देहरादून/उत्तराखण्ड: 16 MARCH.. 2023, खबर… बता दे कि कोरोना की पहली, दूसरी व तीसरी लहर के दौरान आउटसोर्स पर कर्मचारी रखे गए थे। वही, उत्तराखंड में कोरोना काल के दौरान हायर किए गए 1600 स्वास्थ्य कर्मचारियों को इन सभी का कार्यकाल खत्म हो गया जिसमें इन सभी टीडीएस कर्मीयो को अस्पतालो से 15 मार्च 2023 से बहार कर दिया गया। वही सूब के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून एवं जनपदो के अन्य जिला अस्पताल सहित देहरादून में कोरोना की पहली, दूसरी व तीसरी लहर के दौरान आउटसोर्स पर रखे गये सभी टीडीएस कर्मचारीयो को बहार करने के बाद अब वह दून अस्पताल की न्यू ओपीडी बिल्डिंग परिसर के बहार धरने पर बैठ गए।
वही अब ऐसे में कर्मचारियों ने सेवा विस्तार की मांग को लेकर प्रशासन और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर धरना प्रर्दशन किया। इस दौरान दू मेडिकल कालेज व अनय अस्पतालों में कार्य बहिष्कार भी किया गया। जिसके चलते अस्पतालों का कार्य काफी प्रभावित नजर आयां। जिसको लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों के द्वारा किया विरोध एवं उनकी सेवा विस्तारित करने की मांग पर आंदोलन शुरू कर दिया है।
इसी के साथ इस दून अस्पताल में 278 के करीब टीडीएस कर्मचारी भर्ती किए थे। जिसमें लैब में कार्या कर रहे 33 कर्मी और दून अस्पताल में वार्डो में वार्ड ब्वाय/वार्ड आया 186, एवं अन्य जगहो में भर्ती की गई थी। वही इनकी अब हट जाने से दून मेडिकल अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ा। वही इस दौरान राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल देहरादून समेत कई अन्य अस्पतालों में कर्मचारियों ने गुरूवार को आखरी दिन कार्य का बहिष्कार कियां।
वहीं अब बहार हुए सभी कर्मी अस्पतालो के बाहर धरना व प्रर्दशन कर रहे है। दून अस्पताल के बाहर बैठे टीडीएस कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है। वही जिसमें वार्ड बॉय एवं लैब असिस्टेंट अधिकतर शामिल है। वही इस कर्मचारियों में मुख्य रूप से धरना देने वाले जिसमें मुकेश शर्मा, अंकित, हिमांशु, चमन ,यशवर्धन आशा ,बलूनी, अंशा तोमर, सौरभ, मनीषा, सुमित, अभिषेक, राजवीर, रतन श्रीसीता, मंजू ,संजय सिंह ,आकाश रावत, शिवानी आदि स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर शामिल थे।
वही इस दौरान दून मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय के टीचिंग में मरीज तिमारदारों के भरोसे हैं। मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने से लेकर जांच के लिए ले जाने तक की जिम्मेदारी तिमारदारों को अब निभानी पड़ रही है। जिसके चलते मरीजों के साथ ही तिमारदारों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
वही इन कर्मचारियों को 15 मार्च से बाहर किए जाने के बाद अस्पताल में वार्डों की स्थिति बड़ी गंभीर बनी हुई है। साथ ही उपनल कर्मचारियों पर भी काम का बोझ बढ़ गया है। वही जो नर्सिज अधिकारी हैं उनको तो 1 मिनट भी फुर्सत नहीं मिल रही है। वार्डो में भर्ती मरीज चारों और मरीज बार.बार उन्हें बुला रहे हैं। वही सिस्टरो (नर्सिज अधिकारी) की हिम्मत है ऐसे वक्त पर अपना पेशंस बनाए हुए हैं। वही दून मेडिकल कॉलेज में नई पुरानी गायनी इमरजेंसी बिल्डिंग मानसिक रोग एवं ऑर्थो विभाग आदि में भर्ती मरीजों के वार्डों में एक (नर्सिज अधिकारी) सिस्टर हैं।
और वह भी चारों तरफ मरीजों के पुकारने की आवाज से परेशान हो रही है।इस दौरान सूबे के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून अस्पताल में सबसे ज्यादा दिक्कत लैब एवं वार्डों में हुई है। यहां पर आउटसोर्स एजेंसी को अपने कर्मचारी बुलाने पड़े। वही दून अस्पताल के वार्डों में एक कर्मी नियमित वार्ड में भी रह गए। नर्सिज अधिकारी पर अब कार्य का बोझ बढ़ गया । इसी के साथ इमरजेंसी प्रशासनिक अनुभाग पीआरओ सेल फार्मेसी समेत अन्य विभागों में परेशानी झेलनी पड़ रही है।
मिली ताजा जानकारी के अनुसार स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर यूनियन अध्यक्ष संजय कोरंगा ने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी। आंदोलन जारी है। इस आंदोलन के जरिए स्वास्थ्य कर्मचारियों ने प्रशासन के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। उनका कहना यह भी है कि जब तक मांगों को लेकर सरकार गंभीरता से नहीं सोचती, तब तक अस्पतालों में कार्य बहिष्कार जारी रहेगा।
वही उत्तराखण्ड सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कोविड 19 मरीज नहीं है। वही इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन कर्मियों की छुट्टी कर दी है। साथ ही जनपद पौड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने 140 स्वस्थ कर्मियों को दैनिक नियुक्ति की थी। जिसमें सभी को 14 मार्च 2023 को आरोप है कि बगैर मान दिए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है ।
वही प्रदेश के जनपदों में सबसे ज्यादा भर्ती मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने वाले कोटद्वार बेस चिकित्सालय प्रशासन ने 120 कर्मचारियों की सेवा भी समाप्त कर दी। वही बात करें अगर हल्द्वानी की तो हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 50 कर्मचारी, दून अस्पताल में 278 कर्मीयों सहित टीडीएस कर्मी रखे गए थें। जिनकी अब सेवा समाप्त कर दी गई है । इस दौरान प्रदेश के अन्य अस्पतालो से बाहर हुए कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।