उत्तराखंड: 15 जुलाई 2024 , देहरादून। विभिन्न राजनैतिक दलों तथा सामाजिक संगठनों में आयूपी ,सीपीएम ,यूकेडी ,सीआईटीयू ,आन्दोलनकारी परिषद ,एआईएलयू ,एस एफ आई ,नेताजी संघर्ष समिति ,भीम आर्मी, नवचेतना मंच आदि के प्रतिनिधियों ने स्व रणबीर सिंह की पत्नी श्रीमती रीता देवी के साथ मिलकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया ।
जिला मुख्यालय पर आयोजित प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा ऋषिकेश थाना कोतवाली में 22 जून 024 को गिरफ्तार रणबीरसिंह पुत्र स्व सरोपसिंह ग्राम मन्धार तहसील घनसाली की देहरादून जिला कारागार में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश अथवा सीबीआई जांच तथा पीड़ित के परिजनों को समुचित मुआवजा देने की मांग करते हैं ।
वक्ताओं ने कहा है कि दिनांक 22जून 024 लगभग सांय 5:30 कोतवाली ऋषिकेश देहरादून पुलिस रणबीरसिंह के ढालवाला जनपद टिहरी गढ़वाल किराये के मकान पर आये तथा भद्दी भद्दी गालियां देकर उसे घसीट कर ले गये तथा कहा कि इसको हम ठीक करेंगे , पत्नी व परिजनों के बार बार गुजारिश करने के बावजूद वे अनर्गल शब्दों तथा गाली गलोज देते रहे ।जगह जगह पुलिस चौकियों में तलाश करने के बाद अगले दिन लगभग यानि 23 जून 024 लगभग 2 बजे बाद रणबीरसिंह की पत्नी कोतवाली ऋषिकेश गई तो तब तक उसके पति की पुलिस अभिरक्षा में बुरी तरह पिटाई हो चुकी थी , पुलिस ने रणबीरसिंह के खिलाफ झूठा केस दर्ज कर ऋषिकेश राजकीय चिकित्सालय के चिकित्सकों कि मिलीभगत से फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर आनन फानन में ऋषिकेश कोर्ट में पेश कर जिला कारागार देहरादून भेजा , जहां उसकी बुरी हालात थी ।
वक्ताओं ने कहा है कि 25 जून 024 दिन में मृतका की पत्नी जब अपने पति को मिलने जिला कारागार गई तो उसके पति हालात नाजुक थी तथा चल फिर नहीं पा रहा था तथा शरीर पर असहनीय दर्द बता रहा था तथा कह रहा था उसे जेल में नींद आदि की गोलियां दि जा रही है ,उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसके जान खतरे में है । कुछ घण्टे बाद सांय जेल प्रशासन ने रणबीरसिंह की मृत्यु कि सूचना उसकी पत्नी को दिया । वक्ताओं ने कहा कि हकीकत यह है कि पुलिस एवं जिला प्रशासन के अमानवीय कृत्यों के परिणामस्वरूप रणबीरसिंह की मृत्यु जिला कारागार देहरादून में ही हो चुकी थी दून अस्पताल लाना एक औपचारिकता थी ।
वक्ताओं ने कहा है कि जेल प्रशासन एवं पुलिस आनन फानन में उसी दिन रात्रि को कोरनेशन अस्पताल देहरादून में पोस्टमार्टम कर इसे सामान्य मृत्यु घोषित करने के लिऐ डाक्टरों के साथ मिलकर फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर दि गई तथा पुलिस एवं जेल प्रशासन ने अपने को बचाने के लिऐ कुत्सित प्रयास किया गया किन्तु रणबीरसिंह को पहुंचे गहरे जख्म साफ साफ कर रहे थे कि दाल में कुछ काला है ।संदिग्ध परिस्थितियों में मृतक की जांच के लिऐ मृतक रणबीर सिंह की पत्नी श्रीमती रीता देवी ने जिलाधिकारी महोदय तथा बरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई ।इस बीच सामाजिक एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी से भेंटकर उन्हें यथास्थिति से अवगत कराया परिणामस्वरूप पुलिस के हाथ पांव फूल गये उसके आला अधिकारियों ने तब जाकर रणबीरसिंह की पोस्टमार्टम तथा मेडिकल रिपोर्ट परिजनों को उपलब्ध कराये जिससे पूरे षड़यंत्र आपसी मिलीभगत का खुलासा हुआ तथा संगठित अपराध का पर्दाफाश हुआ कि किस हद तक तथाकथित जिम्मेदार लोग बर्दी तथा अपने ओहदों का दुरूपयोग कर सकते हैं ,पता चला है कि इस प्रकरण में कोतवाली दो पुलिसकर्मियों निलम्बित कर पुलिस ने अपने घृणित अपराध में पर्दा डालने की कोशिश की ।
