देहरादून/उत्तराखण्ड: 17 AUGUST .. 2023: बृहस्पतिवार को उत्तरकाशी जिले में बटर फेस्टिवल पर दूध, दही मक्खन की होली खेलने के लिए स्थानीय ग्रामीण, दयारा पर्यटन समिति के पदाधिकारी एवं वन, राजस्व व पर्यटन विभाग के अधिकारी बुधवार सांय को दयारा बटर फेस्टिवल की होली खेलने पहुंच गए हैं। वही इस बटर फेस्टिवल की होली खेलने के लिए स्थानीय ग्रामीण, दयारा पर्यटन समिति के पदाधिकारी एवं वन, राजस्व व पर्यटन विभाग के अधिकारी बुधवार सांय को दयारा पहुंच गए हैं। वही गुरूवार 17 AUGUST 2023 को ऐतिहासिक और पारंपरिक रूप से मनाए जाने वाले बटर फेस्टिवल;अढूंड़ी उत्सव, की पहाड़ में अनोखे अंदाज में होली खेली गई।
मिली ताजा जानकारी के अनुसार गुरुवार को उत्तराखंड उत्तरकाशी जिले से 40 किमी दूर समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर दयारा बुग्याल में दूध-मक्खन की होली खेली गई। दयारा बुग्याल उत्तरकाशी में एक ऐसी जगह भी है, जहां पर सदियों से दूध-मक्खन की अनूठी होली खेली जाती है।जी हां, सदियों से उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में अंढूड़ी उत्सव(बटर फेस्टिवल) का आयोजन किया जाता है। वही इस अवसर पर कृष्ण और राधा के मटकी फोड़ने के बाद पंचगाई पट्टी सहित आस-पास के ग्रामीणों ने दूध-दही और मक्खन की होली खेली। गुलाल की जगह एक दूसरे पर लोगों ने दूध-मक्खन लगाकर रासो तांदी नृत्य का आयोजन किया।
वही इस मौके पर गुरुवार को ग्रामीणों की बुग्याल में स्थित छानियों में एकत्रित दूध-दही और मक्खन को वन देवताओं सहित स्थानीय देवी-देवताओं को भोग चढ़ाया गया। उसके बाद राधा-कृष्ण ने मक्खन की हांडी को तोड़ा और उसके बाद बटर फेस्टिवल का जश्न शुरू हुआ। बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उत्सव में प्रतिभाग किया। वही इस अवसर पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने समेश्वर देवता, शेषनाग, बासुकी नाग देवता की डोली के साथ ग्रामीणों के एक जत्थे को दयारा बुग्याल के लिए रवाना किया और पारंपरिक अढूंड़ी पर्व की शुभकामना एवं बधाई दी।
बता दे कि रंगों और फूलों से होली के बारे में आपने जरूर सुना होगा। इस दौरान मिली ताजा जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी में गुरुवार 17 Aug. 2023, को सुबह दयारा पर्यटन उत्सव समिति के निमंत्रण पर पंचगाई रैथल सहित नटीण, बंद्राणी, क्यार्क, भटवाड़ी के आराध्य देवता समेश्वर देवता की देवडोली सहित पांच पांडवों के पश्वा दयारा बुग्याल पहुंचे।भटवाड़ी ब्लॉक के रैथल गांव से सात किमी. की दूरी पर दयारा बुग्याल में हर वर्ष रैथल के ग्रामीण भाद्रपद महीने की संक्राति को पारंपरिक रूप से अढूंड़ी उत्सव का आयोजन करते हैं। प्रकृति को समर्पित इस पर्व में दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेल कर प्रकृति के प्रति अपना सम्मान दर्शाया जाता है। बता दें कि यह उत्सव पारंपरिक और पौराणिक है। ग्रामीण बुग्यालों से अपने मवेशियों को जब अपने घरों की ओर वापसी करते हैं। तो इस मौके पर ग्रामीण दूध-दही मक्खन को वन देवताओं और स्थानीय देवताओं को चढ़ाकर आशीवार्द लेते हैं।