कैंसर 2022 की यह थीम है उसे पहले हम समझे कि यह समस्या कितनी बड़ी है! डॉ0बिष्ट

देहरादून/उत्तराखण्ड: 04-FEB.. 2023, खबर… राजधानी से शनिवार को  हर साल 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। आज यानी 4 फरवरी को प्रदेश के सभी जिलो में विभिन्न स्तरों पर जागरूकता संबंधी कार्यक्रम का आयोजन  कैंसर डे मनाया गया। आज  विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर देहरादून के जिला अस्पताल पं0 दीनदयाल उपाध्यय कोरेनेशन अस्पताल में कार्यशाला का आयोजन किया गया  ।

वही इस  मौके पर   जिला अस्पताल कोरेनेशन चिकित्सालय देहरादून के वरिष्ठ फिजिशियन  एमडी डॉ0 एन. एस. बिष्ट ने कैंसर को लेकर कहा कि  यह विश्व कैंसर दिवस 3 साल तक चलने वाला कार्यक्रम हैं जो कि 2022 से लेकर 2024 तक, कैंसर एक घातक बीमारी है यह एक अंग से शुरू होने वाला रोग की जो किअनियंत्रित कोशिका वृद्धि का रोग है। यह दूसरे अंगों में फैलता है । और धीरे- धीरे पूरे शरीर पर कब्जा करके यह जानलेवा साबित हो जाता है। और कैंसर के कुछ पहचाने हुए कारण हैं जैसे कि तंबाकू का सेवन मध्य पान और दूसरे कारक हैं। वही ये वायुमंडल में मौजूद प्रदूषक तत्व पानी में मौजूद प्रदूषक तत्व और धूप में मौजूद प्रदूषक तत्व। वही यह 3 साल तक चलने वाले इस प्रोग्राम को इंपैक्ट के लिए बनाया गया है। और 2022 की यह थीम है उसे पहले हम समझे कि यह समस्या कितनी बड़ी है।

वही इस विश्व कैंसर दिवस 2023 की थीम: 2022, 2023 और 2024 के लिए विश्व कैंसर दिवस की थीम ‘क्लोज द केयर गैप’ तय की गई थी। आज विश्व कैंसर दिवस 2023 की थीम है, क्लोज द केयर गैप।

वही कैंसर के इलाज व जांच में जो असमानता है पूरे विश्व में फैली हुई है। जो  कैंसर मरीजो को हर दरवाजे पर अवरोध मिलता है। उनके इलाज में बाधाए आती है। उनकी जागरूकता के लिए । उसके बाद 2023 में इस बात पर एक्शन टिकिंग की बात हो गई है कि हम अपनी आवाजों को एक साथ जोड़ें।  हम जो कहना चाहते हैं एक साथ बोले तो यह एक समन्वय के लिए है। वही आगामी वर्ष 2024 में यह बात की गई है कि जो सत्ता के शीर्ष पर बैठे हैं। दो जिन पावर उनको हम चेलैंज करें। कि हमारे जो लीडर्स ,  हमारे जो नेता है, जो सत्ताधारी हैं वह इस बात को समझें कि कैंसर के जो कारक है उनसे निपटने के लिए नीतियों का निर्धारण इस बात को समझें कि कैंसर के दो कारक है उनसे निपटने के लिए कुछ नीतियों का निर्धारण बहुत जरूरी है।

 

वही इस मौके पर वरिष्ठ फिजिशियन  एमडी डॉ0 एन. एस. बिष्ट ने बताया कि कैंसर के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। आमतौर पर पुरुषों में मुंह के कैंसर से जुड़े मामले अधिक मिलते हैं।  मुंह के कैंसर के लिये तंबाकू युक्त पदार्थ, गुटखा, खैनी, सिगरेट, बीडी, पान मसाला का प्रयोग जिम्मेदार होता है। लोगों को इसके प्रयोग से परहेज करना चाहिये। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में कैंसर का पता चलने पर इसका इलाज आसान होता है। रोग की पहचान व इलाज में होनी वाली देरी रोगी के लिये जानलेवा साबित हो सकता है।  जागरूकता के दम पर कैंसर के अधिकांश मामलों से आसानी से निपटा जा सकता है।

   

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