कहा जाता है कि यह उपनल कर्मचारी ( गार्ड) सभी तरह के मेडिकल कॉलेज के सभी कार्यक्रमों में मुख्य रूप से हस्तक्षेप रहता है। साथ ही अपने आगे किसी और को भी आगे आने भी नही देता है । आखिर यह संविदा कर्मचारी है कौन? और इसका कार्य शैली क्या है? सूत्रों की माने तो दून मेडिकल कॉलेज में इस उपनल कर्मी ( गार्ड) के हाथो में नजारत अनुभाग भी है !
वही इस दून मेडिकल कॉलेज में मनामने ढंग से नियमों को ताक पर रख कर कुछ भी किया जा सकता है, ऐसा ही एक मामला राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में भी प्रकाश मे आया है, जहाँ कॉलेज प्रशासन की ओर से कॉलेज के गार्ड में भर्ती नजारत अनुभाग की जिम्मेदारी उपनल से भर्ती सुरक्षाकर्मी के पद पर तैनात श्री धर्मपाल सिंह को दे दी गईं है, काबिलेगौर है कि मेडिकल विभाग के नजारत अनुभाग एक ऐसा जिम्मेदारी वाला विभाग होता है जिसके ऊपर प्रशासनिक कार्यों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है, समान की ख़रीद फरोख्त, मेंटेनस, इत्यादि कई चीजों की आपूर्ति नजारत अनुभाग से ही होती है, जिसके लिए परमानेंट अनुभवी कर्मचारी को नजारत अनुभाग का नाजिर बनाया जाता है। लेकिन इन सबके उलट दून मेडिकल कॉलेज मे नजारत अनुभाग की जिम्मेदारी उपनल से गार्ड मे तैनात धर्मपाल नाम के संविदा कर्मी को कैसे दे दी गईं है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
जिसके बारे में सूत्र द्वारा बताया जाता है की राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के ( गार्ड) नाजिर के रूप मे कार्यरत यह कर्मचारी अपनी मनमानी पर ही उतारू है, मनमाने रूप से पैसे को ख़र्च करना, सहयोगी कर्मचारियों से गलत व्यवहार इसकी आदत में शुमार है, यहाँ तक की मेडिकल कॉलेज की सफाई व्यवस्था को भी यह ठीक से अनुपालन नहीं कर पा रहा है। साथ ही आउटसोर्स कर्मचारियों पर रोब ग़ालिब करना इसकी आदत है। वही जानकर यह भी बताते है की नजारत अनुभाग के नाजिर के पास 40 हजार रूपये का निजी बजट होता है, जिसको वह अपनी मर्जी से जरूरत के हिसाब से खर्चा कर सकता है, और इससे ऊपर के खर्च करने के लिए विभाग की अनुमति की जरूरत होती है।
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और इसके लिए विभाग के परमानेंट कर्मचारी को ही नाजिर बनाया जा सकता है। लेकिन इन सबके विपरीत धर्मपाल जो की खुद संविदा कर्मचारी है, उसको नजारत की जिम्मेदारी किसकी महेरबानी से मिली है! जबकि अभी उपनल कर्मचारियों के परमानेंट होने का मामला राज्य सरकार के पास विचाराधीन चल रहा है। ऐसे में गार्ड धर्मपाल के साथ ऐसी दरिया दिली क्यों? क्या यह मेडिकल कॉलेज प्रशासन के आला अधिकारियो के राज जनता है यह फिर कुछ और खेल है?, यह अवश्य जांच का विषय है, सूत्र बताते है कि यह उपनल कर्मी गार्डो पर हेड पोस्ट के रूप में तैनात था। फिर ऐसा क्या खास दिखा उक्त गार्ड कर्मी पर जो की मेडिकाल के सक्षम अधिकारी ने इस कार्यालय की मुख्या सीट प्रदान कर दी।
साथ ही हैरानी की बात तो यह समान आयी की दून मेडिकल कालेज में जो कोई संविदा कर्मी हेतु भर्ती की जाती उस मे भी इस कर्मी का हस्तक्षेप रहता है। जिसमें संविधा कर्मी पात्रो की यह छटनी व चयन प्रक्रिया यही करता हैं, यह एक बड़ा प्रशन है?। मेडिकल कालेज के सक्षम अधिकारी ने ऐसा कौन सा शहद इस कर्मी पर देखा जिसका मोह नही कम हो रहा हैं । और मेडिकल कालेज के नियमो का ताक पर रख दिया है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच उत्तराखंड सरकार में स्वास्थ मंत्री धन सिंह रावत को जरूर करानी चाहिए!ऐसा कौन सा शहद इस संविदा कर्मी पर लगा है जो मोह नहीं छोड़ रहा है।
नोट- सूत्रो द्वारा प्राप्त उक्त खबर की हमारा न्यूज पोर्टल uttarakhanddwaar.in पुष्टि नही करता और नही इस कर्मी से हमारा कोई लेना देना है।