EXCUSIVE NEWS: अभिभावक इस तनाव में बच्चों को पढ़ाएं तो पढ़ाएं कैसे? 

सरकार ने शिक्षा महंगी और शराब सस्ती कर दी है! अभिभावक

देहरादून/उत्तराखण्ड: 01-APRIL.. 2023, खबर… राजधानी से शनिवार को  इस 2023.24 सत्र में  देश के तमाम अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई पर आने वाले खर्च से परेशान हैं। कमर तोड़ महंगाई के इस जमाने में अभिभावकों की चिंता भी अपनी जगह सही है। वही इस महंगाई बढ़ने से अधिकांश परिवार का बजट गड़बड़ा रहा है। अभिभावक अन्य खर्च में कटौती कर भी लें ! लेकिन बच्चों के भविष्य से जुड़े स्कूली खर्च में कैसे कटौती करें। स्कूलों में पढ़ाई मुश्किल हो गई है। बच्चों पर जहां बस्ते का बोझ बढ़ रहा है, वहीं अभिभावकों पर महंगाई का भार आ गया है। अलग-अलग स्कूल अपने मुताबिक फीस ले रहे हैं। औसतन 10 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

कई स्कूलों ने फीस बढ़ाने का प्रपोजल एफआरसी को दे दिया है। स्कूलों की फीस के साथ यूनिफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी 5 से 50 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। यही नहीं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज भी 10 से 18 फीसदी तक बढ़ गया है। खाने-पीने की वस्तुएं तो महंगी हो चुकी हैं, अब बच्चों की पढ़ाई भी महंगी होने से अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। वही  दूसरी तरफ पठन-पाठन सामग्री विक्रेताओं का कहना है कि इस वर्ष जून-जुलाई तक स्टेशनरी व यूनिफॉर्म के दाम 50% तक बढ़ सकते हैं। अभिभावकों के लिए अभी स्टेशनरी महंगी लग रही है, लेकिन बाद में और महंगी हो जाएगी।वही हैरान करने वाली बात यह है कि ऐसी मंहगी शिक्षा पर ना तो सरकार कुछ कर रही हैं , ओर न ही शिक्षा विभाग, अभिभावक जाए तो कहा जाए।

इस विषय पर जब सीबीएसई बोर्ड   के जिम्मेदार अधिकारीयों से यह पूछा जाए की NCERT के 04 किताबों के अलावा जो 15 महंगी किताबें निजी स्कूलों द्वारा लगाई गयी हैं उनका संज्ञान बोर्ड कब लेगा और जब मान्यता बोर्ड द्वारा दी गयी है तो बस्ते का वजन जांचना कैसे सम्भव नही है । आखिर अपनी जिम्मेदारी से कब तक भागते रहेंगे ये विभाग..?  वही इस दौरान उत्तराखंड की राजधानी देहरादून कई अभिभावको  का कहना है कि सरकार ने शिक्षा महंगी और शराब सस्ती कर दी है।  वही कॉपी-किताबों और यूनिफार्म के दाम बढ़ गए हैं।

वही  दिन-प्रतिदिन खाद्य पदार्थों से लेकर तमाम रोजमर्रा की चीजें अब 01 अप्रैल 2023 से ओर महंगी हो रही हैं।  ऐसे में अब बच्चों की कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म के दामों में 10 से 25 फीसदी तक इजाफा हो गया है, जिससे अब अभिभावकों पर महंगाई का और बोझ बढ़ गया है।  जनता के लिए घर चलाना पहले ही बहुत मुश्किल था लेकिन अब बच्चों की शिक्षा महंगी होने से मध्यम वर्ग की कमर टूट रही है।

 वही अभिभावको  का कहना है कि गरीब आदमी का बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है क्योंकि जो किताबें हम 4000 रुपये में पहले लिया करते थे, आज उनके दाम 5000 रुपये तक पहुंच गए हैं।   सरकार ने शराब सस्ती कर दी है और किताबें महंगी कर दी हैं।  जबकि जनता के लिए जरूरी शिक्षा है।  वही जिसमें   मध्यम वर्ग के लोग अपने बच्चों को पढ़ाएं तो पढ़ाएं कैसे?  उनका कहना है कि पहले ही बढ़ती महंगाई के चलते घर और किचन चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था

साथ ही कई किताबो व यूनिफार्म की दुकानदारो ने स्कलो के आडॅर पर बंडल बांध कर रखे हैं। स्कूल वालो की तरफ से जब अभिभावक पर्ची लेकर आता है उसके उसके बच्चो की कक्षा के अनुसार किताबो व यूनिफार्म का बंधा बंडल सौंप देता है। जिसमें इनके दाम स्कूल वालो की ओर से तय किए हुए है। वही दुकान दार कहता है कमीशन ना दे तो स्कूल वाले दुसरी दुकान देख लेगें।

वही, सूत्रो के मुताबिक कुछ का कहना है कि निजि स्कूलोकी इमारतें ऐसी है जैसे कोई पंचसितारा होटल हो और इसके रखरखाव पर जो खर्च आता है,। वह छात्रों से ही वसूला जाता है। अक्सर स्कूल में छोटे मोटे कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं, और इन कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त रकम वसूली जाती है। साथ पूरे सत्र के दौरान कई नीजि स्कूल वाले बीच-बीच में बच्चों के पढ़ाई से जुड़ी होने पर रूपये भी मंगाते रहते है जो फीस शुल्क से अलग खर्च में आते है। वही कुछ अभिभावको ने कहा कि बच्चो की अच्छी पढ़ाई तो नामी गिरामी स्कूलों में ही होती है।

अभिभावको ने कहा कि सरकार ने घरेलू गैस के दाम 1100 रुपये से ज्यादा कर दिए हैं, वहीं 42 रुपये किलो आटा और 180 रुपये लीटर सरसों के तेल के दाम हो गए हैं।  आज के इस दौर में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि जनता के लिए पेट भरना मुश्किल हो गया है।  बच्चों के पढ़ाने के लिए भी मोटी रकम चाहिए होती है।  कई अभिभावको कहना है कि कमाई उतनी ही है लेकिन खर्चे बहुत बढ़ते जा रहे हैं।  ऐसा ही चलता रहा तो जनता के लिए जीना भी मुश्किल हो जाएगा। 

बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा   “हम आज़ादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं. नया भारत बनाने और भविष्य के लिए युवाओं को तैयार करने में इस नीति की बड़ी भूमिका रहने वाली है। ” केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान  ने NEP 2020 को 21वीं सदी की ज़रूरतों के हिसाब से एक दूरदर्शी शिक्षा नीति करार दिया।  उनका कहना था कि इस नीति के ज़रिए भारत में एक-एक छात्र की क्षमताओं का विकास सुनिश्चित हो सकेगा। 

साथ ही हम शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाते हुए क्षमताओं का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. उनका विचार था कि नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा से जुड़े परिदृश्य में आमूलचूल बदलाव लाएगी।  उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि NEP भारत में शिक्षा को समग्र, सस्ता, सुलभ और न्यायपूर्ण बनाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि इस सिलसिले में अब तक क्या प्रगति हुई है? क्या नई शिक्षा नीति लागू होने से लेकर अबतक हालात पटरी पर हैं? 

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