सूर्य के आगे सभी कुछ प्रभावहीन हो जाता है। मध्याह्न के इस मुहूर्त को अभिजित मुहूर्त कहते हैं। आज के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर पहले 11 बजकर 22 मिनट से दोपहर 12 बजकर 8 मिनट तक रहेगा।
बता दें कि साल में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन महीने में नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन में आने वाले नवरात्र प्रमुख होते हैं, जबकि अन्य दो महीने पौष और आषाढ़ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाए जाते हैं।
बता दें कि यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। uttarakhanddwaar web portal इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। वही इस नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर 2023, से शुरू हो कर 23 अक्टूबर 2023 तक चलेंगे। नवरात्रि के पहले दिन देवी मां के निमित्त कलश स्थापना की जाती है। और अगले दिन 24 अक्टुबर को विजय दशमी या दशहरा पर्व मनाया जाएगा।