मान्यवर ,पोस्टमार्टम ,पुलिस रिपोर्ट ,मेडिकल रिपोर्ट तथा जेल अधीक्षक अपनी अपनी रिपोर्ट में एक सुर बोल रहे हैं कि उसे पुरानी बीमारी थी ,वह दारूबाज था ,अभियुक्त के रूप में रणबीरसिंह की प्रथम मेडिकल रिपोर्ट माननीय स्पेशल जुडिशियल मजिस्ट्रेट ऋषिकेश ने भी देखि ऐसा लगता रणबीरसिंह की नाजुक हालात का एहसास नहीं कर पाये परिणामस्वरूप इतनी अमानवीय घटना हुई ।
मान्यवर ,रणबीरसिंह कि अवैध गिरफ्तारी से मौत तक तथा उसके बाद जो फर्जी मेडिकल/पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर रणबीरसिंह के साथ हुऐ जधन्य कृत ने साबित कर दिया किस तरह कानून के रखवालों ने कानून के साथ खिलवाड़ कर रणबीरसिंह की हत्या को हादसे में बदल दिया ।
वक्ताओं ने कहा है कि रणबीरसिंह कि अन्तेष्टि के लिऐ शव परिजनों चन्द्रभागा पुल पर कोतवाली ऋषिकेश ने यह कर सौंपा कि यहीं तक उनका कार्य क्षेत्र है ,जबकि इससे तीन दिन इसी कोतवाली कि पुलिस बिना अनुमति के दूसरे जिले में जाकर रणबीरसिंह को गिरफ्तार करती है ,ऋषिकेश पुलिस कर्मियों अमानवीयता को दर्शाने के लिऐ प्रर्याप्त है ।यही नहीं जिलाधिकारी महोदया के हस्तक्षेप के बाद कोतवाली पुलिस तथा पुलिस आला अधिकारियोंं द्वारा रणबीरसिंह के परिजनों को दस्तावेज उपलब्ध कराये जिससे तमाम कुचक्रों का खुलासा हुआ ।
वक्ताओं ने कहा है कि देहरादून में कुछ साल पहले हुऐ फर्जी रणबीर इनकाऊन्टर के बाद जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के अनेक कृत्यों के बाद रणबीरसिंह के साथ ऋषिकेश पुलिस अभिरक्षा से लेकर सुद्धोवाला जेल में जो कुछ हुआ वह मानवता को शर्मशार करने वाली जघन्यतम घटना है जिसमें मानवाधिकारों का खुलेआम उलंघन हुआ है ।ताकत एवं पैसे के बल पर सब कुछ खरीदा गया है ।
प्रदर्शनकारियों के मध्य नगर मजिस्ट्रेट श्री प्रत्युषसिंह ने मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन लिया तथा प्रर्दशनकारियों को न्यायोचित कार्यवाही का आश्वासन दिया ।
मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन में निम्नलिखित मागों का ज्ञापन प्रेषित किया गया ;-
(1)रणबीरसिंह की अभिरक्षा में हुई संदिग्ध मृत्यु कि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करवाई जाय ।
(2)सम्भव हो सके तो इस संदिग्ध मृत्यु कि जांच सिबिआई से करवाई जाये ।
(3) जांच के दायरे में कोतवाली ऋषिकेश पुलिस ,क्षेत्राधिकारी पुलिस ऋषिकेश ,चिकित्साधिकारी ऋषिकेश हॉस्पिटल ,बरिष्ठ जेल अधीक्षक जिला कारागार एवं उसे जुड़े स्टाफ ,दून अस्पताल के चिकित्सक तथा पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक तथा ऋषिकेश एजेएम कोर्ट प्रक्रिया को शामिल किया जाये ।
(4) मामले से जुड़े सभी के खिलाफ निलम्बन तथा स्थान्तरण कि कार्यवाही सुनिश्चित की जाये ।
(5)मृतक के परिजनों की जानमाल की सुरक्षा की जाये ।
(6)रणबीरसिंह कि विधवा तथा तीन बच्चों के भरण पोषण के लिऐ सरकार समुचित दे ।
प्रदर्शनकारियों में आयूपी आयूपी के अध्यक्ष नवनीत गुंसाई ,Cpim जिलासचिव राजेन्द्र। पुरोहित ,देहरादून सचिव अनन्त आकाश ,सीआईटीयू जिला महामंत्री लेखराज ,यूकेडी कि बरिष्ठ नेत्री प्रमिला रावत ,एआईएलयू के प्रान्तिय महामंत्री शम्भू प्र ममगाई ,एडवोकेट रंजन सोलंकी बार कौंसिल उत्तराखण्ड , आन्दोलनकारि परिषद प्रवक्ता चिन्तन सकलानी ,जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार। एस एफ आई राज्याध्यक्ष नितिन मलेठा ,नेताजी संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभात कुमार ,नव चेतना की संयोजिका दीप्ति रावत बिष्ट ,भीम आर्मी के अध्यक्ष आजम खान ,तरूणा जगुड़ि ,सुभागा फर्सवाण ,तारा पाण्डेय ,सुधा ,शोभा ,सरला ,रामपाल अमितसिंह सुनीता विरमानी ,सुरेन्द्र पंवार आदि प्रमुख थे ।
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